झील का पानी खाली करने से सिंचाई रुकी.. हजारों किसान मुश्किल में

हरियाणा के नहरी विभाग ने ओटू हैड की मरम्मत के नाम पर झील का सारा पानी आगे छोड़ दिया, जिससे नरमा और कपास की फसलों के लिए पानी नहीं मिल रहा. बीकेई प्रदेशाध्यक्ष ने इस मामले को कमीशनखोरी करार देते हुए जांच की अपील की है.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 17 Apr, 2025 | 07:42 PM

खरीफ सीजन की शुरुआत में जब किसानों को नरमा और कपास की फसलों के लिए नहरी पानी की सबसे ज्यादा जरूरत है, उस समय नहरी विभाग ने ओटू हैड की मरम्मत के नाम पर झील का सारा पानी आगे छोड़ दिया. बीकेई प्रदेशाध्यक्ष लखविंदर सिंह औलख ने इस पूरे मामले को एक ‘कमीशनखोरी की साजिश’ करार देते हुए नहरी विभाग के अधिकारियों पर कड़े आरोप लगाए हैं और पूरे प्रकरण की स्टेट विजिलेंस से जांच कराने की मांग की है.

गलत समय पर शुरू किया गया मरम्मत कार्य

लखविंदर सिंह औलख का कहना है कि ओटू हैड पर मरम्मत का कार्य आमतौर पर जून के महीने में किया जाता है, जब फसलों की सिंचाई की आवश्यकता कम होती है. लेकिन इस बार विभाग ने अप्रैल में ही रिपेयरिंग शुरू कर दी, जब किसान नरमा और कपास की बिजाई की तैयारी कर रहे हैं और पानी की सबसे ज्यादा जरूरत होती है. उन्होंने कहा कि यह सब कमीशन के लालच में किया गया है.

7 अप्रैल को छोड़ा गया झील का पानी

इसके साथ ही वह बताते है कि 7 अप्रैल को ओटू झील में इकठ्ठा किया गए पानी को गेट खोलकर आगे छोड़ दिया गया, जबकि उस समय झील का जलस्तर करीब 645 फुट था. वहीं चांदपुर हैड से रोजाना 300 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है, जो ओटू हैड तक पहुंचता है, लेकिन गेट खुले होने के कारण यह पूरा पानी आगे निकल रहा है और किसानों को एक बूंद पानी भी सिंचाई के लिए नहीं मिल रही हैं.

मरम्मत का टेंडर करीब 3 करोड़ रुपये में पास किया गया

इसके अलावा वह बताते है कि ओटू पुल का निर्माण 2001 में हुआ था और 2010 में आई बाढ़ से कुछ पत्थर उखड़ जरूर गए थे, लेकिन वे अब भी अपनी जगह स्थिर थे और किसी तरह का कोई कटाव नहीं हो रहा था. 2023 की भीषण बाढ़ में भी वहां कोई नुकसान नहीं हुआ. इसके बावजूद विभाग ने मरम्मत का टेंडर करीब 3 करोड़ रुपये में पास किया गया और अप्रैल में ही काम शुरू करवा दिया गया. जबकि इस तरह के काम ज्यादातर जून में किए जाते हैं जब फसल की सिंचाई की जरूरत कम होती है.

कर्मचारियों पर गलत जानकारी देने का आरोप

निरीक्षण के दौरान मौके पर ड्यूटी दे रहे कर्मचारियों से जब पूछा गया कि कितना पानी आगे छोड़ा जा रहा है, तो उन्होंने बताया कि लगभग 100 क्यूसेक के करीब पानी जा रहा है. लेकिन बीकेई प्रदेशाध्यक्ष लखविंदर सिंह औलख कहना है कि मौके पर करीब 250 क्यूसेक से भी ज्यादा पानी व्यर्थ में आगे छोड़ा जा रहा है, जिससे किसानों की फसलें खतरे में पड़ सकती है.

झोरडनाली के पास बांध लगाने की मांग

बीकेई प्रदेशाध्यक्ष लखविंदर सिंह औलख ने सुझाव देते हुए कहा कि झोरडनाली गांव के पास घग्गर नदी में बांध लगाया जाए और पीछे से आ रहे पानी को खारिया और रत्ताखेड़ा माइनरों में छोड़ा जाए, ताकि किसान सिंचाई कर सकें और नरमा-कपास की बिजाई समय पर हो सके. इसके साथ ही वह एसई पवन भारद्वाज पर भी सीधा आरोप लगते हुए कहा कि पवन भारद्वाज सिरसा में केवल हफ्ते में एक-दो दिन आते हैं और जब से उन्होंने कार्यभार संभाला है, विभाग में भ्रष्टाचार का बोलबाला है. उन्होंने बताया कि रिपेयर का काम ऐलनाबाद क्षेत्र में तैनात एसडीओ रघुवीर शर्मा को सौंपा गया है और टेंडर भी विभाग के ‘सेटिंग’ वाले ठेकेदार को दिया गया है.

सरकार से जांच और कार्रवाई की मांग

इस पर लखविंदर सिंह औलख ने हरियाणा सरकार, मुख्यमंत्री और सिंचाई मंत्री श्रुति चौधरी से अपील करते हुए कहा कि इस पूरे मामले की स्टेट विजिलेंस से जांच करवाई जाए और दोषी अधिकारियों, कर्मचारियों और ठेकेदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए. इस दौरान उनके साथ किसान नेता सुभाष न्यौल, नेमी शर्मा, हंसराज पंचार सहित कई किसान मौजूद थे. सभी ने मिलकर सरकार से मांग की कि खरीफ की फसलों के लिए जरूरी सिंचाई को लेकर तुरंत कदम उठाए जाएं, ताकि किसानों को और नुकसान न उठाना पड़े.

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Published: 17 Apr, 2025 | 07:42 PM

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