राजस्थान में गिर गायों का कृत्रिम गर्भाधान, 23 जिलों में ब्राजीलियन सांड के सीमन का इस्तेमाल

राजस्थान सरकार ने दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए 23 जिलों में गिर नस्ल की गायों का कृत्रिम गर्भाधान शुरू किया है. राजस्थान सरकार का लक्ष्य है दूध उत्पादन में नंबर एक स्थान हासिल करना.

धीरज पांडेय
नोएडा | Updated On: 20 May, 2025 | 03:10 PM

राजस्थान दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में बड़ी छलांग लगाने की तैयारी में है. उत्तर प्रदेश को पीछे छोड़ने के लक्ष्य के साथ राज्य सरकार ने गिर नस्ल की गायों के कृत्रिम गर्भाधान की व्यापक योजना शुरू की है. ब्राजील से आयातित उच्च गुणवत्ता वाले गिर साड़ों के सीमन को राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत 23 जिलों में वितरित किया जा रहा है. इस पहल से दुग्ध उत्पादन में सुधार या बदलाव की उम्मीद जताई जा रही है.

20 लीटर दूध की मात्रा बढ़कर 50 लीटर होगी

राज्य सरकार का दावा है कि ब्राजील से मंगाए गए गिर सांडों के वीर्य (सीमन) से कृत्रिम गर्भाधान के जरिए पैदा होने वाली गायें अत्यधिक दूध उत्पादन क्षमता वाली होंगी. फिलहाल राज्य में गिर नस्ल की गायें औसतन 15 से 20 लीटर दूध देती हैं, लेकिन इस सीमन के उपयोग से यह उत्पादन 50 लीटर तक पहुंच सकता है. पशुपालन मंत्री जोराराम कुमावत ने बताया कि यह सीमन पशुपालकों को मात्र 100 रुपये में उपलब्ध कराया जा रहा है, ताकि हर स्तर का पशुपालक इसका लाभ उठा सके.

23 जिलों में पहले चरण की शुरुआत

पहले चरण में राज्य के छह संभागों के 23 जिलों को इस योजना में शामिल किया गया है. इनमें अजमेर, जयपुर, भरतपुर, उदयपुर, कोटा और जोधपुर संभाग के जिले शामिल हैं. अजमेर को 830, जयपुर को 600, भरतपुर को 200, कोटा को 400, उदयपुर को 500 और पाली (जोधपुर संभाग) को 150 डोज दिए गए हैं. इस चरण में कुल 2680 डोज का वितरण किया जा रहा है. ये सभी डोज पारंपरिक हिमकृत वीर्य के रूप में उपलब्ध हैं.

क्यों खास है गिर नस्ल का दूध

गिर नस्ल की गायों का दूध ‘ए-2’ प्रकार का होता है, जो सामान्य गायों के ‘ए-1’ दूध से अधिक स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है. ए-2 दूध में मौजूद बीटा-कैसिइन पाचन में आसान होता है और एलर्जी या गैस की समस्या से परेशान लोगों के लिए बेहतर विकल्प साबित होता है. गिर नस्ल का दूध न केवल स्वाद में बेहतर होता है, बल्कि इसमें वसा और प्रोटीन की मात्रा भी अधिक होती है, जिससे यह उच्च गुणवत्ता वाले डेयरी उत्पादों के लिए उपयुक्त माना जाता है.

10 हजार और डोज की भेजी गई मांग

राज्य में गिर नस्ल के मवेशियों की संख्या 10 लाख से अधिक है. ऐसे में पहले चरण के बाद योजना को और विस्तार देने की तैयारी है. पशुपालन मंत्री ने बताया कि दूसरे चरण के लिए भारत सरकार को 10 हजार अतिरिक्त सीमन डोज की मांग भेज दी गई है. ब्राजील की अच्छी नस्लों कि एसपेटाकुलो एफआईवी और आईवीए एफआईवी डी ब्राश के सांडों से प्राप्त यह सीमन आने वाले वर्षों में राजस्थान को दुग्ध उत्पादन में देश का अग्रणी राज्य बना सकता है.

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Published: 20 May, 2025 | 03:09 PM

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