कहते हैं बचपन में बच्चे जो अपने घर में देखते, अपने माता-पिता से जो सीखते हैं वो जीवन भर उनका साथ नहीं छोड़ता. ऐसा ही कुछ हुआ आज के हमारे चैंपियन किसान मोहम्मद रफीक के साथ, जो कि बचपन से अपने पिता को खेतीबाड़ी करते हुए बड़े हुए. परिणाम ये हुआ कि आज बहुत कम आयु में ही वे एक सफल और प्रगतिशील किसान बन गए हैं. उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बना ली है. आज रफीक न केवल खुद को आर्थिक तौर पर मजबूत कर चुके हैं बल्कि अन्य किसानों को भी आधुनिक खेती के गुण सिखा रहे हैं. रफीक अपने जैसे कई अन्य युवाओं के लिए एक प्रेरणा की तरह हैं.
2015 से शुरू हुआ खेती का सफर
सिद्धार्थनगर जिले के डुमरियागंज विकास खंड के छोटे से गाँव भानपुर रानी (चुलहईडीह) के रहने वाले मो. रफीक दरअसल एक किसान परिवार से ही आते हैं. उनके पिता गुद्दर भी पेशे से किसान हैं जिन्होंने अपनी जवानी से लेकर बुढ़ापा तक, सब खेतीबाड़ी में लगाया दिया. रफीक भी पिता के साथ खेतों में जाते थे, उन्हें धूप में कड़ी मेहनत करते हुए देखते थे. वहीं से रफीक को भी खेती में रूचि होने लगी. रफीक बताते हैं कि एक बार उनके पिता थककर बैठ गए तो रफीक ने हल उठाया और पूरे खेत की जुताई कर डाली. उनकी मेहनत और लगन से खुश होकर ईनाम के तौर पर उनके पिता ने उन्हें 5 रुपये दिए. रफीक ने बताया वहीं से उनकी खेती का सफर शुरू हुआ, जिसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

सिद्धार्थनगर के चैंपियन किसान मोहम्मद रफीक (Photo Credit- Kisan India)
चुनौतियों को हारकर आगे बढ़े
रफीक ने बताया खेती का ये सफर उनके लिए आसान नहीं था. उन्होंने बताया कि संसाधनों की कमी के कारण खेती करने के लिए समय पर खाद और कीटनाशक नहीं मिलते थे. घंटों लंबी लाइनों में खड़ा होना पड़ता था. इन सब समस्याओं के चलते कई बार उन्होंने खेती छोड़ना का भी मन बनाया. उनके पिता ने भी उन्हें इनती मेहनत न करने की सलाह दी. लेकिन रफीक बताते हैं कि पिता की सालों का मेहनत और उनके सर पर सवार खेती के जुनून ने उन्हें कभी रुकने नहीं दिया और उनकी कड़ी मेहन, लगन और हौसले का ही परिणाम है कि वे मात्र 32 साल की आयु में एक सफल किसान हैं.
खेती में आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल
चैंपियन किसान रफीक बताते हैं कि जैसे -जैसे नई तकनीकों और मशीनों आती गईं. वैसे-वैसे रफीक अपने खेतो में इन तकनीकों और मशीनों का इस्तेमाल कर खेती को आसान बनाते गए. उन्होंने बताया सबसे पहले उन्होंने थ्रेसर मशीन खरीदी, जिसकी मदद से गेहूं और धान की फसल को दाने से अलग करने मे आसानी होने लगी. साल 2019 में उन्होंने पहला ट्रैक्टर खरीदा. इसके अलावा उन्होंने बताया कि पहले सिंचाई के लिए खेतों में नाली बनानी पड़ती थी लेकिन अब पाइप से खेत मे आसानी से पानी पहुंच जाता है और पानी की बचत भी होती है.
सरकारी योजनाओं से मिला फायदा
रफीक ने बताया कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, फसल खरीद केंद्र, और समय से भुगतान जैसी योजनाओं ने किसानों की स्थिति को सुधारा है. उन्होंने बताया कि योगी सरकार की किसान-हितैषी योजनाओं से उन्हें काफी लाभ मिला है. बता दें कि रफीक 25 बीघा जमीन पर गन्ने की और 6 बीघा जमीन पर धान की खेती करते हैं. रफीक बताते हैं कि सबसे ज्यादा मुनाफे वाली फसल गन्ने की है. उन्होंने बताया कि उनके खेत के गन्ने की बिक्री वे चिनी मिल पर करते हैं और समय पर उनको उसका भुगतान मिल जाता है.

धान और गन्ने की खेती से कर रहे अच्छी कमाई (Photo Credit- Kisan India)
कमाई और जीवन स्तर
रफीक बताते हैं कि खेती से न केवल उन्हें सालान 6 से 7 लाख रुपये तक की कमाई हो रही है बल्कि खेती से होने वाली कमाई से आज 6 साल में उन्होंने 5 से 7 बीघा जमीन खरीद ली है , जिसकी कीमत आज करीब 2 करोड़ रुपये हैं. उन्होंने बताया कि उनके पूरे परिवार का खर्च खेती से ही चलता है. बता दें कि, रफीक 40 से ज्यादा किसानों को आधुनिक खेती के लिए इस्तेमाल में लाई जाने वाली तकनीकें सिखा रहे हैं, साथ ही उन्हें बीज-खाद भी उपलब्ध कराते हैं.
किसानों के लिए प्रेरणा
सिद्धार्थनगर के युवा और प्रगतिशील किसाम मोहम्मद रफीक की सफलता की कहानी उनके जैसे तमाम युवाओं और किसानों के लिए प्रेरणा है. रफीक कहते हैं कि, कोई भी काम छोटा नहीं होता. अगर मन से किया जाए तो खेती भी आपको करोड़पति बना सकती है. शर्म नहीं, गर्व होना चाहिए कि हम अन्नदाता हैं. इसके अलावा रफीक ने साबित कर दिया कि आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल से खेती कर किसान अपनी आमदनी में बढ़ोतरी कर सकते हैं. लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं.