देश में मॉनसून के दस्तक देते ही सोयाबीन की बुवाई शुरु हो जाती है. सोयाबीन एक खरीफ फसल है जिसकी खेती का सबसे अच्छा समय जून से जुलाई के बीच होता है. सोयाबीन की खेती से किसानों को भी अच्छा फायदा होता है. इसकी खेती कर किसान कम लागत में अच्छी कमाई कर सकते हैं. बता दें कि बाजार में सोयाबीन की मांग सालभर बनी रहती है जिसके कारण इसकी खेता किसानों के लिए फायदे की सौदा साबित हो सकती है. खबर में आगे जान लेते हैं कि कैसे होती है सोयाबीन की खेती.
ऐसे करें खेत की तैयारी
सोयाबीन की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी की जरूरत होती है. इसके लिए दोमट मिट्टी को सबसे बेस्ट माना जाता है. सोयाबीन की अच्छी उपज के लिए मिट्टी का pH मान 6 से 7.5 के बीच का होना चाहिए. सोयाबीन के बीज लगाने से पहले खेत की अच्छे से गहरी जुताई करें. ताकि मिट्टी को भुरभुरा बनाया जा सके. इसके बाद मिट्टी में गोबर की सड़ी हुई खाद और सही मात्रा में उर्वरक डालें.
बीजों का उपचार और खरपतवार नियंत्रण
सोयाबीन की खेती के लिए एक एकड़ खेत में 25 से 30 किलो बीज का इस्तेमाल करें. बीजों की बुवाई से पहले उनका उपचार करना जरूरी है. बीजों को मिट्टी से होने वाली बीमारियों से बचाने के लिए उनका उपचार करने के बाद बुवाई के समय पंक्ति से पंक्ति में 45 सेमी और पौधे से पौधे में 4 से 7 सेमी की दूरी पर लगाएं. बीज को मिट्टी में करीब 2.5 से 5 सेमी गहराई में बोयें. बीजों को सही ढंग से बोने के लिए ड्रिल की मदद लें.
10 से 12 क्विंटल प्रति एकड़ तक पैदावार
सोयाबीन की खेती से किसान प्रति एकड़ फसल से लगभग 10 से 12 क्विंटल पैदावार कर सकते हैं. सोयाबीन की कुछ उन्नत किस्में जैसे एनआरसी 181 और पीएस 564 ज्यादा पैदावार देने वाली किस्में हैं. बता दें कि सोयाबीन की फसल बुवाई के करीब 95 से 110 दिनों के बीच कटाई के लिए तैयार हो जाती है. कई बार फसलों के पकने का समय सोयाबीन की किस्म पर भी निर्भर करता है. किसानों को ध्यान रखना होगा कि कटाई के समय सोयाबीन की फलियों में नमी की मात्रा 13 फीसदी से 20 फीसदी के बीच होनी चाहिए.