मधुमक्खी पालन बना कमाई का जरिया, 1 लाख की लागत से 3 लाख कमाई

मधुमक्खी पालन किसानों के लिए कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाला व्यवसाय बनता जा रहा है. सरकार द्वारा चलाई जा रही राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन जैसी योजनाएं किसानों को प्रशिक्षण, आर्थिक सहायता और आधुनिक तकनीक प्रदान कर रही हैं, जिससे यह व्यवसाय और भी आकर्षक बन रहा है.

धीरज पांडेय
नोएडा | Published: 20 May, 2025 | 07:12 PM

20 मई को विश्व मधुमक्खी दिवस मनाया जाता है, जो हमें मधुमक्खियों और उनके महत्व को याद दिलाने का अवसर देता है. मधुमक्खियां न सिर्फ प्राकृतिक परागकण प्रक्रिया को पूरा करती हैं, बल्कि किसान समुदाय के लिए रोजगार और आय का भी एक नया स्रोत बन रही हैं. डबल इंजन सरकार द्वारा मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए चलाई जा रही योजनाओं ने इस व्यवसाय को किसानों के लिए और अधिक आकर्षक बनाया है. इससे न केवल शहद उत्पादन में इजाफा हुआ है, बल्कि किसानों की आमदनी में भी जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है.

डबल इंजन सरकार की योजनाएं

सरकार ने मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन योजनाएं शुरू की हैं. इन योजनाओं के तहत किसानों को प्रशिक्षण, मधुमक्खी कॉलोनी स्थापित करने के लिए आर्थिक सहायता और आधुनिक तकनीक उपलब्ध कराई जाती है. इन प्रयासों से लाखों किसानों को रोजगार मिला है और वे शहद उत्पादन के साथ पैकेजिंग और ब्रांडिंग करके अपने उत्पादों की बाजार में मांग बढ़ा रहे हैं. सरकार के समर्थन से मधुमक्खी पालन व्यवसाय और भी व्यवस्थित और लाभकारी बन रहा है.

मधुमक्खी पालन से कमाई का गणित

मधुमक्खी पालन एक लाभकारी व्यवसाय बनता जा रहा है. एपिस मेलिफेरा प्रजाति की एक कॉलोनी में लगभग 2,500 से 3,000 मधुमक्खियां होती हैं, जिसके लिए 7-8 बॉक्स की आवश्यकता होती है. प्रत्येक बॉक्स की कीमत लगभग 3 हजार रुपये होती है, जिससे एक कॉलोनी पर कुल खर्च 6 हजार रुपये आता है. वहीं माइग्रेट्री बी कीपिंग के माध्यम से, एक कॉलोनी से वार्षिक 40-50 किलो शहद प्राप्त किया जा सकता है. यदि कोई किसान 15 कॉलोनी स्थापित करता है तो लगभग 1 लाख रुपये की लागत में 750 किलो शहद उत्पादन संभव है, जिसकी बाजार में कीमत 3 लाख रुपये तक हो सकती है. इसके अतिरिक्त, प्रोपोलिस, बी वेनम और रॉयल जेली जैसे उत्पादों से भी अतिरिक्त आय प्राप्त होती है.

फसलों के पैदावार में सहायक

मधुमक्खियां खेतों और बागों की प्राकृतिक पराग कण प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाती हैं. फूलों और फलों वाली फसलों जैसे सेब, आम, नींबू, आदि के साथ मधुमक्खी पालन करने से फसलों की पैदावार बढ़ती है. साथ ही, मधुमक्खियां अन्य कीटों को भी दूर करती हैं, जिससे रसायनों की जरूरत कम होती है. किसान मधुमक्खी पालन को एक प्राकृतिक तरीका मानकर खेती में जैविक सुधार कर रहे हैं और बेहतर उत्पादन के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण भी कर रहे हैं.

शहद की मार्केटिंग और उत्पाद

मधुमक्खी पालन से केवल शहद ही नहीं, बल्कि इसके कई अन्य उत्पाद भी मिलते हैं जिनकी बाजार में मांग है. किसान शहद को कच्चे रूप में बेच सकते हैं या फिर उसे प्रॉसेस करके ब्रांडेड पैकेजिंग में बाजार में पेश कर बेहतर दाम पा सकते हैं. इससे मधुमक्खी पालन किसानों के लिए न सिर्फ आय का स्रोत बना है, बल्कि यह छोटे उद्योग के रूप में भी फल-फूल रहा है. यह व्यवसाय गांवों में रोजगार के नए अवसर भी पैदा कर रहा है.

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