घर उजड़ा या खेत बहा ले गई बारिश? जानिए सरकार से कैसे मिल सकता है मुआवजा
अगर प्राकृतिक आपदा में जान-माल का नुकसान हो जाए तो सरकार की तरफ से मुआवजे का प्रावधान होता है. केंद्र और राज्य दोनों सरकारें मिलकर यह सहायता देती हैं, जो राष्ट्रीय आपदा राहत कोष (NDRF) और राज्य आपदा राहत कोष (SDRF) से दी जाती है.
बारिश, बाढ़, भूस्खलन या बादल फटने जैसी प्राकृतिक आपदाएं अक्सर अचानक आती हैं और पीछे छोड़ जाती हैं तबाही का मंजर. ऐसे हालात में सबसे बड़ा सवाल होता है अब क्या करें? जिन लोगों के घर गिर गए, दुकानें बर्बाद हो गईं या किसी अपने की जान चली गई, उनके लिए सरकार की ओर से राहत की व्यवस्था होती है. लेकिन बहुत से लोग यह नहीं जानते कि मदद कैसे मिलेगी, कहां अप्लाई करना है, और कितना मुआवजा मिल सकता है. तो चलिए जानते हैं पूरी डिटेल्स.
कौन-कौन सी आपदाएं कवर होती हैं?
- बादल फटना (Cloudburst)
- भूस्खलन (Landslide)
- बाढ़ (Flood)
- तेज बारिश से घर/खेत को नुकसान
- प्राकृतिक कारणों से जानमाल का नुकसान
कौन देता है मुआवजा?
मुआवजा केंद्र और राज्य सरकार, दोनों की ओर से दिया जाता है. इसके लिए दो प्रमुख राहत कोष बनाए गए हैं, राष्ट्रीय आपदा राहत कोष (NDRF) और राज्य आपदा राहत कोष (SDRF). इन दोनों फंड्स के जरिए प्रभावित किसानों और पशुपालकों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है. यह मुआवजा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत तय दिशा-निर्देशों के अनुसार दिया जाता है, ताकि प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान की भरपाई हो सके.
कितना मुआवजा मिलता है?
अगर प्राकृतिक आपदा में जान-माल का नुकसान हो जाए तो सरकार की तरफ से मुआवजे का प्रावधान होता है. केंद्र और राज्य दोनों सरकारें मिलकर यह सहायता देती हैं, जो राष्ट्रीय आपदा राहत कोष (NDRF) और राज्य आपदा राहत कोष (SDRF) से दी जाती है. यह व्यवस्था राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत लागू है.
किसी की मृत्यु होने पर परिजनों को केंद्र सरकार की तरफ से ₹2 लाख और राज्य सरकार की तरफ से ₹2 से ₹4 लाख तक की सहायता दी जाती है. वहीं अगर कोई व्यक्ति गंभीर रूप से घायल होता है तो उसके इलाज का पूरा खर्च सरकार उठाती है.
अगर आपदा में किसी का घर पूरी तरह ढह जाए तो पक्के घर के लिए ₹95,100 और झोपड़ी के लिए ₹5,200 का मुआवजा तय है. खेत की फसल अगर बर्बाद हो जाए तो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से राशि तय की जाती है, जो फसल के प्रकार पर निर्भर करती है. पशु हानि होने पर भी प्रति जानवर तय दर के अनुसार सहायता मिलती है.
हालांकि, ये सभी मुआवजा राशि राज्य सरकार की नीति और स्थिति के अनुसार थोड़ी बहुत अलग हो सकती है.
मुआवजा पाने के लिए कैसे करें आवेदन?
स्थानीय दफ्तर को सूचना दें
सबसे पहले ग्राम पंचायत, नगरपालिका या ब्लॉक कार्यालय में जाकर लिखित में सूचना दें कि आपके घर/फसल/जान का नुकसान हुआ है.
प्रशासन करेगा सर्वे
सरकारी अफसर मौके पर आकर नुकसान का सर्वे करेंगे, फोटो और वीडियो लेंगे और रिपोर्ट तैयार करेंगे.
- दस्तावेज तैयार रखें
- पहचान पत्र (आधार/मतदाता ID)
- घर या जमीन के दस्तावेज
- नुकसान की तस्वीरें
- मृत्यु प्रमाण पत्र और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट (यदि मौत हुई हो)
रिपोर्ट के बाद राहत मंजूर
जिला प्रशासन रिपोर्ट बनाकर राज्य सरकार को भेजता है. स्वीकृति के बाद बैंक खाते में मुआवजा राशि आती है.
क्या ध्यान रखें?
आपदा या नुकसान की स्थिति में मुआवजा पाने के लिए सबसे जरूरी है कि घटना के तुरंत बाद ही प्रशासन को इसकी सूचना दी जाए. अगर समय रहते जानकारी नहीं दी गई, तो सर्वेक्षण में मामला दर्ज नहीं हो पाएगा और मुआवजे से वंचित रहना पड़ सकता है. अफसरों से पूरा सहयोग करें और सही जानकारी दें, ताकि प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ सके. यह पूरी प्रक्रिया पारदर्शी होती है, लेकिन कभी-कभी इसमें थोड़ा समय लग सकता है, इसलिए धैर्य रखना जरूरी है. अब कुछ राज्य ऑनलाइन आवेदन की सुविधा भी देने लगे हैं, जिसकी जानकारी आपको अपने क्षेत्र के तहसील कार्यालय या जिला पोर्टल से मिल सकती है.