जिस धान की खुशबू पर फिदा है दुनिया, जानिए इसकी खेती का पूरा तरीका

बासमती धान अपनी खास खुशबू, लंबे दानों और बेहतरीन स्वाद के कारण देश-विदेश में खूब पसंद किया जाता है. यही वजह है कि मंडी से लेकर विदेशों तक बासमती की मांग लगातार बढ़ रही है.

धीरज पांडेय
नोएडा | Published: 21 Jul, 2025 | 10:42 PM

जिस मिट्टी से सुगंध उठे, जो धान पकने से पहले ही सौदागर खड़ा कर दे. उसका नाम है बासमती. ये कोई आम धान नहीं, बल्कि भारत की मिट्टी से निकली खुशबूदार विरासत है, जिसे भारत में ही नहीं, बल्की विदेशों में चाव से खाया जाता है. इतना ही नहीं यहां के किसान इसे अहम फसल मानकर बड़े पैमाने पर उगाते हैं. हर साल सैकड़ों करोड़ की बासमती चावल की बिक्री देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देती है.

इस मौसम में एक बार फिर बासमती की बुआई का समय आ गया है. लेकिन सही किस्म, सटीक तरीका और थोड़ी समझदारी से अगर खेती की जाए तो कम लागत में लाखों का मुनाफा मुमकिन है. इस स्टोरी में पूरी जानकारी है उस सफर की, जो किसान को मंडी से एक्‍सपोर्ट तक ले जाता है.

क्यों खास है बासमती धान?

बासमती धान अपनी खुशबू, लंबे दाने और स्वाद की वजह से दुनिया भर में पसंद किया जाता है. इसका ज्यादा उत्पादन भारत में होता है. इतना ही नहीं त्योहारों, शादी-पार्टियों और खास मौकों पर बासमती चावल की मांग बढ़ जाती है. इतना ही नहीं इसकी कीमत भी अच्छी मिलती है. यही वजह है कि किसान अब परंपरागत तरीके छोड़कर वैज्ञानिक तरीके से बासमती की खेती कर रहे हैं ताकि उन्हें ज्यादा पैदावार और मुनाफा मिल सके.

खेती के लिए भूमि का चयन जरूरी

बासमती धान की क्वालिटी काफी हद तक मिट्टी और मौसम पर निर्भर करती है. उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि विभाग के अनुसार, इसकी खेती के लिए ऐसी जमीन चुननी चाहिए जिसमें पानी रोकने की क्षमता हो. इसके लिए चिकनी या मटियारी मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है. मौसम की बात करें तो बासमती धान के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु सबसे अच्छी मानी जाती है. यही नहीं सही जमीन और मौसम मिलने पर इसकी पैदावार और सुगंध दोनों बेहतर होती है, जिससे बाजार में अच्छी कीमत मिलती है.

प्रजातियों का चयन है जरूरी

बासमती धान  की अलग-अलग किस्में होती हैं. अच्छी पैदावार के लिए ऐसी प्रजाति का चयन करें जो रोगों के प्रति प्रतिरोधी हो, कम ऊंचाई वाली हो और कम समय में पकने वाली हो. साथ ही, वह बाजार में अधिक मांग वाली होनी चाहिए. इसकी कुछ उन्नत किस्मों में पूसा बासमती 1121, पूसा बासमती 1509 काफी लोकप्रिय हैं, जो अधिक उपज देती हैं और निर्यात के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं.

खेती करने का सही तरीका

बासमती धान की खेती सामान्य धान की तरह ही होती है, लेकिन इसमें कुछ विशेष सावधानियां जरूरी हैं. सबसे पहले खेत की गहरी जुताई करें और 2-3 बार हैरो या हल से जुताई कर मिट्टी को भुरभुरा बना लें. इसके बाद बीज बोने से पहले उन्हें फफूंदनाशी से उपचारित करना जरूरी है, ताकि रोग न लगें. बासमती धान को अच्छी पैदावार के लिए अधिक पोषण की जरूरत होती है, इसलिए संतुलित मात्रा में जैविक और रासायनिक खाद देना जरूरी होता है.

अच्छी कमाई के लिए वैज्ञानिक तरीका अपनाएं

बासमती धान की खेती में समय पर रोपाई, पानी की सही व्यवस्था, निराई-गुड़ाई और कीट नियंत्रण बेहद जरूरी है. वैज्ञानिक सलाह के अनुसार खेती करने पर पैदावार बढ़ती है और क्वालिटी भी अच्छी रहती है, जिससे बाजार में अच्छी कीमत मिलती है. यह धान सिर्फ घरेलू बाजार में ही नहीं, बल्कि निर्यात के लिए भी एक बड़ा अवसर है.

 

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