चना भारतीय रसोई का एक अभिन्न हिस्सा है और भारत में चने की खेती भी बड़े पैमाने पर की जाती है. किसानों को चने की खेती करने की सलाह भी दी जाती है. ऐसा इसलिए क्योंकि चने की खेती में कम समय में ज्यादा मुनाफा होता है. बता दें कि चने को दलहनी फसलों का राजा माना जाता है. चने की अच्छी फसल के लिए जरूरी है कि उसे सभी उर्वरक और पोषत तत्व पर्याप्त मात्रा में मिलें. चने की खेती करने से पहले किसानों को कुछ बातों का खास ध्यान रखने की जरूरत होती है जैसे तापमान, मिट्टी आदि. तो चलिए जान लेते हैं कि कैसे होती है चने की खेती और किन बातों का रखना होगा खास ध्यान.
ऐसे खेत तैयार करें किसान
चने की खेती के लिए किसानों को दोमट मिट्टी का चुनाव करना चाहिए. साथ ही इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि जमीन में पानी के निकलने की सही व्यवस्था हो. मिट्टी में बीज बोने से पहले खेत की जुताई कर लें. इसके बाद खेत की क्रॉस जुताई कर उसे समतल कर लें.
अच्छे बीज के साथ जरूरी है ये खाद
खेत तैयार करने के बाद मिट्टी में 7 सेमी गहराई में चने के बीज को रोपें. रोपी गई चने की फसल की कतारों के बीच 30 सेमी की दूरी रखें. चने के खेत में 15 टन गोबर की खाद या 5 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट मिलाएं. फसल की अच्छी पैदावार के लिए 20 किलो नाइट्रोजन और 40 किलोफास्फोरस प्रति हेक्टेयर खेतों में मिलाएं.
सिंचाई और तापमान का रखें ध्यान
चने की फसल को बहुत ज्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं होती है. अगर आपको मिट्टी में नमी की कमी दिखाई दे तो समय-समय पर हल्की सिंचाई करें. पहली सिंचाई फूल आने से पहले और दूसरी सिंचाई दाना भरने के समय करें. चने की खेती के लिए ठंडी जलवायु वाले इलाके सबसे बेस्ट माने जाते हैं. इसकी खेती के लिए तापमान करीब 24 से 30 डिग्री सेल्सियस तक होना चाहिए.
चने की खेती के लिए सही समय
आमतौर पर चने की खेती रबी सीजन में की जाती है. यानी चने की खेती के लिए 20 अक्टूबर से 15 नवंबर तक का समय सबसे सही होता है. लेकिन कुछ इलाकों में किसान जायद सीजन में भी बुवाई कर लेते हैं. आउट सीजन में चना उगाने से किसानों को बाजार में कीमत तो अच्छी मिलती है लेकिन उत्पादन के लिए सही विधि और तरीके पर खास ध्यान देना होता है.