लहसुन खेती का वैज्ञानिक तरीका, कम हो जाएगा खर्च.. पराली के इस्तेमाल से बढ़ जाएगी उपज

किसान लहसुन बुवाई करने से पहले खेत की गहरी जुताई करें और उसमें अच्छी मात्रा में जैविक खाद मिलाकर मिट्टी को उपजाऊ बनाएं. साथ ही बुवाई हमेशा पंक्ति में ही करें. पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी करीब 10 सेंटीमीटर रखनी चाहिए.

नोएडा | Updated On: 26 Nov, 2025 | 01:13 PM

Garlic Farming: बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में किसान अभी भी लहसुन की बुवाई कर रहे हैं. वहीं, कई ऐसे भी किसान हैं, जो लहसुन की बुवाई करने के लिए खेत ही तैयार कर रहे हैं. लेकिन किसानों को लहसुन बुवाई करने से पहले कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए, नहीं तो पैदावार में गिरावट आ सकती है. कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, अक्टूबर से दिसंबर तक का महीना लहसुन बुवाई के लिए बेहतर माना गया है. लेकिन लहसुन की अच्छी पैदावार के लिए किसानों को शुरुआत से ही अच्छी तैयारी करनी चाहिए. नहीं तो एक छोटी सी गलती से फसल को नुकसान पहुंच सकता है और पैदावार पर असर पड़ेगा. तो आइए आज जानते हैं लहसुन की बुवाई को लेकर क्या है कृषि वैज्ञानिकों की सलाह.

कृषि एक्सपर्ट के मुताबिक, लहसुन की बुवाई करते समय पौधों के बीच सही दूरी और खरपतवार नियंत्रण  पर ध्यान देना चाहिए. खेत में पुआल बिछाना चाहिए. इससे खरपतवार नियंत्रित रहते हैं. इस विधि में कोई खर्च नहीं आता है और किसानों को कीटनाशक पर होने वाले खर्च और मेहनत से भी राहत मिलती है. एक्सपर्ट का कहना है कि लहसुन की खेती  कम लागत में भी बहुत फायदेमंद साबित हो सकती है. लेकिन इसके लिए किसानों को कुछ जरूरी बुनियादी बातों का ध्यान रखना चाहिए.

कितनी दूरी पर करें पौधों की बुवाई

यानी किसान लहसुन बुवाई करने से पहले खेत की गहरी जुताई करें और उसमें अच्छी मात्रा में जैविक खाद मिलाकर मिट्टी को उपजाऊ बनाएं. साथ ही बुवाई हमेशा पंक्ति में ही करें. पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी करीब 10 सेंटीमीटर रखनी चाहिए. खास बात यह है कि लहसुन की खेती में खरपतवार सबसे बड़ी चुनौती होती है. इसलिए बुवाई के तुरंत बाद पंक्तियों को धान के पुआल या बाजरे के सूखे डंठल से ढक देना चाहिए. इससे खरपतवार काफी कम उगते हैं और बार-बार मजदूर लगाकर निराई-गुड़ाई करने की जरूरत नहीं पड़ती.

खेती में कम हो जाएगी लागत

कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि लहसुन की खेती में कुल लागत का सबसे बड़ा हिस्सा खरपतवार प्रबंधन  में ही जाता है. ऐसे में पुआल से मल्चिंग करना किसानों के लिए बेहद किफायती और लाभदायक तरीका साबित होता है. इस तरीके से लहसुन की खेती करने पर किसानों को औसतन 40 हजार रुपये प्रति एकड़ खर्च आते हैं. साथ ही फसल लगभग 130 दिनों में तैयार हो जाती है. 

लहसुन की इन किस्मों की करें बुवाई

बड़ी बात यह है कि लहसुन की बाजार में अच्छी मांग  हो तो किसान अपनी लागत का दोगुना मुनाफा भी कमा सकते हैं. इसके अलावा, अच्छी पैदावार के लिए गुणवत्तापूर्ण किस्मों का चयन करना बहुत जरूरी है. अगर किसान लहसुन की किस्म जी-50, जी-202, जी-323 और एक्रीफाउंड व्हाइट की बुवाई करते हैं, तो अच्छी उपज होगी. क्योंकि ये किस्में ज्यादा उत्पादन के लिए जानी जाती हैं. इन किस्मों को अपनाकर किसान आसानी से अपनी कमाई बढ़ा सकते हैं.

Published: 26 Nov, 2025 | 01:07 PM

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