धनिया की फसल को चाहिए सटीक सिंचाई, वरना सूख सकती है पूरी फसल

धनिया की अच्छी पैदावार के लिए सिर्फ मेहनत नहीं, स्मार्ट प्लानिंग की भी जरूरत होती है. पानी की सही मात्रा, सही समय और सही तकनीक से उपयोग करने पर न सिर्फ फसल बेहतर होगी, बल्कि आप पानी की भी बचत कर सकेंगे.

नई दिल्ली | Updated On: 17 May, 2025 | 01:19 PM

धनिया की खेती सिर्फ बीज और मिट्टी से नहीं चलती, उसमें सबसे अहम भूमिका होती है पानी की. अगर पानी का सही मात्रा में और सही समय पर इस्तेमाल न हो, तो न तो पौधे ठीक से बढ़ते हैं और न ही अच्छी उपज मिल पाती है. दूसरी तरफ, ज्यादा पानी देने से भी नुकसान होता है. तो आइए जानते हैं धनिया की फसल के लिए कितना पानी जरूरी होता है, कब और कैसे सिंचाई करनी चाहिए, और पानी बचाने के कौन-कौन से तरीके अपनाए जा सकते हैं.

धनिया को चाहिए संतुलित नमी, न ज्यादा न कम

धनिया एक ऐसी फसल है जो सामान्य नमी वाली, अच्छी जलनिकासी वाली मिट्टी में बेहतरीन फलती-फूलती है. इसकी जड़ें गहराई में जाती हैं, इसलिए जरूरी है कि मिट्टी में नमी बनी रहे, लेकिन उसमें पानी भराव न हो. बहुत अधिक पानी देने पर जड़ें सड़ने लगती हैं और पौधे कमजोर हो जाते हैं. वहीं, अगर मिट्टी पूरी तरह सूखी हो जाए, तो बीज अंकुरित नहीं होते और पौधों की ग्रोथ रुक जाती है.

सिंचाई कैसे करें?

धनिया की बुवाई से पहले खेत में एक बार हल्की सिंचाई जरूर करें. इससे मिट्टी में नमी आ जाती है, जो बीज के अंकुरण के लिए जरूरी है. बुवाई के बाद शुरुआत में हर कुछ दिन पर हल्की सिंचाई करें ताकि पौधे ठीक से जड़ें पकड़ सकें. जब पौधे थोड़े बड़े हो जाएं, तो सिंचाई का अंतराल बढ़ाया जा सकता है. लेकिन ध्यान रखें, फूल आने और बीज बनने के समय पानी की कमी बिल्कुल न हो. इस समय पानी की कमी फसल की गुणवत्ता को बुरी तरह प्रभावित कर सकती है. आजकल बहुत से किसान ड्रिप इरिगेशन (बूंद-बूंद सिंचाई) का उपयोग कर रहे हैं. इससे पौधों की जड़ों तक सीधा पानी पहुंचता है और पानी की बर्बादी बहुत कम होती है.

पानी बचाने के स्मार्ट तरीके

  1. धनिया की खेती में पानी की खपत को कम करने और उसका सदुपयोग करने के लिए कुछ आसान और प्रभावी उपाय हैं. मल्चिंग (मिट्टी की सतह को सुखे पत्तों, भूसे या कंपोस्ट से ढकना) एक कारगर तरीका है जिससे नमी जमीन में बनी रहती है और खरपतवार भी नहीं उगते.
  2. इसके अलावा, वर्षा जल संचयन (Rainwater Harvesting) आज के समय की जरूरत है. बरसात के पानी को एकत्रित कर स्टोर करने की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि सूखे समय में उसका उपयोग सिंचाई के लिए किया जा सके.
  3. फसल चक्र (crop rotation) और मिश्रित खेती (intercropping) भी पानी बचाने में मदद करते हैं. उदाहरण के लिए, अगर धनिया को किसी अधिक पानी वाली फसल के बाद बोया जाए, तो खेत में पहले से मौजूद नमी का फायदा मिल सकता है.
  4. साथ ही, मिट्टी में कितनी नमी है यह जानने के लिए नियमित जांच करें. इसके लिए आज कई तकनीकी उपकरण भी उपलब्ध हैं जो यह बता सकते हैं कि पौधे को पानी की जरूरत है या नहीं. इससे आप जरूरत के अनुसार ही पानी देंगे और बर्बादी नहीं होगी.
Published: 17 May, 2025 | 01:18 PM