पूसा-44 पर बैन के बाद किसानों के लिए बेहतर विकल्प बना बासमती, ऐसे होगी बंपर कमाई

पंजाब में हाइब्रिड और पूसा-44 धान पर बैन के बाद बासमती एक टिकाऊ विकल्प बनकर उभरा है. बासमती की अंतरराष्ट्रीय मांग बढ़ रही है और 1121 धान 5,000 रुपये क्विंटल तक बिक रहा है.

वेंकटेश कुमार
नोएडा | Updated On: 8 Jun, 2025 | 11:02 AM

पंजाब में हाइब्रिड और पूसा-44 धान की किस्मों पर बैन लगने के बाद किसानों के लिए बासमती एक बेहतर विकल्प के रूप में उभर सकता है. हालांकि किसानों और बीज विक्रेताओं को शुरुआत में कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन कुछ इलाकों में बासमती के बेहतर दाम किसानों की चिंता को थोड़ा कम कर सकते हैं. दरअसल, पिछले साल पंजाब सरकार ने हाइब्रिड धान के बीजों की बिक्री पर रोक लगाई थी, क्योंकि इससे चावल की रिकवरी और मिलिंग क्वालिटी कमजोर पाई गई थी.

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पूसा-44 समेत हाइब्रिड किस्मों को किसानों में इसलिए लोकप्रियता मिली थी क्योंकि ये जल्दी पकती थीं और कुछ तात्कालिक फायदे देती थीं. 2000 के शुरुआती वर्षों में ये किस्में मुख्य रूप से मुक्तसर, मलोट और गिद्दड़बाहा जैसे ज्यादा नमी वाले इलाकों में शुरू हुई थीं, लेकिन धीरे-धीरे ये पूरे पंजाब में फैल गईं. खासकर माजे के गुरदासपुर और अमृतसर तथा दोआबा के जालंधर और होशियारपुर में इसकी बड़े पैमाने पर खेती होने लगी. वहीं, 2023-24 में पंजाब में 26 लाख टन बासमती का उत्पादन हुआ था, जो 2024-25 में बढ़कर 32 लाख टन तक पहुंच गया. अंतरराष्ट्रीय मांग के चलते 1121 धान कुछ इलाकों में 5,000 प्रति क्विंटल तक बिक रहा है.

इन किस्मों की वैश्विक मांग बहुत ज्यादा

बासमती राइस मिलर एंड एक्सपोर्टर एसोसिएशन के उपाध्यक्ष रंजीत सिंह जोसां ने कहा कि हाइब्रिड किस्मों और पूसा-44 पर बैन लगने के बाद बासमती धान अब एक बेहतर और टिकाऊ विकल्प बन गया है. उन्होंने कहा कि बासमती न सिर्फ कम पानी की खपत करता है, बल्कि देश और विदेश दोनों बाजारों में अच्छे दाम भी देता है. जोसां ने कहा कि बासमती की 1121, 1885, 1509, 1718 और 1401 जैसी किस्मों की वैश्विक मांग बहुत ज्यादा है और पंजाब में इसकी मार्केटिंग की मजबूत व्यवस्था है.

पंजाब में बासमती का उत्पादन बढ़कर 32 लाख टन

उन्होंने कहा कि 2023-24 में पंजाब में 26 लाख टन बासमती का उत्पादन हुआ था, जो 2024-25 में बढ़कर 32 लाख टन तक पहुंच गया है. फिलहाल, अंतरराष्ट्रीय मांग के चलते 1121 धान 5,000 रुपये प्रति क्विंटल तक बिक रहा है. आगे उन्होंने कहा कि मांग बढ़ने के कारण किसानों को आने वाले समय में और बेहतर कीमतें मिल सकती हैं. राज्य सरकार को चाहिए कि वह किसानों को जागरूक करे, उन्हें सही मार्गदर्शन दे, बीजों की गुणवत्ता सुनिश्चित करे और निर्यात को बढ़ावा दे ताकि किसान आसानी से बासमती की खेती की ओर बढ़ सकें.

बासमती धान की खेती में 40 फीसदी बढ़ोतरी का लक्ष्य

पिछले साल राज्य सरकार ने बासमती धान की खेती में 40 फीसदी बढ़ोतरी का लक्ष्य रखा था. इस साल सरकार ने इसे बढ़ाकर 10 लाख हेक्टेयर करने का लक्ष्य तय किया है, जो 2023 के 5.96 लाख हेक्टेयर से काफी ज्यादा है. साथ ही, इस बार बासमती क्षेत्र में से एक लाख हेक्टेयर पर डायरेक्ट सीडिंग ऑफ राइस (DSR) तकनीक अपनाने पर जोर दिया जा रहा है. बासमती की खेती करने वाले किसान भी DSR तकनीक को अपना सकते हैं और उन्हें इसके लिए प्रति एकड़ 1,500 रुपयये की प्रोत्साहन राशि भी दी जा रही है. पठानकोट, गुरदासपुर, अमृतसर और तरनतारन जैसे बासमती बेल्ट वाले जिलों के किसान खासकर PUSA 1509 किस्म के लिए DSR अपनाने में रुचि दिखा रहे हैं.

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Published: 8 Jun, 2025 | 10:56 AM

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