पश्चिम बंगाल के लाखों ग्रामीण परिवारों के लिए खुशखबरी है. करीब तीन साल से बंद पड़ी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) योजना अब फिर से 1 अगस्त 2025 से लागू हो जाएगी. यह आदेश कलकत्ता हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को दिया है. इस फैसले से राज्य के ग्रामीण इलाकों में रोजगार की रफ्तार फिर से बढ़ेगी और हजारों परिवारों को रोजगार मिलेगा.
मनरेगा योजना क्या है?
मनरेगा योजना भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है, जिसका मकसद ग्रामीण परिवारों को सालाना कम से कम 100 दिन का रोजगार देना है. यह योजना खासकर उन लोगों के लिए है जो अकुशल मजदूरी करने को तैयार हैं. इससे न केवल उनकी आमदनी होती है, बल्कि वे अपने गांवों में टिकाऊ विकास कार्यों जैसे सड़क, नहर, तालाब और कुओं के निर्माण में भी योगदान देते हैं. अगर किसी को 15 दिनों के अंदर काम नहीं मिलता, तो उसे बेरोजगारी भत्ता भी दिया जाता है, जो एक सुरक्षा कवच की तरह काम करता है.
योजना क्यों रुकी थी?
पश्चिम बंगाल में मार्च 2022 में मनरेगा योजना को निलंबित कर दिया गया था. इसका कारण था योजना के क्रियान्वयन में मिली व्यापक अनियमितताएं. 63 कार्यस्थलों के निरीक्षण में 31 जगहों पर गड़बड़ियां पाई गई थीं. इसके बाद केंद्र ने पश्चिम बंगाल को योजना के तहत मिलने वाली राशि रोक दी थी. हालांकि, अन्य राज्यों में भी अनियमितताओं की रिपोर्ट थीं, लेकिन वहां इस तरह के प्रतिबंध नहीं लगाए गए थे.
हाईकोर्ट का आदेश और केंद्र की जिम्मेदारी
कलकत्ता हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि मनरेगा योजना को अनिश्चितकाल तक बंद नहीं रखा जा सकता. अदालत ने कहा कि केंद्र सरकार को योजना लागू करते समय विशेष शर्तें और नियम बनाने का अधिकार है ताकि पिछले गलतियों को दोहराया न जाए. साथ ही, अनियमितताओं की जांच जारी रहेगी और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई भी होगी. कोर्ट ने यह भी कहा कि योजना का पुनः क्रियान्वयन जनहित में है और इससे ग्रामीण इलाकों में रोजगार मिलेगा.
ग्रामीणों के लिए राहत और उम्मीद
मनरेगा योजना ग्रामीण इलाकों में रोजगार के नए अवसर पैदा करती है, जिससे ग्रामीण परिवारों की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है. खासकर महिलाओं को रोजगार देने से वे सशक्त बनती हैं और समाज में अपनी भूमिका निभाने में सक्षम होती हैं. इस योजना से न केवल गरीबी कम होती है, बल्कि ग्रामीण विकास भी होता है.