जब खेती या पशुपालन की बात होती है, तो हमारे मन में गेहूं, चावल, गाय-बकरी या मुर्गी पालन जैसी आम तस्वीरें उभरती हैं. लेकिन बदलते दौर में यह परंपरागत सोच अब तेजी से बदल रही है. आज लोग खेती और जानवरों के पालन को सिर्फ खाने या घरेलू जरूरतों तक सीमित नहीं रखते, बल्कि इसे बड़े बिजनेस मॉडल में तब्दील कर चुके हैं. इसी कड़ी में एक नाम है मगरमच्छ. दक्षिण एशिया का सुंदर देश थाईलैंड, जहां की पहचान अब सिर्फ समुद्र तटों तक सीमित नहीं रही, बल्कि अब यह देश ‘क्रोकोडाइल फार्मिंग’ यानी मगरमच्छों की खेती के लिए भी दुनियाभर में मशहूर हो रहा है. तो चलिए जानते हैं क्यों थाईलैंड में लोग अपना रहे हैं मगरमच्छ पालन.
थाईलैंड बना ‘मगरमच्छों का हब’
रिपोर्ट्स के मुताबिक, थाईलैंड में 12 लाख से ज्यादा मगरमच्छ पाले जाते हैं, वो भी करीब 1000 से ज्यादा फार्मों में. इनमें कुछ फार्म ऐसे भी हैं जो कई दशकों से चल रहे हैं और अब ये देश की लोकल इकॉनमी का अहम हिस्सा बन चुके हैं. इन फार्मों को देखने के लिए हर साल हजारों पर्यटक पहुंचते हैं. मगर इन्हें पालने का मकसद सिर्फ दिखावा नहीं, बल्कि इसके पीछे एक बहुत बड़ा उद्योग चलता है.
मगरमच्छों को पालते क्यों हैं…
आपके मन में भी यही सवाल आ रहा होगा कि कोई मगरमच्छ जैसे खतरनाक जीव को आखिर क्यों पालेगा? इसका जवाब बहुत साफ है- पैसा!
1. स्किन (त्वचा) का कारोबार
मगरमच्छ की स्किन बहुत ही मजबूत, टिकाऊ और आकर्षक होती है. इससे महंगे लेदर बैग, बेल्ट, जूते, वॉलेट, जैकेट और सूटकेस बनाए जाते हैं.बता दें कि एक असली मगरमच्छ की स्किन से बना बैग लाखों रुपये में बिकता है.
2. मांस और खून का व्यापार
थाईलैंड में मगरमच्छ का मांस एक लग्जरी डिश माना जाता है. इसे पोषण से भरपूर और औषधीय गुणों से युक्त माना जाता है. इसके मीट की कीमत चिकन या मटन से कहीं ज्यादा होती है. वहीं, मगरमच्छ के खून की कीमत लगभग 1000 रुपये प्रति लीटर तक जाती है. इसे कुछ पारंपरिक औषधियों में इस्तेमाल किया जाता है, खासकर डायबिटीज, कैंसर और स्किन रोगों में.
3. पित्त (Gall bladder) का औषधीय महत्व
मगरमच्छ के पित्त में मौजूद एंजाइम और यौगिकों का उपयोग चीनी पारंपरिक चिकित्सा में होता है. इसकी कीमत करीब 75,000 रुपये प्रति किलो होती है. माना जाता है कि यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और पाचन सुधारने में मदद करता है.
कितना कमाते हैं किसान?
एक अच्छा मगरमच्छ फार्मर सालाना लाखों से करोड़ों रुपये तक की कमाई कर सकता है. एक मगरमच्छ से 2-3 लाख रुपये तक की कमाई संभव है अगर उसका स्किन, मीट, पित्त और ब्लड सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए.
क्या भारत में भी हो सकती है ऐसी खेती?
भारत में मगरमच्छों को संरक्षित वन्यजीव माना गया है. इन्हें पालना, मारना या व्यापार करना वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत गैरकानूनी है. भारत में मगरमच्छों का इस्तेमाल केवल वन्यजीव पार्क, चिड़ियाघर या संरक्षण परियोजनाओं में होता है.