पशुओं के लिए साइलेंट किलर है पॉलीथिन, बिहार सरकार ने बचाव के लिए जारी की एडवाइजरी

शहरों में घूमने वाले छुट्टे पशु हों या किसानों द्वारा पाले गए पशु हों, दोनों को ही प्लास्टिक पॉलीथिन से बचाना बेहद जरूरी होता है. क्योंकि अगर खाने के साथ पशु पॉलीथिन को भी निगल लें तो ये उनके जीवन के लिए बड़ा खतरा हो सकता है.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Published: 15 Sep, 2025 | 06:45 AM

Bihar News: बिहार पशु निदेशालय एवं मत्स्य विभाग ने पशुपालकों के लिए एक जरूरी एडवाइजरी जारी की है. जिसमें पशपुालकों को ये सलाह दी गई है कि वे इस बात का खास खयाल रखें कि पशुओं के आसपास प्लास्टिक या पॉलीथिन न हो, ताकि पशु खाने के साथ उसका भी सेवन न कर लें. ऐसा इसलिए क्योंकि अकसर पशु अपने खाने के साथ पॉलीथिन भी खा लेते हैं जो कि उनके शरीर के अंदर जाकर साइलेंट किलर का काम करती हैं. इसी गंभीर समस्या को देखते हुए बिहार सरकार ने एक अहम कदम उठाते हुए जागरूकता और बचाव के लिए एडवाइजरी जारी की है. एडवाइजरी में दिए गए निर्देशों का पालन कर पशुपालक अपने पशुओं का बचाव कर सकते हैं.

पशुओं के शरीर में कैले पहुंचती है पॉलीथिन

पशुओं के शरीर में पॉलीथिन के जाने का सबसे अहम कारण होता है खाने के साथ पॉलिथिन को खाना. अकसर लोग अपने घरों में बचा हुआ खाना, किचेन वेस्ट, फल, सब्जी आदि के छिलकों को पॉलीथिन में भरकर कूड़ेदान या सड़क किनारे फेंक देते हैं. खेतों में चरने गए पशु या फिर छुट्टे पशु खाने और पॉलीथिन में अंतर नहीं कर पाते हैं. यही कारण है कि वे खाने के साथ-साथ पॉलीथिन भी निगल जाते हैं. इसका एक कारण ये भी है कि पॉलीथिन का चिकना और स्वादरहित होने के कारण भी पशु इसको आसानी से निगल जाते हैं.

पशुओं को होती हैं स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं

बिहार मत्स्य विभाग द्वारा सोशल मीडिया पर दी गई जानकारी के अनुसार, खाने के साथ पशुओं के शरीर में जाने वाली पॉलीथिन उनके पेट या आंत में जाकर धीरे-धीरे जमा होने लगती है और आगे जाकर ये एक कड़ी गेंद या रस्सी का रूप ले लेती है. इसका पशुओं की सेहत पर बुरा असर पड़ता है और उन्हें कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होने लगती हैं. जिनमें भूख न लगना, दस्त, गैस और पेट दर्द शामिल है. यही कारण है कि पशुओं के शरीर में जाकर पॉलीथिन साइलेंट किलर का काम करती हैं.

खाने को पॉलीथिन में बंद कर फेंकने से बचें

पशुओं को पॉलीथिन से बचाने के लिए ये सलाह दी जाती है कि पॉलीथिन के कैरी बैग और लिफाफे पर कानूनी रूप से लगाए गए बैन का पूरी सरह से पालन किया जाना चाहिए. साथ ही खाने वाले चीजों, फल और सब्जियों के छिलकों आदि को पॉलीथिन में बंद कर सड़क किनारे, रेल पटरी के किनारे या खेत-खलिहान, नदी – तालाब में या उनके किनारे नहीं फेंकना चाहिए. ऐसा करना इसलिए जरूरी है क्योंकि अन्य बीमारियों की तरह पॉलीथिन खा लेने पर पशुओं का उपचार किसी दवा, सूई, गोली या चूरण आदि से  नही किया जा सकता है. पॉलीथिन को पशुओं के शरीर से ऑपरेशन के माध्यम से ही निकाला जा सकता है.

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Published: 15 Sep, 2025 | 06:45 AM

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