बारिश के अभाव में सूख रही धान की फसल, खेतों में आईं दरारें.. किसानों को नुकसान

भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, 1 जून से 25 जून के बीच श्रीनगर में सामान्य औसत के मुकाबले 65 फीसदी कम बारिश हुई. इससे सिंचाई की समस्या उत्पन्न हो गई है.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 2 Jul, 2025 | 06:45 PM

कश्मीर में कम बारिश के चलते किसानों की चिंता बढ़ गई है. सिंचाई के अभाव में फसलें झुलस रही हैं. साथ ही धान के खेतों में दरारें आ गई हैं. क्योंकि जून महीने के दौरान बहुत ही कम बारिश हुई, जिससे नदियां और नहरें सूख गईं. खास कर कश्मीर के उत्तर और दक्षिण दोनों हिस्सों में कम बारिश होने से बड़े स्तर पर फसलों को नुकसान पहुंचा है. आलम यह है कि अब हजारों किसान अपनी फसल बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, अनंतनाग जिले के किसान मोहम्मद रमजान ने कहा कि लगातार गर्मी से धान के खेत सूख गए हैं. उन्होंने कहा कि उनके इलाके की मुख्य सिंचाई नहर लगभग सूख चुकी है. घाटी में कई सिंचाई स्रोत या तो पूरी तरह सूख गए हैं या उनमें बहुत कम पानी बचा है. यहां तक कि कश्मीर की जीवन रेखा मानी जाने वाली झेलम नदी का जलस्तर भी कई जगहों पर घुटनों से नीचे पहुंच गया है.

65 फीसदी कम हुई बारिश

भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, 1 जून से 25 जून के बीच श्रीनगर में सामान्य औसत के मुकाबले 65 फीसदी कम बारिश हुई. बांदीपोरा में 71 फीसदी, कुलगाम में 62 फीसदी, शोपियां में 44 फीसदी, बारामूला में 47 फीसदी, गांदरबल में 54 फीसदी, कुपवाड़ा में 36 फीसदी और पुलवामा में 13 फीसदी की बारिश की कमी दर्ज की गई. इसके साथ ही तापमान भी तेजी से बढ़ा है. 30 जून को श्रीनगर में तापमान 34.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जो सामान्य से करीब 5 डिग्री ज्यादा है.

सिंचाई के लिए पानी की किल्लत

IMD जम्मू-कश्मीर के डायरेक्टर डॉ. मुख्तार अहमद ने कहा कि जब तक बारिश नहीं होगी, तापमान लगातार बढ़ेगा, चाहे मौसम कोई भी हो. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि 5 से 7 जुलाई के बीच बारिश की संभावना है. बता दें कि पिछले महीने कश्मीर के हंदवाड़ा से एक किसान का वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वह बाल्टी से खेतों में पानी डाल रहा था. यह वीडियो इलाके में बिगड़ते हालात और किसानों की मुश्किलों को दिखाता है.

1.29 लाख हेक्टेयर में धान की खेती

वहीं, बार-बार की इस संकटपूर्ण स्थिति के चलते किसान अब फसल पैटर्न बदल रहे हैं. हजारों किसान धान की खेती छोड़कर अब सेब की बागवानी की ओर रुख कर रहे हैं, क्योंकि लगातार हो रहे नुकसान और कम मुनाफे ने उन्हें मजबूर कर दिया है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2012 में कश्मीर में करीब 1.62 लाख हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती होती थी, जो 2023 तक घटकर 1.29 लाख हेक्टेयर रह गई. यानी करीब 33,000 हेक्टेयर में धान की खेती बंद हो चुकी है.

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Published: 2 Jul, 2025 | 06:43 PM

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