शिक्षक की नौकरी छोड़ पति संग शुरू की प्राकृतिक खेती, हिमाचल की गंगा सारणी कर रहीं लाखों में कमाई

केमिकल फ्री खेती करने के लिए उन्हें इंटरनेट से SPNF तकनीक यानी सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती के बारे में जानकारी मिली, जिसके बाद उन्होंने साल 2018 में शिमला के कुफरी में 6 दिवसीय ट्रेनिंग प्रोग्राम में हिस्सा भी लिया. ट्रेनिंग लेने के बाद गंगा सारणी ने इस तकनीक का अपने खेतों में इस्तेमाल किया.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Published: 15 Sep, 2025 | 10:00 AM

कहते हैं कि पढ़ाई-लिखाई कर इंसान सफलता के कितने ही पायदान क्यों न हासिल कर लें, उसे सुकून तभी मिलता है जब वो अपने मन का काम करता है. ऐसी ही कुछ हुआ हिमाचल प्रदेश की एक महिला के साथ जो कि दिल्ली में बतौर शिक्षिका कार्यरत थीं. उनके पति भी अच्छी पोस्ट पर थे. लेकिन खेती-किसानी को लेकर उनकी रुचि ने दोनों पति-पत्नी को नौकरी छोड़ने पर मजबूर कर दिया. जी हां, आज की हमारी ‘चैंपियन किसान’ सीरीज में हम बात कर रहे हैं चैंपियन किसान गंगा सारणी बिष्ट की जो सालों से स्वतंत्र रूप से प्राकृतिक खेती कर रही हैं और एक सफल किसान के तौर पर अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा का स्त्रोत बन गई हैं.

कैसे बढ़ा खेती की तरफ रुझान

आज की हमारी चैपियन किसान गंगा सारणी बिष्ट गांव और डाकघर किल्बा, विकास खंड कल्पा, जिला किन्नौर, हिमाचल प्रदेश की रहने वाली हैं. जिन्होंने एम. फिल की पढ़ाई करने के बाद दिल्ली में शिक्षिका के तौर पर नौकरी की है. उनके पति एयर इंडिया में अधिकारी के पद पर कार्यरत थे. दोनों पति-पत्नी को जब भी छुट्टी मिलती तो वे हिमाचल प्रदेश आकर अपने घर में ज्यादातर समय खेतों में कृषि और बागवानी करते हुए बिताते थे. यहीं से धीरे-धीरे दोनों लोगों का रुझान नौकरी से हटकर पूरी तरह खेती-किसानी की तरफ हो चला.

2013 में नौकरी छोड़ शुरू की खेती

हिमाचल प्रदेश कृषि विभाग के अनुसार, साल 2013 में गंगा सारणी बिष्ट ने अपनी शिक्षिका की नौकरी छोड़ दी, साथ ही उनके पति अपनी इच्छा से नौकरी से सेवानिवृत्त हो गए. जिसके बाद दोनों पति-पत्नी ने पूरी तरह से खेती को अपना लिया. बता दें कि, गंगा सारणी और उनके पति किसान परिवार से आते हैं और परिवार के पास कुल 10 बीघा जमीन है जिसमें से  6 बीघा जमीन पर दोनों ने प्राकृतिक खेती की शुरुआत की. जब उन्हें बाजार में ऑर्गेनिक उत्पादों की बढ़ती मांग के बारे में पता चला तो उन्होंने केमिलकर फ्री खेती की तरफ अपना रुख किया.

SPNF तकनीक में ली ट्रेनिंग

केमिकल फ्री खेती करने के लिए उन्हें इंटरनेट से SPNF तकनीक यानी सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती के बारे में जानकारी मिली, जिसके बाद उन्होंने साल 2018 में शिमला के कुफरी में 6 दिवसीय ट्रेनिंग प्रोग्राम में हिस्सा भी लिया. ट्रेनिंग लेने के बाद गंगा सारणी ने इस तकनीक का अपने खेतों में इस्तेमाल किया और खेती को और ज्यादा फायदेमंद बनाया. बता दें कि SPNF तकनीक देसी गाय के गोबर और मूत्र से तैयार खाद और कीटनाशकों पर आधारित कृषि तकनीक है जो कि जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देती है.

2.5 लाख तक होती है कमाई

गंगा सारणी ने अपने 6 बीघा जमीन पर सेब की उन्नत किस्में जैसे गेल गाला, जेरोमाइन, रॉयल डिलिशियस उगाई हैं. इसके साथ ही वे अपनी जमीन पर मूली, गाजर, मटर, आलू, ककड़ी, धनिया जैसी सब्जियों की भी खेती करती हैं. गंगा बताती हैं कि पहले उन्हें खेती में 12 हजार रुपये तक की लागत आती थी, लेकिन जब से उन्होंने केमिकल फ्री खेती की शुरुआत की है तबसे खेती की लागत घटकर केवल 3 हजार रुपये हो गई है. उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती से उन्हें जो स्वादिष्ट उपज मिलती है उसे वो आदिवासी जिले किन्नौर में स्थानीय बाजार में बेचती हैं. इस तरह प्राकृतिक और केमिकल फ्री खेती से गंगा 2.5 लाख रुपये तक की शुद्ध कमाई करती हैं.

Himachal Pradesh Success Story

अपने खेतों में सेब की कई किस्में उगा रहीं गंगा सारणी (सांकेतिक फोटो)- (Photo Credit- Canva)

प्रदेश सरकार से मिला सहयोग

गंगा सारणी बताती हैं कि उनकी इस सफलता के पीछे सरकार का भी योगदान है. उन्होंने बताया कि वे सरकार द्वारा चलाई जाने वाली योजनाओं और सुविधाओं का फायदा उठाती हैं. कृषि विभाग की टीमों के साथ जुड़कर लगातार उनसे खेती-किसानी के बारे में नई-नई चीजें सीखती रहती हैं. इसके अलावा खेती में नवाचार और प्रदेश की प्रगतिशील किसान होने के कारण उन्हें प्रदेश सरकार की प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना  का भी सहयोग मिला है.

महिलाओं के लिए प्रेरणा

गंगा सारणी अपने गांव में एक एसपीएनएफ (SPNF) महिला किसान समूह से जुड़ी हुई हैं, जो कि खेती और बागवानी में रासायनिक खादों और कीटनाशकों को कम करने में अहम भूमिका निभा रहा है. इस समूह में जुड़ी अन्य महिलाओं को गंगा प्राकृतिक खेती की ट्रेनिंग देती हैं और उनका आत्नविश्वास बढ़ाकर उन्हें भी खेती के क्षेत्र में आगे बढ़कर आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करती हैं. इस तरह से वे अपने गांव और आसपास की अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई हैं. बता दें कि, साल 2022 में गंगा सारणी बिष्ट को जिले में सर्वश्रेष्ठ एसपीएनएफ महिला किसान समूह का पुरस्कार भी मिल चुका है.

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Published: 15 Sep, 2025 | 10:00 AM

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