पश्चिम बंगाल के किसान इस समय भारी संकट से जूझ रहे हैं. आलू की कीमतें उत्पादन लागत से भी नीचे गिरकर 10 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई हैं, जिससे किसान घाटे में अपनी उपज बेचने को मजबूर हो गए हैं. वहीं, कोलकाता के बाजारों में आलू अब भी 22 से 24 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहा है. हालांकि, राज्य सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 15 रुपये किलो की घोषणा की थी, लेकिन उसका अमल नहीं हो पाने के कारण पूरे आलू कारोबार पर गहरा संकट छा गया है. मौजूदा वक्त में किसानों को प्रति क्विंटल 400 से 500 रुपये तक का नुकसान हो रहा है.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि अगर ये नुकसान लगातार चलता रहा, तो किसान आलू की खेती से मुंह मोड़ सकते हैं. इससे भविष्य में आपूर्ति में भारी कमी और कीमतों में रिकॉर्ड वृद्धि हो सकती है. वेस्ट बंगाल कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन (WBCSA) ने इस मुद्दे को गंभीर बताया है. संगठन के सदस्य रमेश पेरीवाल का कहना है कि थोक और खुदरा आलू कीमतों के बीच का अंतर तेजी से बढ़ रहा है, जिसका असर किसानों और कोल्ड स्टोरेज उद्योग दोनों पर पड़ रहा है.
आलू का कितना है MSP
एसोसिएशन के उपाध्यक्ष सुभाजीत साहा का कहना है कि राज्य सरकार ने आलू की कीमतों को स्थिर करने के लिए 15 रुपये प्रति किलो का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) घोषित किया था. इससे किसानों ने अपनी उपज का एक हिस्सा बेच दिया और बाकी स्टोर कर दिया. सुभोजीत साहा ने कहा कि इस समय कोल्ड स्टोरेज में रखा गया करीब 75 से 80 फीसदी स्टॉक किसानों का ही है. मई 2025 में जब कोल्ड स्टोरेज से आलू निकालने का सीजन शुरू हुआ, तब थोक भाव 15 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया था, जो सरकार द्वारा तय कीमत के बराबर था. लेकिन अब कीमतें तेजी से गिर रही हैं.
स्टोरेज में रिकॉर्ड 70.9 लाख मीट्रिक टन आलू जमा किया गया
इस साल बंगाल के कोल्ड स्टोरेज में रिकॉर्ड 70.9 लाख मीट्रिक टन आलू जमा किया गया है. आमतौर पर राज्य में आलू उत्पादन का 60 फीसदी हिस्सा स्थानीय खपत में जाता है और 40 फीसदी दूसरे राज्यों में भेजा जाता है. लेकिन पिछले सीजन में अंतरराज्यीय व्यापार पर रोक लगने के कारण करीब 10 लाख मीट्रिक टन शुरुआती किस्म का आलू कोल्ड स्टोरेज में फंसा रह गया, जिससे स्टोरेज में जगह की भारी कमी हो गई है.
MSP पर खरीद शुरू करने की उठी मांग
WBCSA के अध्यक्ष सुनिल कुमार राणा ने चेतावनी दी है कि अगर हालात नहीं सुधरें तो किसान आलू की खेती छोड़ सकते हैं, जिससे मांग और आपूर्ति बिगड़ जाएगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान होगा. ऐसे में WBCSA ने सरकार से आग्रह किया है कि वह MSP पर खरीदारी करे. साथ ही राज्यों के बीच व्यापार को आसान बनाए और आलू को मिड-डे मील जैसे सार्वजनिक योजनाओं में शामिल करे.