बकरीपालन से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है. इसके लिए सही तकनीक और सावधानी जरूरी है. अक्सर किसान बकरियों के लिए हॉल (रहने की जगह) तो बना लेते हैं, लेकिन उसमें की गई छोटी-छोटी गलतियां आगे चलकर बड़ी परेशानी का कारण बन जाती हैं. इन्हीं में से एक बड़ी समस्या है मीथेन गैस का बनना और उसका बकरियों पर बुरा असर पड़ना.
अगर आप 25 से 30 बकरियों का पालन करना चाहते हैं तो उनके लिए करीब 20 फीट लंबा और 20 फीट चौड़ा हॉल बनाना जरूरी होता है. लेकिन हॉल बनाते समय केवल साइज का ध्यान रखना काफी नहीं है, बल्कि उसकी बनावट, फर्श की किस्म और हवा के आवागमन की भी खास चिंता करनी होती है.
फर्श कच्चा होना चाहिए, पक्का नहीं
बकरी के पेशाब (यूरिन) और मेंगनी से लगातार गैस निकलती है. इस गैस को जमीन सोख ले, इसके लिए जरूरी है कि हॉल का फर्श पक्का न होकर कच्चा हो. भुरभुरी मिट्टी यानी रेत जैसी मिट्टी का इस्तेमाल सबसे अच्छा माना जाता है. क्योंकि यह मिट्टी यूरिन और मेंगनी को जमीन में आसानी से समाहित कर लेती है. इससे मीथेन गैस ऊपर के वातावरण में इकट्ठा नहीं हो पाती और बकरियों के लिए खतरा कम हो जाता है.
मीथेन गैस का खतरा
बकरियों के हॉल में एक ऐसा खतरा छुपा होता है, जिसे अक्सर किसान नजरअंदाज कर देते हैं. वो है मीथेन गैस. जब बकरियों का पेशाब और मेंगनी लंबे समय तक जमीन पर जमा रहती है तो उससे मीथेन गैस निकलती है. यह गैस जमीन से करीब डेढ़ से दो फीट की ऊंचाई तक भर जाती है. इससे होता ये है कि बकरियां जब वहां सांस लेती हैं तो यह जहरीली गैस उनके फेफड़ों तक पहुंच जाती है. इतना ही नहीं, लगातार ऐसा होने पर उनके फेफड़े कमजोर पड़ने लगते हैं और धीरे-धीरे बकरियों का वजन गिरने लगता है. ऐसे में होता ये है कि वे बार-बार बीमार पड़ने लगती हैं और उनकी प्रजनन क्षमता भी घट जाती है.
हवादार शेड बनवाएं
हॉल (शेड) ऐसा होना चाहिए जिसमें ताजी हवा आसानी से अंदर-बाहर हो सके. इसके लिए हॉल में खिड़कियां, रोशनदान और ऊंची छत जरूरी है. हवा के बहाव से हॉल के अंदर जमा गैस बाहर निकलती रहती है और बकरियों को ताजी हवा मिलती है. अगर हॉल में हवा का आवागमन नहीं होगा तो गैस जमा हो सकती है और बीमारी का खतरा बढ़ सकता है.
बकरीपालन में हॉल की बनावट सीधे तौर पर बकरियों की सेहत और आपके मुनाफे पर असर डालती है. अगर हॉल में हवा का आवागमन अच्छा होगा, फर्श कच्चा होगा और साफ-सफाई पर ध्यान दिया जाएगा तो बकरियां स्वस्थ रहेंगी, दूध और बच्चे दोनों अच्छा देंगे और कम बीमार पड़ेंगी.