अलग करने की चाह में अलवर के किसान ने शुरू की चंदन की खेती, करोड़ों की कमाई कराएंगे पेड़

चंदन के पेड़ों की रखरखाव करने वाले किसान रूपराम के बेटे सोनू ने बताया कि पौध लगाने के 15 साल बाद चंदन का पेड़ बिकने के लिए तैयार हो जाता है. वहीं चंदन से निकलने वाला तेल 60 से 70 हजार रुपए प्रति लीटर बिकता है.

विकास जायसवाल
अलवर | Published: 8 Jul, 2025 | 01:55 PM

किसान अपने खेतों में अकसर प्रयोग करते रहते हैं और इस कोशिश में रहते हैं कि वे ऐसी खेती करें जिससे उन्हें लंबे समय तक अच्छी कमाई मिले. ऐसा ही कुछ किया राजस्थान के अलवर में रहने वाले किसान रूपराम ने, जिन्होंने कुछ अलग करने की चाह में चंदन की खेती की शुरुआत की. चंदन, जो कि अपने खास औषधीय गुणों के कारण हमेशा से देश ही नहीं विदेश में भारी डिमांड में रहता है. हमारे देश में चंदन का इस्तेमाल कॉस्मेटिक उत्पादों को बनाने के साथ-साथ दवाओं को बनाने में भी किया जाता है.

वहीं बात करें भारत में चंदन की खेती की तो चंदन की पैदावार और निर्यात में भारत हमेशा से आगे रहा है. वैसे तो चंदन की खेती में दक्षिण भारत सबसे आगे है लेकिन अलवर के किसान रूपराम ने विषम परिस्थितियों में चंदन की खेती कर अन्य किसानों के लिए एक मिसाल पेश की है.

9 साल पहले शुरू की खेती

किसान रूपराम ने बताया की वो अन्य किसानों की तरह शुरुआत से ही खेतीबाड़ी और बागबानी करते आ रहे हैं लेकिन कुछ अलग करने की चाह में उन्होंने चंदन की खेती की शुरुआत की. उन्होंने बताया कि शुरुआत में उन्हें चंदन की खेती से जुड़ी कोई जानकारी नहीं थी. इसलिए उन्होंने अपने दोस्तों और उपलब्ध संसाधनों का इस्तेमाल कर चंदन की खेती के बारे में जानकारी जुटाई.

इसके बाद करीब 9 साल पहले आंध्रा से 300 से 550 रुपए कीमत के 300 चंदन के पेड़ लाकर अपने खेत में लगाए. किसान रूपराम बताते हैं कि 9 साल पहले लगाए गए चंदन के पेड़ अब धीरे-धीरे पककर तैयार हो रहे हैं.

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किसान रूपराम ने अपने खेत में लगाए 300 चंदन के पेड़

सही देखभाल और रखरखाव की जरूरत

किसान रूपराम ने बताया कि चंदन की खेती को ज्यादा देखभाल और मेहनत की जरूरत होती है. उन्होंने बताया कि खासकर सर्दियों के मौसम में दीमक और पाला चंदन के लिए बड़ी चुनौती के रूप में सामने आते हैं. इनसे चंदन के पेड़ों की सुरक्षा करने के लिए जरूरी है कि शुरू के तीन महीने में कीटनाशक ओर पेस्टीसाइड का इस्तेमाल किया जाए.

रूपराम बताते हैं कि बिना कीटनाशक या पेस्टीसाइड के भी चंदन की खेती की जा सकती है लेकिन इसमें पेड़ों के खराब होने का खतरा बढ़ जाता है. वे बताते हैं कि अगर सबकुछ ठीक रहा और सही से चंदन के पेड़ों की देखभाल की जाए तो किसानों को इसकी उपज से करोड़ों में कमाई मिलती है.

चंदन की खेती से मोटा मुनाफा

चंदन के पेड़ों की रखरखाव करने वाले किसान रूपराम के बेटे सोनू ने बताया कि पौध लगाने के 15 साल बाद चंदन का पेड़ बिकने के लिए तैयार हो जाता है. वहीं चंदन से निकलने वाला तेल 60 से 70 हजार रुपए प्रति लीटर बिकता है.बात करें अगर पूरी तरह से पके हुए पेड़ की तो एक पेड़ की कीमत 1 से 2 लाख रुपए के बीच होती है. हालांकि पेड़ की कीमत उसकी मोटाई पर निर्भर करती है. पेड़ जितना मोटा होगा उसकी कीमत उतनी ही ज्यादा होगी.

रूपराम की तरह ही डढ़ीकर-हाजीपुर के अलावा दूर दराज के किसान चंदन की खेती करने लगे हैं. अपनी खेती के लिए रूपराम लोगों के बीच लोकप्रिय हैं जिसके कारण आसपास और अन्य जिलों के किसान भी चंदन की खेती के बारे में जानकारी लेने रूपराम के पास आते हैं. लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं. 

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