पशुपालन के लिए मुफ्त ट्रेनिंग दे रही बिहार सरकार, जानिए आपको कैसे मिलेगा लाभ
पशुपालकों की कमाई बढ़ाने और पशुओं की बेहतर सेहत के साथ उनसे अधिक दूध उत्पादन के लिए मुफ्ट ट्रेनिंग कार्यक्रम बिहार सरकार ने शुरू किया है.
बिहार के गोपालगंज जिले के पशुपालकों को अब वैज्ञानिक और आधुनिक तरीके से पशुपालन सीखने का अवसर मिलने जा रहा है. अन्य जिलों के पशुपालक भी ट्रेनिंग के लिए आवेदन कर सकते हैं. राज्य के पशुपालन विभाग के तहत गव्य विकास विभाग की ओर से राज्य स्तरीय पांच दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. इस प्रशिक्षण के लिए जिले के 298 पशुपालकों का चयन किया जाएगा. इसका उद्देश्य ग्रामीण इलाकों में पशुपालन को अधिक लाभदायक और व्यवस्थित बनाना है. यह प्रशिक्षण पशुपालकों की आमदनी बढ़ाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया और समय सीमा
मुफ्त ट्रेनिंग कार्यक्रम का लाभ उठाने के लिए इच्छुक पशुपालकों को गव्य विकास विभाग के पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा. आवेदन करने की प्रक्रिया अगस्त से दिसंबर तक चालू रहेगी. केवल वही पशुपालक प्रशिक्षण में भाग लेने के पात्र होंगे जिन्होंने तय समय सीमा के भीतर आवेदन किया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि आवेदन के बाद पात्रता के आधार पर 298 पशुपालकों का चयन किया जाएगा, जिन्हें राज्य स्तर पर पांच दिन का आवासीय प्रशिक्षण मिलेगा. चयनित प्रतिभागियों को प्रशिक्षण के दौरान रहने और खाने की पूरी व्यवस्था विभाग द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी.
प्रशिक्षण में मिलेंगी ये आधुनिक जानकारियां
मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में पशुपालकों को पशु पालन से जुड़ी आधुनिक तकनीकों और वैज्ञानिक तरीकों की जानकारी दी जाएगी. प्रशिक्षण में शामिल प्रमुख विषय इस प्रकार हैं-
- पशु प्रबंधन और देखभाल के आधुनिक तरीके.
- पशुओं में होने वाली बीमारियों की पहचान और रोकथाम.
- हरा चारा उत्पादन की तकनीक.
- दुग्ध उत्पादन की मात्रा और गुणवत्ता बढ़ाने के उपाय.
- गव्य प्रबंधन और संतुलित आहार की जानकारी.
रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रशिक्षण में अनुभवी विशेषज्ञ इन विषयों पर सरल भाषा में व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करेंगे ताकि ग्रामीण पशुपालक इसे अपने व्यवसाय में लागू कर सकें.
आयु सीमा और पात्रता का ध्यान रखें
प्रशिक्षण में शामिल होने के लिए उम्र सीमा भी तय की गई है. केवल वे ही पशुपालक आवेदन कर सकते हैं जिनकी आयु 18 वर्ष से अधिक और 50 वर्ष से कम है. इस सीमा से बाहर के पशुपालक इस योजना के तहत प्रशिक्षण के लिए पात्र नहीं होंगे. अधिकारियों का मानना है कि इस उम्र वर्ग के लोग प्रशिक्षण लेकर दीर्घकालिक लाभ उठा सकते हैं और अपने पशुपालन व्यवसाय को सफल बना सकते हैं. साथ ही वे अपने समुदाय में भी इस ज्ञान को साझा कर सकते हैं.
अर्थव्यवस्था होगी मजबूत
विभाग का यह प्रयास ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने की दिशा में एक ठोस पहल है. विशेषज्ञों का मानना है कि प्रशिक्षण लेने वाले पशुपालक वैज्ञानिक पद्धति से काम करके कम खर्च में अधिक उत्पादन कर पाएंगे. इससे उनकी आमदनी बढ़ेगी और वे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकेंगे. इसके अतिरिक्त, रिपोर्ट्स में यह भी उल्लेख किया गया है कि वर्तमान में पशुओं में बीमारियों के मामले बढ़ रहे हैं, ऐसे में रोग पहचान और समय पर इलाज की जानकारी बेहद जरूरी हो गई है. प्रशिक्षण के माध्यम से यह जागरूकता भी पशुपालकों में लाई जाएगी.