झारखंड में पर्यावरण स्थिरता लाने और सामाजिक विकास, आर्थिक मजबूती के साथ ही टिकाऊ खेती को बढ़ावा देने के लिए 30 संगठनों ने एकजुटता दिखाई है. इन सिविल सोसाइटी संगठनों ने मिलकर “सारथी – झारखंड जस्ट ट्रांजिशन नेटवर्क” का गठन किया. यह देश का पहला नेटवर्क है जो जस्ट ट्रांजिशन पर काम करेगा. इसका हिस्सा बने नाबार्ड ने भी क्लाइमेट चेंज, टिकाऊ खेती, जलवायु अनुकूल खेती पर समुदायों के साथ काम करने पर जोर दिया. इसके साथ चंदनक्यारी-बोकारो विधायक उमाकांत रजक ने कहा कि तेंदू पत्ता, लाह, महुआ उत्पादों के लिए ट्रेनिंग जरूरी है.
सारथी – झारखंड जस्ट ट्रांजिशन नेटवर्क के तहत आमंत्रित विशेषज्ञ अतिथियों ने जस्ट ट्रांजिशन को लेकर अपनी बातें रखीं. बताया गया कि यह नेटवर्क झारखंड राज्य के लिए हरित एवं समावेशी और लगातार विकास के लिए राज्य सरकार, सामाजिक संगठनों, शोध संस्थाओं, पर्यावरण कार्यकर्ताओं और स्थानीय प्रतिनिधियों के साथ काम करेगा. वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग के सचिव अबूबकर सिद्दिकी ने कहा कि बदलाव तो होगा ही, इसे रोका नहीं जा सकता, लेकिन यह बदलाव, विकास समावेशी, सामाजिक, सांस्कृतिक विविधता को ध्यान में रखकर किया गया हो और टिकाऊ हो. सबसे कमजोर आदमी को भी साथ में लेना है. इसके लिए हर एक फील्ड के एक्सपर्ट की जरूरत होगी.
विकास यात्रा में कोई समुदाय हाशिये पर नहीं रहेगा
सचिव अबूबकर सिद्दिकी ने कहा कि “सारथी” नेटवर्क का उद्देश्य है कि झारखंड की विकास यात्रा में कोई भी समुदाय हाशिए पर ना रहे और इस यात्रा में उनकी सक्रिय भूमिका रहे. इनमें विशेषकर वन, खनन और पारंपरिक आजीविका पर निर्भर रहने वाले समुदाय शामिल हैं. गिरीडीह जिले से वनवासी विकास आश्रम और अभिव्यक्ति संस्था इस नेटवर्क की अगुआई करेंगी. ये दोनों संस्थाएं कई वर्षों से समाज के वंचित और वनवासी समुदायों के साथ जुड़कर काम कर रही हैं.
झारखंड के बादलाव के लिए पॉजिटिव नैरेटिव बनाना जरूरी
झारखंड सरकार में सस्टेनेबल जस्ट ट्रांजिशन टास्क फोर्स के चेयरपर्सन रिटायर्ड आईएफएस एके स्तोगी ने कहा कि झारखंड से कोयला कई राज्यों में जाता है. प्रदेश के 18 जिलों की इकोनॉमी फॉसिल फ्यूल पर टिकी है. 70 प्रतिशत बिजली आज भी देश में कोयले से बन रही है. इसीलिए रातों-रात बदलाव नहीं आ सकता, लेकिन बदलाव लाने के लिए सारथी जैसे नेटवर्क की जरूरत है. जस्ट ट्रांजिशन के लिए एक पॉजिटिव नैरेटिव बनाने की जरूरत है, ताकि इसके प्रति लोग जागरूक हों.
मछली पालन समेत रोजगार देने वाले कार्यक्रम चल रहे
फ़िया फाउंडेशन के निदेशक जॉनसन टोपनो ने कहा कि सारथी नेटवर्क में समुदाय को साथ लेकर नीतिगत फैसले लिए जाएंगे. जस्ट ट्रांजिशन की प्रक्रिया में इन समुदायों को शामिल किया जाएगा और और इनकी बेहतरी, सुरक्षा के लिए उनके साथ मिलकर काम किया जाएगा. सीएमपीडीआई में तकनीकी निदेशक शंकर नागाचारी ने कहा कि इसी साल जनवरी 2025 में माइन क्लोजर को लेकर जारी गाइडलाइन के तहत माइन क्लोजर के लिए इको रेस्टोरेशन, मछली पालन, माइन वाटर इरिगेशन, इको पार्क सहित कई अन्य टिकाऊ और रोजगारोन्मुखी संरचना निर्माण के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं.
टिकाऊ खेती के जरिए किसानों के साथ हो रहा काम
नाबार्ड के सीजीएम गौतम कुमार सिंह ने कहा कि नाबार्ड झारखंड सहित पूरे देश में 90 के दशक से कई विषयों पर काम कर रहा है. इसमें क्लाइमेट चेंज, टिकाऊ कृषि, जलवायु समर्थ कृषि पर समुदायों के साथ काम किया जा रहा है. झारखंड में तसर के प्लांटेशन बढ़ाने में कई संस्थाओं और समुदायों के साथ भी काम शुरू किया है. झारखंड में 250 से अधिक FPOs हैं. इससे किसानों को अपने उत्पाद खुद ही मार्केट करने के अवसर पैदा हो रहे हैं.
तेंदू पत्ता, लाह, महुआ उत्पादों के लिए ट्रेनिंग जरूरी
चंदनक्यारी-बोकारो विधायक उमाकांत रजक ने कहा कि सारथी नेटवर्क का गठन सराहनीय प्रयास है. इसमें कई एनजीओ जुड़े हैं. इस नेटवर्क से सामाजिक स्तर पर लोगों को रोजगार देने की पहल सराहनीय है. झारखंड प्राकृतिक रूप से संपन्न राज्य है, इसीलिए यहां वनोत्पाद से रोजगार के लिए काफी अवसर हैं. इसमें सिविल सोसायटी ग्रुप काफी मदद करते हैं. वनोत्पाद में तेंदू पत्ता, लाह, महुआ से बनाए जाने वाले उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए समुदाय की स्किल ट्रेनिंग जरूरी है. स्किल बढे़गी तो मार्केट मिलेगा और लोगों को आर्थिक लाभ होगा.
- रामतिल का एमएसपी 820 रुपये बढ़ा, सभी फसलों पर पिछले और इस साल के MSP में अंतर देखें
- गन्ना की खेती को मॉडर्न बना रहे 16 साल के यश, 101 प्रोजेक्ट से किसानों का 18 फीसदी बढ़ाया उत्पादन
- तुर्की बायकॉट के बीच पानी मांग रहा पाकिस्तान.. चिट्ठी पर फैसला लेगा भारत?
- गन्ना किसानों के लिए बड़ा फैसला, FRP 15 रुपये बढ़ाया, जानिए अब कितना मिलेगा दाम