खेती-किसानी के जोखिम भरे माहौल में एक भरोसे की डोर बनी है प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना. कभी ओलावृष्टि, कभी सूखा, कभी कीटों का हमला, ऐसी तमाम प्राकृतिक आपदाएं फसल चौपट कर देती हैं. ऐसे में किसानों को राहत देने के लिए सरकार ने इस योजना को लागू किया. लेकिन अब भी कई किसानों के मन में इससे जुड़े सवाल रहते हैं कि कौन-सी फसलें कवर होती हैं, कितना प्रीमियम देना होता है और नुकसान होने पर क्लेम कैसे मिलेगा?
कौन-सी फसलें कवर होती हैं
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत मुख्य रूप से खाद्यान्न, तिलहन और वाणिज्यिक या बागवानी फसलें आती हैं. लेकिन ध्यान रहे कि बीमा उन्हीं फसलों का होता है जिन्हें सरकार की ओर से अधिसूचित किया गया है.
सभी किसानों के लिए एक जैसा प्रीमियम
इसका उत्तर आपको हां मिलेगा. क्योंकि इस योजना की खास बात ये है कि इसमें सभी किसानों के लिए प्रीमियम दरें तय हैं. खरीफ फसलों पर 2 फीसदी, रबी फसलों पर 1.5 फीसदी, और वाणिज्यिक या बागवानी फसलों पर 5 फीसदी का प्रीमियम तय किया गया है.
फसल नुकसान होने पर क्लेम कैसे मिलेगा
अगर किसी किसान की फसल को प्राकृतिक कारणों से नुकसान होता है तो उसे बीमा कंपनी, संबंधित बैंक या नजदीकी कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) में जाकर दावा करना होगा. इसके साथ फसल क्षति के प्रमाण और जरूरी दस्तावेज भी जमा करने होंगे. जांच के बाद क्लेम राशि सीधे किसान के खाते में ट्रांसफर की जाती है.
क्या फसल बीमा कराना जरूरी है
साल 2020 से पहले जिन किसानों ने कृषि ऋण लिया होता था, उनके लिए फसल बीमा कराना अनिवार्य था. अब यह पूरी तरह स्वैच्छिक है. यह किसान की इच्छा पर निर्भर करता है, चाहे वह कर्जदार हो या नहीं. सरकार का उद्देश्य किसानों को मजबूरी नहीं, विकल्प देना है ताकि वे अपनी सुविधा अनुसार निर्णय ले सकें.
किन किसानों को प्रीमियम नहीं देना होता
इस योजना के तहत हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों के किसानों को विशेष राहत दी गई है. इन राज्यों में ऊंचाई वाले दुर्गम इलाकों में रहने वाले किसानों को सेब जैसी प्रमुख फसलों के लिए भी बीमा लेने पर कोई प्रीमियम नहीं देना होता, जिससे उन्हें सीधी राहत मिलती है.