खेती के साथ बकरी और मुर्गी पालन को एक साथ करने का तरीका किसानों के लिए कम लागत में ज्यादा कमाई का मजबूत जरिया बन रहा है. इसमें एक ही शेड में दोनों का पालन किया जाता है, जिससे जगह और संसाधनों की बचत होती है. सही व्यवस्था और देखरेख से यह व्यवसाय अच्छा मुनाफा देता है. कैसे एक शेड में पालन करें, खाने-पीने और देखभाल में क्या सावधानी जरूरी है और कैसे कम लागत में मुनाफा बढ़ाया जा सकता है, जानिए पूरा तरीका.
ऐसे करें एक शेड में बकरी और मुर्गी पालन
बकरी और मुर्गी पालन शुरू करने के लिए सबसे पहले एक मजबूत और सुविधाजनक शेड तैयार करना जरूरी होता है. खास बात यह है कि एक ही शेड में दोनों का पालन आसानी से किया जा सकता है. इसके लिए शेड को लोहे की सस्ती जाली से दो हिस्सों में बांट दिया जाता है. एक ओर बकरियों के लिए जगह बनती है और दूसरी ओर मुर्गियों के लिए. इस तरह कम जगह में दोनों का पालन संभव हो जाता है और देखरेख भी आसानी से हो पाती है.
इतना ही नहीं, बकरियों के लिए जो चारा दिया जाता है, वह जब बच जाता है तो उसे मुर्गियों को भी खिलाया जा सकता है. इससे चारे की बर्बादी नहीं होती और लागत घट जाती है. इस व्यवस्था से किसानों के खर्च में अच्छा-खासा फर्क पड़ता है और फायदा बढ़ता है.
खाने-पीने और देखभाल में खास सावधानी
बकरियों के लिए नीम, बरसीम, गूलर, अमरूद और जामुन के पत्ते अच्छा चारा माने जाते हैं. इनमें औषधीय गुण भी होते हैं, जो बकरियों को बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं. यही चारा थोड़ा संसाधित करके मुर्गियों को भी खिलाया जा सकता है. इससे दोनों का स्वास्थ्य बेहतर रहता है और उनकी ग्रोथ भी तेज होती है.
इसके अलावा, साफ-सफाई इस व्यवसाय में बेहद जरूरी है. ध्यान देने की बात यह है कि शेड को रोजाना साफ रखें और समय-समय पर बकरियों और मुर्गियों का टीकाकरण कराएं. यही नहीं, बकरियों की मेंगनी से कम्पोस्ट खाद भी तैयार की जा सकती है, जिसे खेतों में डालकर फसल उत्पादन बढ़ाया जा सकता है. इससे किसानों को अतिरिक्त आमदनी का एक और जरिया मिल जाता है.
कम लागत में कई गुना ज्यादा मुनाफा
बकरी और मुर्गी पालन को साथ करने से लागत काफी कम हो जाती है क्योंकि चारा, पानी, देखभाल और जगह साझा हो जाती है. अगर सही देखभाल और तकनीक से पालन किया जाए तो किसान हर साल अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. बकरियों का दूध, मांस और मुर्गियों के अंडे व मीट की बाजार में हमेशा मांग बनी रहती है. इस बिजनेस में शुरुआत में थोड़ी मेहनत जरूर करनी पड़ती है लेकिन धीरे-धीरे कमाई कई गुना बढ़ जाती है. इस तरह से खेती के साथ यह व्यवसाय किसानों के लिए आय का मजबूत सहारा बन सकता है.