खेती-किसानी के साथ-साथ अब ग्रामीण युवा मछली पालन जैसे वैकल्पिक व्यवसाय की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं. खासकर पंगेसियस मछली पालन (Pangasius Fish Farming) ने कम लागत, कम मेहनत और ज्यादा मुनाफे की संभावना के चलते युवाओं को एक नया रास्ता दिखाया है. पंगेसियस पालन करने वाले कई किसान साल में तीन बार मुनाफा कमा रहे हैं. यह न केवल आर्थिक रूप से उन्हें सशक्त बना रहा है, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा कर रहा है.
क्या है पंगेसियस मछली पालन?
मीडिया रिपोर्ट क् अनुसार, पंगेसियस एक प्रकार की ताजे पानी की मछली है जो तेजी से बढ़ती है और बाजार में इसकी मांग लगातार बनी रहती है. इस मछली को तालाब या कृत्रिम टैंक में आसानी से पाला जा सकता है. इसकी ग्रोथ रेट अन्य मछलियों की तुलना में काफी तेज होती है, जिससे किसान इसे साल में दो से तीन बार बेचकर अच्छा लाभ कमा सकते हैं. पंगेसियस पालन के लिए ज्यादा तकनीकी ज्ञान या बड़ी जमीन की जरूरत नहीं होती, इसलिए यह छोटे और मझोले किसानों के लिए भी उपयुक्त है.
साल में तीन बार मुनाफा, कैसे?
पंगेसियस पालन में साइकिल सिस्टम अपनाकर किसान साल में तीन बार बिक्री कर सकते हैं. इसमें तालाब को तीन हिस्सों में बांटकर हर हिस्से में अलग-अलग समय पर मछली डाली जाती है. जैसे ही एक तालाब की मछली तैयार होती है और बाजार में बिकती है, उसी समय उसमें नई स्टॉकिंग कर दी जाती है. इस तरह हर 80-90 दिन में किसी न किसी तालाब से मछली तैयार होती रहती है. इस तकनीक से लगातार उत्पादन और आय बनी रहती है. उदाहरण के तौर पर, एक फार्म में हर साइकिल में करीब 20,000 फिंगरलिंग डाले जाते हैं. 7-8 महीनों में ये मछलियां बाजार में बेचने लायक हो जाती हैं. एक बार में लगभग 18 से 20 टन मछली तैयार हो जाती है, जिससे लाखों रुपये की कमाई होती है.
कम मेहनत में ज्यादा मुनाफा
पंगेसियस मछली पालन की सबसे बड़ी खासियत है कि यह बहुत ज्यादा मेहनत और देखरेख नहीं मांगता. जब तालाब एक बार तैयार हो जाता है तो रोजाना केवल समय पर खाना देना, पानी की गुणवत्ता बनाए रखना और मछलियों की सामान्य देखरेख करना जरूरी होता है. इससे किसान अन्य कामों में भी अपना समय दे सकते हैं. साथ ही, चूंकि पंगेसियस तेजी से बढ़ने वाली प्रजाति है, इसलिए इसके पालन में ज्यादा समय भी नहीं लगता. मछली 7-8 महीने में पूरी तरह से तैयार हो जाती है, जिससे जल्दी आय आना शुरू हो जाती है.
रोजगार और सामूहिक खेती का अवसर
इस व्यवसाय की एक और खास बात यह है कि यह सिर्फ एक किसान तक सीमित नहीं है, बल्कि कई किसान समूह मिलकर भी इसे कर सकते हैं. सामूहिक तालाब बनाकर या साझेदारी में फार्मिंग करके ग्रामीण युवा बड़े पैमाने पर उत्पादन कर सकते हैं. इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी बढ़ते हैं. इसके अलावा, मछली बीज (सीड) उत्पादन, पैकेजिंग, ट्रांसपोर्टेशन और मार्केटिंग जैसे कार्यों से जुड़कर कई लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्राप्त कर रहे हैं.
बढ़ती मांग और बाजार में संभावना
देश और विदेश में पंगेसियस मछली की मांग लगातार बढ़ रही है. इसका इस्तेमाल रेस्टोरेंट, होटल, प्रोसेसिंग यूनिट्स और एक्सपोर्ट में बड़े पैमाने पर किया जाता है. इसकी कीमत स्थिर रहती है और बाजार में इसकी सप्लाई अक्सर डिमांड के मुकाबले कम रहती है. ऐसे में यह किसानों के लिए एक स्थायी और लाभदायक व्यवसाय साबित हो रहा है. सरकार की ओर से भी मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं और सब्सिडी दी जा रही हैं, जिनका लाभ लेकर युवा इस क्षेत्र में आसानी से कदम रख सकते हैं.