बिहार में 457 हेक्टेयर में होगी बांस की खेती, किसानों को सरकार से मिलेगी 60 हजार रुपये की मदद

राष्ट्रीय बांस मिशन योजना के तहत बिहार के 27 जिलों में ऐसी जमीन पर बांस की खेती की जाएगी जहां किसी और फसल की खेती नहीं की जाती है. इन जिलों में गोपालगंज भी शामिल है.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Updated On: 7 Aug, 2025 | 04:25 PM

बिहार सरकार प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुधारने के लक्ष्य से बांस की खेती को बढ़ावा दे रही है. जिसके लिए राष्ट्रीय बांस मिशन योजना के तहत प्रदेश भर में 457 हेक्टेयर जमीन पर बांस की खेती की जाएगी. इस योजना के लिए प्रदेश के 27 जिलों का चुनाव किया गया है और किसानों को बांस की खेती पर 50 फीसदी सब्सिडी भी दी जाएगी. केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही इस योजना को सुचारू रूप से चलाने की जिम्मेदारी उद्यान विभाग को दी गई है. इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण इलाकों के किसानों की आमदनी बढ़ाना और अर्थव्यवस्था को सुधारना है. बता दें कि बांस की खेती इन जिलों में बेकार पड़ी जमीन पर की जाएगी जहां पर किसी भी फसल की खेती नहीं होती है.

कुल लागत का 50 फीसदी खर्च देगी सरकार

बिहार सरकार द्वारा बांस की खेती पर इकाई लागत प्रति हेक्टेयर 1.20 लाख रुपए तय की गई है. बता दें कि, सरकार द्वारा इस योजना को 3 हिस्सों में बांटा गया है. जिसके तहत सरकारी कृषि फार्म, निजि इलाकों और खेत के मेड़ पक बांस के पौधे लगाए जाएंगे. इस योजना के तहत किसानों को कुल लागत का 50 फीसदी यानी 1.20 लाख रुपये की लागत पर 60 हजार रुपये सरकार की तरफ से दिए जाएंगे. सब्सिडी के तहत उद्यान विभाग की तरफ से चुने गए किसानों को टिशू कल्चर पौधे उपलब्ध कराए जाएंगे. विभाग द्वारा एक पौधे की कीमत 300 रुपये तय की गई है.

सब्सिडी के अनुसार एक पौधा खरीदने पर किसानों को अपनी जेब से केवल 150 रुपये ही देने होंगे. ध्यान देने वाली बात है कि सब्सिडी का 60 फीसदी यानी 90 रुपए पहले साल और 40 फीसदी 60 रुपए दूसरे साल दी जाएगी. योजना का लाभ उठाने के लिए बांस की खेती के लिए एक किसान को कम से कम 10 पौधे लगाने होंगे.

गोपालगंज में 16 हेक्टेयर में होगी खेती

राष्ट्रीय बांस मिशन योजना के तहत बिहार के 27 जिलों में ऐसी जमीन पर बांस की खेती की जाएगी जहां किसी और फसल की खेती नहीं की जाती है. इन जिलों में गोपालगंज भी शामिल है. बता दें कि, गोपालगंज जिले में 16.25 हेक्टेयर में बांस की खेती कराने का लक्ष्य तय किया गया है. योजना का लाभ उठाने के लिए एक किसान को कम से कम 0.04 हेक्टेयर और ज्यादा से ज्यादा 0.2 हेक्टेयर में खेती करना जरूरी होगा. इन 27 जिलों में गोपालगंज समेत अररिया, बांका, बेगूसराय, भागलपुर, दरभंगा, पूर्वी चंपारण, जमुई, कटिहार, खगड़िया, किशनगंज, लखीसराय, मधेपुरा, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया सहरसा समस्तीपुर, सारण, शिवहर, शेखपुरा, सीतामढी, सीवान, सुपौल, वैशाली और पश्चिम चंपारण को शामिल किया गया है.

ग्रामीण अर्थव्यवस्था में होगा सुधार

बिहार कृषि विभाग द्वारा सोशल मीडिया पर दी गई जानकारी के अनुसार, बांस की खेती के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था सुधारने का लक्ष्य रखा गया है. कृषि विभाग का मानना है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बनाने में हमेशा से बांस की अहम भूमिका रही है. पुराने समय में बांस की इस्तेमाल दैनिक जीवन की हर जरूरत के लिए किया जाता है. योजना का लाभ उठाने वाले किसानों के लिए जरूरी है कि उनके पास जमीन के मालिकाना हक होना चाहिए.

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Published: 7 Aug, 2025 | 04:20 PM

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