प्रोत्साहन के बावजूद ऑर्गेनिक खेती के रकबे में गिरावट, इस वजह से किसानों ने बनाई दूरी

हरियाणा में ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के दावों के बावजूद इस साल सिर्फ 1,357 एकड़ में खेती हुई है. किसानों को बाजार, भुगतान और प्रमाणन में दिक्कतें आ रही हैं, जिससे उनकी रुचि घटती जा रही है.

नोएडा | Updated On: 24 Aug, 2025 | 09:28 PM

हरियाणा सरकार भले ही प्राकृतिक और ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के दावे कर रही हो, लेकिन जमीनी सच्चाई इसके बिल्कुल उलट नजर आ रही है. वित्तीय वर्ष 2025-26 में अब तक केवल 1,357 एकड़ जमीन पर ही प्राकृतिक खेती की गई है, जो पिछले चार वर्षों में सबसे कम है. यह जानकारी हरियाणा विधानसभा के मॉनसून सत्र के पहले दिन सामने आई, जब कांग्रेस विधायक पूजा चौधरी ने इस विषय पर सवाल उठाया.

चार सालों में सबसे कम खेती, आंकड़े चौंकाने वाले

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, विधानसभा में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा ने बताया कि वर्ष 2022-23 से हरियाणा में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है.

यानी दो साल की तेजी के बाद, अब इसमें भारी गिरावट देखने को मिली है. हालांकि, मंत्री ने यह भी कहा कि अभी गेहूं व अन्य फसलों की बुआई बाकी है, जिससे यह आंकड़ा थोड़ा बढ़ सकता है.

सरकार ने शुरू की थी योजना, लेकिन किसानों में उत्साह नहीं

राज्य सरकार ने 2022-23 से सस्टेनेबल एग्रीकल्चर और किसान कल्याण कोष योजना के तहत प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना शुरू किया था. इसके तहत किसानों को ऑर्गेनिक खेती की ट्रेनिंग, बीज और बाजार तक पहुंच जैसी सुविधाएं देने का वादा किया गया था. लेकिन अब तक किसानों में इसका भरोसा नहीं बन पाया है. कारण साफ हैं- ऑर्गेनिक उत्पादों की बिक्री में कठिनाई, प्रमाणन की कमी, और उचित लाभ न मिलना.

सरकार ने उठाए कई कदम, फिर भी नहीं दिखा असर

मंत्री राणा ने बताया कि सरकार ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं:-

प्रमाणीकरण के लिए हरियाणा राज्य बीज प्रमाणीकरण एजेंसी (HSSCA) को अधिकृत किया गया है. प्रयोगशालाएं स्थापित करने का निर्णय- गुरुग्राम और हिसार में प्राकृतिक उत्पादों की जांच और प्रमाणन के लिए दो नई लैब बनाई जा रही हैं. लेकिन ये सभी कदम कागजों तक ही सीमित लगते हैं क्योंकि किसानों को अब भी असल लाभ नहीं मिल रहा है.

क्यों घट रही है ऑर्गेनिक खेती की रुचि?

विशेषज्ञों के अनुसार ऑर्गेनिक खेती में उत्पादन धीमा होता है और बाजार में इसके उत्पादों की कीमत सही नहीं मिलती. साथ ही प्रमाणन की प्रक्रिया जटिल और महंगी होने के कारण किसान दोबारा पारंपरिक खेती की ओर लौट रहे हैं. इसके अलावा, किसान यह भी कहते हैं कि सरकार केवल योजना का प्रचार कर रही है, जमीनी स्तर पर सहयोग नहीं मिल रहा. यही कारण है कि चार सालों में इतनी तेजी से गिरावट देखने को मिल रही है.

Published: 24 Aug, 2025 | 09:26 PM

Topics: