Himachal Pradesh News: केमिकल युक्त खाद और कीटनाशकों के इस्तेमाल बढ़ने से मिट्टी और जलवायु को हो रहे नुकसान से बचाने के लिए केंद्र सरकार ने देशभर में प्राकृतिक खेती मिशन शुरू किया है. इसके तहत किसानों को नेचुरल फार्मिंग के लिए प्रेरित किया जा रहा है. किसानों को राज्य सरकार की ओर से सब्सिडी के साथ प्राकृतिक तरीके से उगाई गई फसलों का एमएसपी से ज्यादा भाव भी दिया जा रहा है. यही वजह है कि हिमाचल प्रदेश में तेजी से किसान प्राकृतिक खेती की ओर मुड़े हैं.
देशभर में किसानों को प्राकृतिक खेती के बारे में जागरूक किया जा रहा है, ताकि मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाया जा सके. हिमाचल प्रदेश के तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा कि प्राकृतिक खेती की दिशा में देश में अग्रणी राज्य बनकर उभरा है. उन्होंने कहा कि इसकी बड़ी वजह योजनाओं का सही तरीके से पालन कराने के साथ ही उपज का एमएसपी से अधिक भाव देना भी रहा है.
2.22 लाख किसानों ने शुरू की प्राकृतिक खेती
तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी ने ग्राम पंचायत सियूं में आयोजित जनसभा कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक खेती की दिशा में देश में अग्रणी राज्य बनकर सामने आया है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में राज्य की 3,584 पंचायतों के 2,22,893 किसान 38,437 हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक तरीके से खेती कर रहे हैं.
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3 लाख किसानों को प्राकृतिक खेती की मुफ्त ट्रेनिंग दी
प्राकृतिक खेती योजना के लिए किसानों को ट्रेनिंग भी दी जा रही है. उन्होंने कहा कि राज्य में अब तक 3.06 लाख किसानों और बागवानों को प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण दिया जा चुका है. सरकार का लक्ष्य वर्ष 2025-26 तक एक लाख नए किसानों को इस पहल से जोड़ने का है. उन्होंने बताया कि राज्य के 88 विकास खंडों के 59,068 किसानों और बागवानों ने कृषि विभाग में पंजीकरण करवाया है.
गेहूं, मक्का, हल्दी समेत इन फसलों का एमएसपी से ज्यादा भाव
मंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार प्राकृतिक उत्पादों पर देश में सर्वाधिक भाव यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य किसानों को दे रही है. उन्होंने कहा कि यही वजह है कि किसान प्राकृतिक तरीके से खेती की ओर लौट रहे हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार मक्का किसानों को उपज के लिए 40 रुपए प्रति किलो का भाव दे रही है. जबकि गेहूं के लिए 60 रुपए प्रति किलो भाव दिया जा रहा है. इसी तरह कच्ची हल्दी के लिए 90 रुपए प्रति किलो और पांगी क्षेत्र के किसानों को जौ उपज के लिए 60 रुपए प्रति किलो का भाव दिया जा रहा है. यह भाव केंद्र सरकार की ओर से तय एमएसपी की तुलना में काफी ज्यादा हैं
उन्होंने कहा कि यह पहल हिमाचल प्रदेश को हरित, आत्मनिर्भर और सतत कृषि राज्य के रूप में स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है. धर्माणी ने कहा कि प्रदेश सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि, इन तीनों क्षेत्रों में निर्णायक बदलाव लाने के लिए ठोस कदम उठा रही है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में राज्य डिजिटल, हरित और आत्मनिर्भर हिमाचल के लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ रहा है.