खेतों में लगाएं ड्रिप इरिगेशन सिस्टम, 70 फीसदी तक सिंचाई का पानी बचेगा और किसानों का खर्चा घटेगा

परंपरागत तरीके से खेती करने में किसानों को सिंचाई के लिए खेतों में नालियां बनानी पड़ती है साथ ही फसल को जरूरत से ज्यादा पानी न मिले इसकी निगरानी भी करनी पड़ती है. जबकि ड्रिप सिस्टम में किसानों को ये मेहनत नहीं करनी पड़ती है.

नोएडा | Updated On: 28 Aug, 2025 | 12:57 PM

देश में आज भी खेती करने वाले किसानों में ज्यादातर ऐसे हैं जो फसलों की सिंचाई के लिए मॉनसून सीजन पर निर्भर करते हैं. लगातार घटते जल-स्तर के चलते किसानों के सामने फसलों की सिंचाई की समस्या खड़ा रहती है. पर्याप्त पानी न मिल पाने के कारण फसलें सूख कर खराब हो जाती है जिसके कारण किसानों को भी भारी नुकसान झेलना पड़ता है. किसानों की इस समस्या के लिए सरकार उन्हें कई तरह से मदद करने की कोशिश करती है. इसी मदद का एक हिस्सा है ड्रिप सिंचाई विधि. बिहार सरकार अपने किसानों को खेतों की सिंचाई के लिए इस विधि को अपनाने के लिए प्रेरित कर रही है. इस विधि की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसके इस्तेमाल से किसान करीब 50 से 70 फीसदी तक पानी की बचत कर सकते हैं.

70 फीसदी तक पानी की बचत

ड्रिप इरिगेशन सिस्टम में पानी को पाइप और छोटे-छोटे ड्रिपर्स की मदद से बूंद-बूद कर पौधों की जड़ों तक पहुंचाया जाता है. जिसके कारण पानी ऊपरी मिट्टी या खाली पड़ी जमीन पर फैलकर बर्बाद नहीं होता है. बूंद-बूंद कर पानी देने के कारण पौधों को जरूरत के अनुसार ही पानी दिया जाता है. साथ ही इस विधि के इस्तेमाल से पानी केवल जड़ों तक ही जाता है जिसके कारण मिट्टी में नमी का संतुलन बना रहता है. नमी रहने के कारण किसानों को बार-बार फसल की सिंचाई करने की जरूरत नहीं पड़ती है और पानी की खपत काफी हद तक कम हो जाती है. इसकी एक खासियत ये भी है कि इस विधि में खेत में लगे सभी पौधों को एक समान मात्रा में पानी मिलता है. इस तरह से इस विधि के इस्तेमाल से किसान करीब 70 फीसदी तक पानी बचा सकते हैं.

Irrigation Method

ड्रिप सिंचाई से होगी पानी की बचत (Photo Credit- Canva)

मेहनत और लागत में कमी

परंपरागत तरीके से खेती करने में किसानों को सिंचाई के लिए खेतों में नालियां बनानी पड़ती है साथ ही फसल को जरूरत से ज्यादा पानी न मिले इसकी निगरानी भी करनी पड़ती है. जबकि ड्रिप सिस्टम में एक बार पाइपलाइन बिछाने के बाद बस वॉल्व खोलना होता है, जिसके बाद पौधों को अपने आप बंद-बूद कर पानी मिलता रहता है. इस तरह किसानों को किसी भी तरह की मेहनत नहीं करनी पड़ेगी और निगरानी के लिए बार-बार खेत में भी नहीं जाना पड़ेगा.  ड्रिप सिंचाई में पाइप के माध्यम से खाद और दवाएं भी सीधे जड़ों तक दी जा सकती है. इस कारण से किसानों को खाद या कीटनाशकों के छिड़काव के लिए मजदूरों को रखने की जरूरत भी नहीं पड़ती है, जिससे उनकी मजदूरी में लगने वाले पैसे की भी बचत होती है.

खरपतवार नियंत्रण में मदद

बिहार कृषि विभाग द्वारा सोशल मीडिया पर दी गई जानकारी के अनुसार, ड्रिप सिस्टम के इस्तेमाल से पानी सीधे पौधों की जड़ों तक जाता है. खेत में कही भी एक्सट्रा पानी न होने के कारण जमीन में नमी नहीं होती है, इस कारण से खरपतवारों के उगने का खतरा कम हो जाता है क्योंकि नमी वाली जगहों पर खरपतवार तेजी से उगते हैं.

Published: 28 Aug, 2025 | 12:54 PM