ग्रामीण इलाकों में आजकल सिर्फ खेती ही नहीं, बल्कि डेयरी व्यवसाय भी आमदनी का मजबूत साधन बन गया है. कई किसान गाय-भैंस पालकर हर महीने हजारों रुपये की कमाई कर रहे हैं. यह ऐसा बिजनेस है जिसमें रोज कैश फ्लो होता है. यानी दूध बिके और जेब में तुरंत पैसा. लेकिन एक बात सभी किसान भाई-बहनों को याद रखनी चाहिए, अगर पशु खरीदते समय थोड़ी सी भी चूक हो गई, तो आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ सकता है. इसलिए मेले से मवेशी खरीदते समय इन 5 बातों का विशेष ध्यान जरूर रखें.
बिना स्वास्थ्य प्रमाणपत्र के पशु न खरीदें
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कई लोग भरोसे में या जल्दबाजी में पशु खरीद तो लेते हैं लेकिन बाद में पता चलता है कि वह बीमार है. ऐसे पशु न तो दूध देते हैं और न ही लंबे समय तक चलते हैं. इसलिए चाहे किसी जान-पहचान वाले से लें या हाट-बाजार से पशु का हेल्थ कार्ड जरूर देखें. इससे यह पता चलता है कि उसने कौन-कौन से टीके लगवाए हैं और उसे कभी कोई बड़ी बीमारी तो नहीं हुई.
थनैला रोग की जांच जरूर करें
ज्यादातर दुधारू पशुओं में एक आम बीमारी होती है- थनैला. इसमें थनों में सूजन आ जाती है और कुछ-कुछ गांठ जैसा बन जाता है. अगर ऐसा पशु खरीद लिया तो दूध निकलना मुश्किल हो जाता है. इसलिए पशु का थन हाथ से हल्का दबाकर देख लें, अगर गर्म या सख्त महसूस हो तो समझ जाइए उसमें दिक्कत है. ऐसे पशु से दूरी रखना ही बेहतर है.
उम्र सही होनी चाहिए
पशु की उम्र उसकी दूध देने की क्षमता तय करती है. बहुत कम उम्र की गाय या भैंस अभी पूरी तरह तैयार नहीं होती और बहुत बूढ़े पशुओं की ताकत खत्म होने लगती है. सबसे बढ़िया वही पशु होता है जिसने 2 से 3 बार बच्चा दिया हो. ऐसे पशु का दूध स्थिर होता है और वह लंबे समय तक आपके काम आता है. उम्र पहचानने का सबसे आसान तरीका है दांत और खुर देखकर जांच करना. कम दांत मतलब कम उम्र और घिसे हुए दांत मतलब ज्यादा उम्र.
चमकदार आंखें और मुलायम बाल बताएंगे स्वास्थ्य
पशु बोल नहीं सकता..लेकिन उसका शरीर बहुत कुछ कह देता है. अगर पशु की आंखों में चमक हो, बाल मुलायम और चमकदार हों, कान और पूंछ फुर्तीले हों, तो समझिए वह पूरी तरह स्वस्थ है. सुस्त दिखने वाला, बाल झड़े हुए या आंखों में पानी वाला पशु नहीं खरीदना चाहिए. ऐसे पशु बीमारी छिपा सकते हैं.
घर लाने के बाद तुरंत करवाएं चेकअप
पशु खरीदने के बाद असली जिम्मेदारी शुरू होती है. कई बार रास्ते में थकान या मौसम बदलने से भी पशु पर असर पड़ सकता है. इसलिए घर पहुंचते ही नजदीकी पशु चिकित्सक से उसकी जांच करवाना जरूरी है. इससे बीमारी शुरुआती स्टेज में पकड़ में आ जाती है और समय रहते इलाज भी हो जाता है. बहुत बार लोग दिखावे में या भरोसे में आकर पशु खरीद लेते हैं. बाद में पता चलता है कि दूध तो आता ही नहीं. इसलिए सौदा फाइनल करने से पहले कम से कम एक बार दूध निकलवाकर खुद देख लें. अगर संभव हो तो एक-दो दिन उसे वहीं रुककर टेस्ट भी कर सकते हैं.