केकड़ा पालन से बदल सकती है किसानों की किस्मत, कम लागत में लाखों की कमाई का मौका

मछली पालन के बाद केकड़ा पालन ऐसा क्षेत्र बनकर उभरा है, जिसमें लागत अपेक्षाकृत कम है और मुनाफा काफी ज्यादा. खास बात यह है कि बाजार में केकड़ों की मांग लगातार बढ़ रही है, जिससे इसकी बिक्री को लेकर ज्यादा चिंता नहीं रहती.

नई दिल्ली | Published: 17 Dec, 2025 | 07:57 AM

आज के समय में खेती और पशुपालन के साथ-साथ कई ऐसे व्यवसाय हैं, जो कम समय में अच्छी आमदनी का रास्ता खोल रहे हैं. इन्हीं में से एक है केकड़ा पालन, जिसे अब किसान और युवा उद्यमी तेजी से अपना रहे हैं. मछली पालन के बाद केकड़ा पालन ऐसा क्षेत्र बनकर उभरा है, जिसमें लागत अपेक्षाकृत कम है और मुनाफा काफी ज्यादा. खास बात यह है कि बाजार में केकड़ों की मांग लगातार बढ़ रही है, जिससे इसकी बिक्री को लेकर ज्यादा चिंता नहीं रहती.

केकड़ा पालन क्यों बन रहा है पसंदीदा विकल्प

केकड़े दो तरह के होते हैं, समुद्री और मीठे पानी के. दोनों की बाजार में अच्छी मांग है, लेकिन मीठे पानी के केकड़ों का स्वाद बेहतर माना जाता है, इसलिए इनके दाम भी ज्यादा मिलते हैं. होटल, रेस्टोरेंट, सुपरमार्केट और निर्यात बाजार में केकड़ों की खपत तेजी से बढ़ी है. यही वजह है कि केकड़ा पालन अब सिर्फ तटीय इलाकों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि देश के अंदरूनी हिस्सों में भी लोग इसे अपनाने लगे हैं.

केकड़ा पालन क्या होता है

केकड़ा पालन का मतलब है तालाब, कृत्रिम जलाशय या सीमेंट के टैंक में केकड़ों को वैज्ञानिक तरीके से पालकर उन्हें बाजार के लिए तैयार करना. सही देखभाल और खान-पान से केकड़े तेजी से बढ़ते हैं और कुछ ही महीनों में बेचने लायक हो जाते हैं. इस व्यवसाय में धैर्य और नियमित निगरानी जरूरी होती है, लेकिन मेहनत का फल भी अच्छा मिलता है.

बाजार में ज्यादा मांग वाली प्रजातियां

भारत में सबसे ज्यादा मड क्रैब का पालन किया जाता है, जिसे दलदली केकड़ा भी कहते हैं. इसकी मांग घरेलू बाजार के साथ-साथ विदेशों में भी बहुत ज्यादा है. इसके अलावा ब्लू स्विमिंग क्रैब समुद्री पानी में पाला जाता है और अपने स्वादिष्ट मांस के लिए जाना जाता है. ग्रीन क्रैब भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में पसंद किया जाता है, क्योंकि इसका मांस मुलायम और पोषक होता है.

केकड़ा पालन की शुरुआत कैसे करें

केकड़ा पालन शुरू करने के लिए सबसे पहले पानी की व्यवस्था जरूरी है. अगर आपके पास जमीन है, तो छोटे तालाब बनाए जा सकते हैं. जगह कम हो तो सीमेंट के टैंक भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं. इसके बाद अच्छी गुणवत्ता वाले केकड़ों का चयन करना जरूरी होता है. आमतौर पर 50 से 100 ग्राम वजन वाले केकड़े पालन के लिए उपयुक्त माने जाते हैं.

केकड़े स्वभाव से लड़ाकू होते हैं, इसलिए उन्हें एक-दूसरे से अलग रखने के लिए टैंक या तालाब में जाल या बांस से विभाजन करना जरूरी होता है. पानी साफ और संतुलित रहना चाहिए, इसके लिए समय-समय पर पानी बदलते रहना फायदेमंद रहता है.

खान-पान और देखभाल

केकड़ों की बढ़त उनके भोजन पर निर्भर करती है. इन्हें मछली के टुकड़े, झींगा, घोंघे, शेलफिश पाउडर या उबले चिकन के अवशेष खिलाए जाते हैं. सही मात्रा में रोजाना भोजन देने से उनका वजन तेजी से बढ़ता है और वे जल्दी बाजार के लिए तैयार हो जाते हैं.

कम लागत में लाखों की कमाई

केकड़ा पालन की सबसे बड़ी खासियत यही है कि इसमें लागत कम और मुनाफा ज्यादा है. बाजार में केकड़ों की कीमत उनके आकार और प्रजाति के अनुसार तय होती है. आम तौर पर केकड़े 800 से 1500 रुपये प्रति किलो तक बिक जाते हैं. अगर सही तरीके से पालन किया जाए, तो किसान कुछ ही समय में लाखों रुपये की कमाई कर सकते हैं. यही वजह है कि केकड़ा पालन आज एक उभरता हुआ और भरोसेमंद व्यवसाय बन चुका है.

Topics: