केंद्र सरकार ने जीएसटी (GST) दरों में ऐतिहासिक बदलाव किया है. इसका सीधा फायदा देशभर के किसानों, पशुपालकों और कृषि क्षेत्र से जुड़े कामगारों को मिलेगा. केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस फैसले को क्रांतिकारी बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का यह कदम कृषि क्षेत्र में विकास के नए अध्याय खोलेगा. किसानों की लागत घटेगी और मुनाफा बढ़ेगा.
कृषि मशीनीकरण
किसानों के लिए अब ट्रैक्टर और उससे जुड़े उपकरण खरीदना पहले से आसान हो गया है. सरकार ने 1800 सीसी से कम क्षमता वाले ट्रैक्टरों पर जीएसटी घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया है. इसके साथ ही ट्रैक्टर के कलपुर्जे जैसे टायर, ट्यूब और हाइड्रोलिक पंप पर भी जीएसटी 18 फीसदी से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है. स्प्रिंकलर, ड्रिप सिंचाई सिस्टम, कटाई मशीनरी और कम्पोस्ट मशीन पर भी अब सिर्फ 5 फीसदी जीएसटी लगेगा. इन बदलावों से ट्रैक्टर और मशीनें सस्ती होंगी, जिससे छोटे और मध्यम किसान भी इन्हें खरीद पाएंगे. इससे खेती में समय बचेगा, मजदूरी पर खर्च घटेगा और उत्पादकता बढ़ेगी.
उर्वरक
- खेती में उर्वरक का बड़ा खर्च होता है. सरकार ने इस पर भी राहत दी है.
- अमोनिया, सल्फ्यूरिक एसिड और नाइट्रिक एसिड पर जीएसटी 18 फीसदी से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है.
- यह कच्चे माल की कीमत कम करेगा और उर्वरक उत्पादन की लागत घटेगी.
- इस कदम से किसानों को सस्ता उर्वरक मिलेगा और खेती की लागत काफी कम होगी.
जैव कीटनाशक और सूक्ष्म पोषण तत्व
जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. अब 12 जैव कीटनाशक और कई सूक्ष्म पोषण तत्वों पर जीएसटी दर 12 फीसदी से घटाकर केवल 5 प्रतिशत कर दी गई है. इस बदलाव से किसानों को सस्ते और पर्यावरण के अनुकूल जैव-कीटनाशक आसानी से उपलब्ध होंगे. इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ेगी और फसलों की गुणवत्ता में सुधार होगा. सरकार का मानना है कि इस फैसले से किसान धीरे-धीरे रासायनिक कीटनाशकों से दूरी बनाकर जैविक खेती की ओर बढ़ेंगे. यह कदम न केवल किसानों को सीधा आर्थिक लाभ देगा बल्कि टिकाऊ और सुरक्षित कृषि प्रणाली को भी मजबूत करेगा.
फल, सब्जियां और खाद्य प्रसंस्करण
- खेती से जुड़ी उपज और खाद्य प्रसंस्करण पर भी बड़ा फैसला लिया गया है.
- तैयार या संरक्षित फल, सब्जियां और मेवे पर जीएसटी 12 फीसदी से घटकर 5 प्रतिशत कर दी गई है.
- इससे कोल्ड स्टोरेज और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा मिलेगा.
- जल्दी खराब होने वाली वस्तुओं की बर्बादी कम होगी और किसानों को सही दाम मिलेगा.
- खाद्य प्रसंस्कृत वस्तुओं के निर्यात को भी इससे मजबूती मिलेगी.
डेयरी क्षेत्र
दूध और डेयरी उत्पादों पर जीएसटी में कटौती का फायदा अब सीधे किसानों और उपभोक्ताओं को मिलेगा. सरकार ने दूध और पनीर को पूरी तरह जीएसटी से मुक्त कर दिया है. वहीं घी, मक्खन और अन्य डेयरी उत्पादों पर जीएसटी 12 फीसदी से घटाकर 5 प्रतिशत कर दी गई है. दूध रखने वाले डिब्बों, चाहे वे लोहा, स्टील या एल्युमिनियम के बने हों, उन पर भी जीएसटी 12 फीसदी से घटाकर 5 प्रतिशत कर दी गई है. इस फैसले से डेयरी किसानों को उत्पादन लागत में राहत मिलेगी और उपभोक्ताओं को सस्ते दाम पर दूध और उसके उत्पाद उपलब्ध होंगे, जिससे सभी को लाभ होगा.
जलीय कृषि
- मछली पालन और जलीय उत्पादों पर भी जीएसटी कम किया गया है.
- तैयार या संरक्षित मछली पर जीएसटी 12 फीसदी से घटकर 5 प्रतिशत कर दी गई है.
- इससे मछली पालन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा और जलीय कृषि करने वाले किसानों की आय में वृद्धि होगी.
शहद पर जीएसटी
ग्रामीण क्षेत्रों और आदिवासी समुदायों के लिए बड़ी राहत आई है. सरकार ने प्राकृतिक शहद पर जीएसटी घटा दी है, जबकि कृत्रिम शहद पर जीएसटी 18, प्रतिशत से घटाकर केवल 5 फीसदी कर दी गई है. इस फैसले से शहद उत्पादन से जुड़े मधुमक्खी पालकों, जनजातीय समुदायों और ग्रामीण महिलाओं की आजीविका मजबूत होगी. साथ ही शहद के उत्पादन और बिक्री को बढ़ावा मिलेगा, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सहारा मिलेगा और लोगों को बेहतर आय के अवसर मिलेंगे.
सौर ऊर्जा आधारित उपकरण और तेंदू पत्ते
सरकार ने किसानों और आदिवासी समुदायों के लिए दो अहम फैसले लेकर बड़ी राहत दी है. अब सौर ऊर्जा आधारित उपकरणों पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर केवल 5 फीसदी कर दी गई है. इससे किसानों को सस्ती दर पर उपकरण मिलेंगे और सिंचाई की लागत काफी कम हो जाएगी. सौर ऊर्जा उपकरण सस्ते होने से ग्रामीण इलाकों में खेती की उत्पादकता बढ़ेगी और किसान आत्मनिर्भर बनेंगे.
दूसरी ओर, तेंदू पत्ते पर जीएसटी 18 फीसदी से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है. तेंदू पत्ते का इस्तेमाल बीड़ी बनाने में होता है और यह ओडिशा, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के लाखों आदिवासी परिवारों की आजीविका का प्रमुख साधन है. इस फैसले से तेंदू पत्ते की कीमत बेहतर मिलेगी, जिससे आदिवासी परिवारों की आय बढ़ेगी और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी.