Organic Fertilizer: गुजरात की बनास डेयरी ने एक अनोखा और किसान हितैषी प्रोजेक्ट शुरू किया है. पहले यह डेयरी दूध खरीदने और गोबर से जैविक ऊर्जा बनाने में किसानों की मदद करती थी. अब उसने किसानों से गौ-मूत्र खरीदने का काम भी शुरू कर दिया है, जिससे किसान नई आमदनी कमा सकेंगे और जैविक खेती को भी बढ़ावा मिलेगा.
राधानपुर में शुरू होगा पायलट प्रोजेक्ट
बनास डेयरी ने राधानपुर मिल में जुलाई 2025 में पायलट प्लांट शुरू किया. इस प्लांट में किसान जो देशी गायों की देखभाल करते हैं, उनका गौ-मूत्र 5 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से खरीदा जा रहा है. इस गौ-मूत्र को प्रोसेस करके “भूमि अमृत” नामक जैविक मिट्टी सुधारक और पौधों के विकास के लिए बढ़ावा देने वाले उत्पाद बनाए जा रहे हैं.
किसानों के लिए फायदे
कई किसान अब तक गौ-मूत्र का इस्तेमाल नहीं कर पाते थे. इस प्रोजेक्ट से उन्हें सीधे पैसे मिलेंगे. उदाहरण के लिए, अगर एक किसान रोजाना 10 लीटर गौ-मूत्र देता है, तो उसे 50 रुपये मिलेंगे. दूध बेचने से मिलने वाले 100-150 रुपये के अलावा यह अतिरिक्त आमदनी किसानों के लिए बहुत मददगार साबित होगी.
बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, बनास डेयरी के अध्यक्ष शंकर चौधरी के अनुसार, यह एक सतत चक्र (Circular Economy) की शुरुआत है. गाय से दूध मिलता है, गोबर और गौ-मूत्र मिलते हैं, इससे मिट्टी और घास की उर्वरता बढ़ती है, फिर गाय वही घास खाती है और यह चक्र चलता रहता है.
जैविक खेती को मिलेगा बढ़ावा
गौ-मूत्र से बने “भूमि अमृत” उत्पाद में घास और समुद्री शैवाल के तत्व मिलाए गए हैं, जो जमीन की उर्वरता बढ़ाते हैं और पौधों को तेजी से बढ़ने में मदद करते हैं. यह पूरी तरह रासायनिक मुक्त और पर्यावरण अनुकूल है. इसके इस्तेमाल से किसान अपने खेतों में जैविक खेती कर सकते हैं और रसायनों पर निर्भरता कम कर सकते हैं.
प्रधानमंत्री मोदी की प्रेरणा
बनास डेयरी की इस पहल की प्रेरणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिली है. उन्होंने हमेशा कहा है कि “गाय हमारे लिए गौ-धन है”. इसी सोच के तहत अब गाय के सभी उत्पादों का सही उपयोग किया जा रहा है.
भविष्य की योजना
यदि पायलट प्रोजेक्ट सफल रहा, तो बनास डेयरी इसे पूरे उत्तर गुजरात में फैलाएगी. इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नया आयाम जुड़ेगा और किसानों के लिए यह स्थायी आमदनी का जरिया बन जाएगा.
बनास डेयरी पहले से ही गोबर से CBG (Compressed Bio-Gas) उत्पादन कर रही है और अब गौ-मूत्र का उपयोग करके किसानों और पर्यावरण दोनों के लिए नया रास्ता खोल रही है.