आम का दाम 4 गुना बढ़ा देती है बैगिंग तकनीक, कीट रोकथाम से किसान खुश

उपेंद्र सिंह बताते हैं कि आम निर्यात के लिए एक आम का वजन करीब 250 ग्राम होना चाहिए. एक बैगिंग की कीमत 2 रुपये तक होती है और एक बैगिंग में करीब चार आम चढ़ते हैं . यानी 2 रुपये के खर्च पर किसान 4 आमों की क्वालिटी को बेहतर बना सकते हैं .

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Updated On: 20 May, 2025 | 05:38 PM

गर्मी की सीजन शुरू होते ही लोगों में आम को लेकर उत्साह बढ़ जाता है. आम की खेती करने वाले किसान भी अच्छा मुनाफा कमाते हैं. अवध आम उत्पादक संगठन के अध्यक्ष किसान उपेंद्र सिंह ने बताया कि इस साल उत्तर प्रदेश के लखनऊ की मलिहाबाद फल पट्टी में आम की अच्छी खेप आई है. मलिहाबादी आम की मांग पूरे देश में रहती है. इस साल मलिहाबाद में आम की अलग-अलग किस्म दशहरी, लंगड़ा और चौसा आम की फसल पिछली बार से अच्छी आई है. उन्होंने बताया कि आम की किस्मों को बचाने के लिए और उनके रंग-रूप को निखारने के लिए किसानों ने बैगिंग तकनीक का इस्तेमाल किया है.

बैगिंग तकनीक से न केवल आम सुरक्षित हो रहे हैं बल्कि किसानों को भी फायदा हो रहा है. उपेंद्र ने बताया कि इस साल मलिहाबाद में 1.5 करोड़ आमों की बैगिंग की गई है जबकि पिछले साल ये संख्या 50 लाख थी. उन्होंने बताया कि किसान बैगिंग तकनीक को लेकर जागरूरक हैं जिससे उनके आम देखने में काफी खूबसूरत और स्वाद में काफी मीठे हो रहे हैं , जिससे किसानों को भी डबल मुनाफा हो रहा है. खबर में आगे बात कर लेते हैं कि बैगिंग तकनीक है क्या और कैसे किसानों को इससे फायदा हो रहा है.

बैगिंग तकनीक क्यों है जरूरी

आम या अन्य फलों में अकसर धूल, मिट्टी और रोगों का संक्रमण हो जाता है जिसके कारण फल बर्बाद हो जाते हैं. फलों को इन्हीं संक्रमणों और मौसस की मार से बचाने के लिए किसान बैगिंग तकनीक का इस्तेमाल करते हैं. लखनऊ के आम निर्यातक ये सलाह देते हैं कि किसान आम की अच्छी कीमत पाने के लिए बैगिंग जरूर लगाएं. बता दें कि बैगिंग तकनीक की मदद से आम का स्वाद, स्किन कलर और साइज बेहतर होता है, जिससे फल एक्सपोर्ट लायक हो जाता है. इसके साथ ही बैगिंग तकनीक में किसानों को लागत भी कम आती है.

Mango Farming

Bagging Method used for protecting Mangoes

कम लागत में ज्यादा मुनाफा

उपेंद्र सिंह बताते हैं कि आम निर्यात के लिए एक आम का वजन करीब 250 ग्राम होना चाहिए. एक बैगिंग की कीमत 2 रुपये तक होती है और एक बैगिंग में करीब चार आम चढ़ते हैं . यानी 2 रुपये के खर्च पर किसान 4 आमों की क्वालिटी को बेहतर बना सकते हैं . इस लिहाज से किसान अगर बैगिंग पर 10 रुपये खर्च कर रहे हैं तो उस पर सीधी-सीधी 20 रुपये प्रति किलो तक का मुनाफा हो सकता है. आम के निर्यात के साथ-साथ घरेलू इस्तेमाल के लिए भी बैगिंग तकनीक को अपनाया जा सकता है.

आम की कीमत हो जाती है चार गुना

आम की खेती करने वाले प्रगतिशील किसान और अवध आम उत्पादक संगठन के अध्यक्ष उपेंद्र सिंह ने बताया कि सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर सबट्रॉपिकल हॉर्टीकल्चर (CISH) लखनऊ छोटे आम किसानों को बैगिंग तकनीक का इस्तेमाल करने की ट्रेनिंग दे रहा है. वे बताते हैं कि उनका संगठन 2016 से CISH के साथ जुड़ा हुआ है. यहां किसानों को इंटरक्रॉपिंग, मिनिमम पेस्टीसाइड, बैगिंग के तरीके सिखाए जाते हैं. उन्होंने बताया कि बैगिंग तकनीक से आम की कीमत 4 गुना बढ़ जाती है. यानी वे बताते हैं कि उन्होंने 18 से 20 रुपये किलो कीमत वाले आम 150 रुपये प्रति किलो तक बेचे हैं. इसके साथ ही CISH में आम की 775 से ज्यादा किस्मों का संरक्षण किया गया है. पुरानी किस्मों के संरक्षण के साथ -साथ वहां किसानों को आम की नई किस्मों को विकसित करने की भी ट्रेनिंग दी जा रही है.

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Published: 20 May, 2025 | 01:44 PM

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