प्राकृतिक खेती में जीवामृत बना किसानों का साथी, उत्तराखंड कृषि विभाग ने बताई तैयार करने की विधि

केमिकल खाद-उर्वरक सेहत और पर्यावरण, दोनों के लिए ही हानिकारक होते हैं. यही कारण है कि सरकार किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही है. अपने खेत की मिट्टी को सही पोषण देने के लिए किसान प्राकृतिक खाद यानी लीक्विड खाद का भी इस्तेमाल कर सकते हैं.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Published: 10 Sep, 2025 | 09:00 AM

किसी भी फसल की बेहतर ग्रोथ और उससे अच्छा उत्पादन पाने के लिए बेहद जरूरी है कि मिट्टी को सही पोषण दिया जाए. आज बाजार में तरह-तरह के केमिकल खाद और उर्वरक उपलब्ध हैं, जिनका इस्तेमाल किसान मिट्टी को पोषण देने के लिए करते हैं. लेकिन ये केमिकल खाद-उर्वरक सेहत और पर्यावरण, दोनों के लिए ही हानिकारक होते हैं. यही कारण है कि सरकार किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही है. अपने खेत की मिट्टी को सही पोषण देने के लिए किसान प्राकृतिक खाद यानी लीक्विड खाद का भी इस्तेमाल कर सकते हैं, जिसे जीवामृत कहते हैं. उत्तराखंड सरकार ने किसानों के लिए जीवामृत बनाने की विधि भी बताई है.

जीवामृत बनाने के लिए जरूरी सामग्री

जीवामृत बनाने के लिए सबसे पहले किसानों को कुछ सामान जुटाना होगा. इसके लिए किसानों को देशी गाय का 10 किलोग्राम गोबर और 10 लीटर गोमूत्र लेना होगा. इसके बाद 2 किलोग्राम गुड़ को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें. साथ ही 2 किलोग्राम चना या मूंग या फिर बेसन का आटा लें. अपने खेत की या फिर बरगद या पीपल के पेड़ के नीचे की 1 मुट्ठी मिट्टी लें और इन सबके अलावा 100 लीटर पानी लें. ध्यान दें कि ये सामग्री 100 लीटर जीवामृत घोल बनाने के लिए है.

इस विधि से तैयार करें घोल

उत्तराखंड कृषि विभाग  की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, सबसे पहले 1 बड़े ड्रम या मटके में 100 लीटर पानी लें और उसमें 10 किलोग्राम गोबर और 10 लीटर गोमूत्र डालें. इसके बाद इस घोल में गुड़ और बेसन डालकर अच्छे से मिलाएं. जब ये सब अच्छे से मिल जाए तो 1 मुट्ठी खेत की मिट्टी डालें और लकड़ी की डंडी की मदद से इसे अच्छे से हिलाएं. इसके बाद ड्रम को किसी छांव वाली जगह पर रखें और रोज सुबह-शाम लकड़ी की डंडी से हिलाएं. इस पूरी प्रक्रिया के बाद 4 से 5 दिन बाद जीवामृत खाद इस्तेमाल के लिए तैयार हो जाएगी.

इन तरीकों से करें इस्तेमाल

किसान चाहें तो जीवामृत को सिंचाई की मदद से इस्तेमाल कर सकते हैं. इस तरह से इस्तेमाल करने के लिए 100 लीटर जीवामृत को 1 एकड़ खेत में सिंचाई के साथ डालें. इसका इस्तेमाल फसल पर छिड़काव के द्वारा भी किया जा सकता है. इसके लिए किसान 10 लीटर जीवामृत को 100 लीटर पानी में घोलकर पत्तियों पर इसका छिड़काव कर सकते हैं. इसके अलावा बीज उपचार के लिए भी किसान इस लिक्विड खाद का इस्तेमाल कर सकते हैं. बीज उपचार के लिए बीज बोने से पहले उन्हें जीवामृत में भिगोकर रखें. इसके बाद बीजों को अच्छे से सुखाकर खेत में बुवाई कर दें.

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Published: 10 Sep, 2025 | 09:00 AM

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