Paddy cultivation: हरियाणा के अंबाला जिले में धान की फसल में गंभीर बीमारी लग गई है. खास कर दक्षिणी राइस ब्लैक स्ट्रिक्ड ड्वार्फ वायरस (Southern Rice Black Streaked Dwarf Virus) के फैलाव से जिले के धान किसानों में चिंता बढ़ गई है. कृषि विभाग के अनुसार, यह वायरस जिले के साहा, नारायणगढ़ और मुलाना क्षेत्रों में करीब 400 एकड़ में फैला है. किसानों का कहना है कि हाइब्रिड, परमल किस्मों और जल्दी बोई गई फसलों में इस वायरस के लक्षण दिख रहे हैं. कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, यह वायरस सफेद पीठ वाले पत्ती चूसक कीट (white-backed plant hopper) से फैलता है. यह पौधों की बढ़त रोक देता है, जिससे पौधे पूरी तरह पोषण नहीं ले पाते और विकास रुक जाता है, जिससे उपज घट जाती है.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, कृषि विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि वे प्रभावित पौधों को उखाड़कर जमीन में दबा दें. साथ ही खेतों में जल निकासी व्यवस्था सही रखें और फसल की नियमित निगरानी करें. इसके अलावा कीट नियंत्रण के लिए विभाग द्वारा सुझाए गए कीटनाशकों का इस्तेमाल करें. हमीदपुर गांव के पूर्व सरपंच और किसान जसबीर सिंह ने कहा कि उन्होंने 54 एकड़ में धान बोया है, जिसमें से 14 एकड़ में फसल वायरस से प्रभावित हुई है. खासकर जल्दी बोई गई किस्मों में असर दिख रहा है. साल 2022 में भी यह बीमारी धान की फसल को नुकसान पहुंचा चुकी है.
किसानों पर बढ़ेगा आर्थिक बोझ
फिलहाल खेतों में सफेद पीठ वाले कीट दिख रहे हैं. राइस रिसर्च स्टेशन कौल, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ राइस रिसर्च हैदराबाद और कृषि विज्ञान केंद्र टेपला की टीमें खेतों का दौरा कर कीटों और प्रभावित पौधों के सैंपल जांच के लिए ले गई हैं. किसानों ने कहा कि वैज्ञानिकों ने बीमारी को रोकने के लिए कुछ कीटनाशकों की सिफारिश की है, लेकिन इससे किसानों पर प्रति एकड़ करीब 2,000 रुपये का आर्थिक बोझ पड़ेगा. मिली जानकारी के मुताबिक, विशेषज्ञों की टीमें हमीदपुर, नोहनी और ब्राह्मण माजरा सहित कई गांवों के खेतों का दौरा कर सैंपल ले चुकी हैं.
फसल की पैदावार में आएगी गिरावट
अंबाला के डिप्टी डायरेक्टर एग्रीकल्चर (DDA) डॉ. जसविंदर सैनी ने कहा कि साउदर्न राइस ब्लैक स्ट्रिक्ड ड्वार्फ वायरस फसल की उत्पादकता के लिए गंभीर खतरा है. अगर समय पर नियंत्रण न किया गया, तो फसल की पैदावार में 80 से 90 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है. रिपोर्ट्स मिलने के बाद कृषि विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों की टीमें खेतों का दौरा कर चुकी हैं. शुरुआती जानकारी के अनुसार मुलाना, साहा और नारायणगढ़ क्षेत्रों में करीब 400 एकड़ में इस वायरस के लक्षण देखे गए हैं. किसानों को सलाह दी गई है कि वे फसलों की निगरानी करते रहें और यदि वायरस या सफेद पीठ वाले पत्ती चूसक कीट दिखें तो तुरंत कृषि विभाग से संपर्क करें. इसके अलावा, सुझाए गए कीटनाशकों का इस्तेमाल करने की भी सलाह दी गई है.