मई के आखरी हफ्ते से लेकर जून की शुरुआत तक चलने वाले 9 दिनों (नौतपा) की भीषण गर्मी में अगर सेहत का सही से ध्यान न रखा जाए तो ये बेहद ही खतरनाक साबित हो सकता है. इन दिनों में डॉक्टर भी यही सलाह देते हैं कि तेज धूप और गर्मी से अपना बचाव करें. नौतपा के दौरान सबसे ज्यादा जरूरी है खुद को हाइड्रेटेड रखना. तेज गर्मी में पसीना निकलने के कारण शरीर में पानी की कमी होने लगती है,जिसके कारण लोग डिहाइड्रेशन का शिकार हो जाते हैं. खबर में आगे बात करेंगे कि क्या हैं डिहाइड्रेशन के लक्षण और कब लेनी चाहिए डॉक्टर की सलाह.
डिहाइड्रेशन के लक्षण
वैसे तो नौतपा का समय 15 दिन का होता है लेकिन इस दौरान शुरु के 9 दिनों में लोगों को बहुत सतर्क रहने की जरूरत होती है. इस दौरान गर्मी अपने चरम पर होती है. भीषण गर्मी और तेज चिलचिलाती धूप में शरीर से बहुत पसीना निकलता है जिसके कारण शरीर में पानी की कमी होने लगती है. ऐसे में लोग डिहाइड्रेशन का शिकार हो जाते हैं. डिहाइड्रेशन के दौरान प्यास जरूरत से ज्यादा लगती है, मुंह और जीभ सूखने लगते हैं, चक्कर, थकावट, सिरदर्द, चिड़चिड़ापन होने लगता है. बच्चों में डिहाइड्रेशन के दौरान सुस्ती आने लगती है. अगर किसी में इस तरह के लक्षण दिखें तो सतर्क होने की जरूरत है.
क्या है घरेलू उपाय
डिहाइड्रेशन होने की स्थित में हर आधे घंटे में ओआरएस (ORS) का घोल पिएं. नींबू,नमक और चीनी का घोल बनाकर पिएं. ये ड्रिंक्स आपको तुरंत एनर्जी देंगी और हाइड्रेट करेंगी. अगर आपके आस-पास कोई डिहाइड्रेशन का शिकर हो गया है तो उसे तुरंत धूप से हटाकर ठंडी जगह पर ले जाएं. कपड़ों को ढीला कर दें. बता दें कि इन दिनों में तरबूज, खीरा, नारियल पानी, छाछ और लस्सी जैसे तरल पदार्थों का सेवन करें. ये शरीर में पानी की कमी को दूर करने का काम करते हैं और साथ ही शरीर को ठंडक भी पहुंचाते हैं.

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कब लेनी चाहिए डॉक्टर की सलाह
बता दें कि अगर डिहाइड्रेशन के दौरान पेशाब बिल्कुल बंद हो जाए तो समझ लीजिए कि शरीर में पानी की मात्रा बहुत ही खतरनाक स्तर तक गिर गई है. ऐसे में मरीज को तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं. अगर बहुत तेज बुखार, उल्टी और दस्त शुरु गए हैं तो भी डॉक्टर को दिखाना बेहद जरूरी है. सांस फूलने, बेहोशी, धड़कन बढ़ना, पसीना बंद हो जाना, मुंह और आंख का बिल्कुल सूख जाना और लगातार तरल पदार्थ पीने पर भी कोई सुधार न होने की स्थिति में तुरंत डॉक्टर से इलाज कराएं.