बासमती की बंपर पैदावार चाहिए? जानिए रोपाई का सही समय और तरीका

बासमती धान की अच्छी पैदावार और क्वालिटी के लिए रोपाई का समय सबसे अहम होता है. सही समय पर रोपाई करने से यह धान बंपर पैदावर देती है. इसके लिए रोपाई से पहले कुछ बातों का ध्यान देना होता है.

नोएडा | Published: 22 Jul, 2025 | 10:25 PM

बासमती धान की खुशबू और स्वाद उसे खास बनाते हैं, लेकिन इसके साथ अच्छी पैदावार पाना आसान नहीं है. अगर किसान समय पर खेत की तैयारी करें और रोपाई सही तरीके से करें तो बासमती से बेहतर उत्पादन और क्वालिटी दोनों हासिल की जा सकती है. बासमती धान की खेती में रोपाई का समय, पौध की उम्र, खेत की स्थिति और पौधों के बीच की दूरी का सही होना बेहद जरूरी है.

पैदावर के लिए ऐसे करें खेत की तैयारी

बासमती धान  की रोपाई से पहले खेत को अच्छी तरह तैयार करना बहुत जरूरी है. इसके लिए गर्मी के मौसम में खेत की गहरी जुताई करें ताकि मिट्टी में जमी हुई सख्त परत टूट जाए. वहीं, रोपाई से 10-15 दिन पहले खेत में पानी भर दें, जिससे पुराने फसल अवशेष सड़कर खत्म हो जाएं. इसके बाद, खेत में पानी भरकर 2-3 बार हल की मदद से जुताई करें और पाटा लगाकर खेत को समतल कर दें. ध्यान दें कि खेत की मिट्टी नरम और लेसदार होनी चाहिए ताकि पौध अच्छे से जम सकें.

सही समय पर रोपाई करने से मिलेगी पैदावार

बासमती धान की अच्छी पैदावार के लिए रोपाई का समय बेहद अहम होता है. इसके लिए 25 से 30 दिन की पौध रोपने के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है. उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि विभाग के मुताबिक, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पूसा बासमती-1 को जुलाई के पहले हफ्ते में रोप देना चाहिए, जबकि पूर्वी यूपी में 15 जुलाई तक रोपाई पूरी कर लेनी चाहिए. इसके अलावा पारंपरिक किस्मों जैसे बासमती टाइप 3, बासमती 370 और तरावड़ी बासमती को पश्चिम यूपी में जुलाई के आखिरी सप्ताह और पूर्वी यूपी में अगस्त के पहले हफ्ते तक रोपना चाहिए. कुल मिलाकर, जुलाई का महीना बासमती रोपाई के लिए सबसे अनुकूल माना गया है.

पौधों की दूरी और संख्या कितनी होनी चाहिए?

बासमती धान की रोपाई  करते समय 20×15 सेमी की दूरी पर दो से तीन पौधों को एक साथ लगाना उचित होता है. अगर किसी कारण से रोपाई देर से हो रही हो तो 15×15 सेमी की दूरी रखें. इससे पौधों को पोषक तत्व और धूप सही से मिलती है, जिससे वे तेजी से बढ़ते हैं और फसल मजबूत होती है.

बुवाई के समय इन बातों का रखें ध्यान

पारंपरिक बासमती किस्मों को ऐसे खेतों में न लगाएं, जहां हमेशा पानी भरा रहता है. क्योंकि पानी भरे खेतों में पौधों की जड़ें सड़ सकती हैं और धान की क्वालिटी पर बुरा असर पड़ता है. साथ ही, रोपाई के बाद खेत में नमी बनी रहे इसका ध्यान रखें, लेकिन जलभराव न हो. इतना ही नहीं खेत में खरपतवार न पनपने दें और समय-समय पर निराई-गुड़ाई करते रहें.