देश के लाखों किसानों को पानी की कमी और सिंचाई के संकट का सामना करना पड़ता है. ऐसे में खेतों में सिंचाई को आसान और किफायती बनाने के लिए केंद्र सरकार ने ‘प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना प्रति बूंद अधिक फसल’ की शुरुआत 1 जुलाई 2015 में की गई थी. यह योजना खेती में पानी की बचत करते हुए फसल की पैदावार बढ़ाने में मदद करते हैं. इस योजना का मुख्य उद्देश्य हर खेत तक पानी पहुंचाना और हर बूंद पानी का सही इस्तेमाल करना, ताकि कम पानी में भी खेती अच्छी हो सके और किसान की आमदनी बढ़े सकें.
क्या हैं योजना के फायदे
इस योजना के तहत किसानों को माइक्रो इरिगेशन सिस्टम जैसे ड्रिप या स्प्रिंकलर लगाने के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है. छोटे और सीमांत किसानों को 55 फीसदी और अन्य किसानों को 45 फीसदी तक की सब्सिडी मिलती है. यह सहायता 60 फीसदी केंद्र और 40 फीसदी राज्य सरकार मिलकर देती हैं. जबकि उत्तर-पूर्वी और पहाड़ी राज्यों में यह अनुपात 90 10 का होता है.
केंद्र शासित प्रदेशों में यह 100 फीसदी केंद्र सरकार के माध्यम से वहन किया जाता है. इस योजना की सबसे खास बात यह है कि यह सहायता डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के ज़रिए सीधे किसानों के बैंक खाते में भेजी जाती है. इसके साथ ही, किसान जल संचयन संरचनाएं, फार्म पोंड, वाटर लिफ्टिंग डिवाइस आदि पर भी सहायता ले सकते हैं.
कौन ले सकता है योजना का लाभ
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का लाभ देश के सभी किसान उठा सकते हैं, चाहे वे किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश से हों. लाभ पाने के लिए किसान के पास कृषि योग्य भूमि होनी चाहिए और अधिकतम 5 हेक्टेयर तक के किसानों को वित्तीय सहायता दी जाती है.
आवेदन की प्रक्रिया क्या है
किसान अपने क्षेत्र के ग्राम पंचायत, ब्लॉक या जिला कृषि कार्यालय से संपर्क करें. वहां से आवेदन पत्र प्राप्त करें और जरूरी जानकारी भरें. पासपोर्ट साइज फोटो लगाएं और आधार कार्ड, बैंक खाता विवरण, भूमि के कागज, निवास प्रमाण पत्र, पासपोर्ट साइज फोटो, कृषि भूमि के दस्तावेज, जाति प्रमाण पत्र (यदि लागू हो), राज्य/संघ राज्य क्षेत्र का अधिवास प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेजों को संलग्न कर फॉर्म संबंधित अधिकारी को जमा करें और उसकी रसीद लें.