Uttar Pradesh News: अक्टूबर महीने की शुरुआत के साथ ही किसानों ने दलहन और तिलहन की बुवाई करने के लिए खेतों की जुताई शुरू कर दी है. 15 अक्टूबर के बाद किसान रबी फसलों की बुवाई शुरू कर देंगे. लेकिन अगर किसान अक्टूबर महीने में दलहन-तिहन के बजाए शरदकालीन गन्ने की बुवाई करते हैंं, तो उन्हें ज्यादा मुनाफा हो सकता है. क्योंकि इस महीने में गन्ने की बुवाई करने से बीज जल्दी अंकुरित होते हैं और फसल की ग्रोथ भी अच्छी होती है. पर किसानों को गन्ने की बुवाई करने से पहले उन्नत किस्मों का चुनवाव करना होगा.
कृषि एक्सपर्ट के मुताबिक, इस मौसम में गन्ने का जमाव अच्छा होता है, जिससे फसल मजबूत और उत्पादन ज्यादा होता है. ऐसे भी गन्ना ऐसी फसल है, जो एक बार बुवाई करने के बाद 2 से 3 साल तक उत्पादन देती है. इसलिए बुवाई करते समय उन्नत किस्म का सही चुनाव बहुत जरूरी होता है. कुछ किस्में ऐसी होती हैं जो बसंत की बजाय शरद में बोने पर बेहतर उत्पादन और ज्यादा शर्करा देती हैं. खासतौर पर जो किस्में ज्यादा समय लेती हैं, उन्हें शरदकाल में ही बोया जाना चाहिए, ताकि किसानों को अच्छा मुनाफा और मिलों को बेहतर क्वालिटी वाला गन्ना मिल सके.
इन किस्मों की बुवाई करने पर होगी बंपर उपज
जो किसान अक्टूबर में गन्ने की बुवाई करना चाहते हैं, वे अगेती किस्म को.शा. 13235 को चुन सकते हैं, जो काफी अच्छी मानी जाती है. इसके अलावा को.लख 14201 और को.15023 भी बढ़िया किस्में हैं. खास बात यह है कि को. 15023 गन्ना की बेहतरीन किस्म मानी जाती है. इस किस्म का गन्ना मोटा और अच्छा उत्पादन देने वाला होता है. अगर उत्तर प्रदेश के किसान इस किस्म की बुवाई करते हैं, तो उन्हें अच्छी पैदावार मिलेगी और मुनाफा भी ज्यादा होगा.
ये हैं गन्ने की बेहतरीन किस्में
ऐसे को.शा.18231 और को.लख.16202 भी गन्ने की उन्नत किस्में हैं. इन दोनों किस्मों को बीते फरवरी महीने में रिलीज किया गया था. वहीं, कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि को.शा.18231 और को.लख.16202 भी शरदकालीन बुवाई के लिए उपयुक्त हैं. इन किस्मों का बीज उत्तर प्रदेश गन्ना शोध संस्थान, शाहजहांपुर या भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ से लिया जा सकता है. इसके लिए किसानों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, कुछ गन्ने की किस्में ऐसी होती हैं, जिन्हें बढ़ने में ज्यादा समय लगता है. ऐसी किस्मों को शरद में बोने से उन्हें पूरा समय मिल जाता है और पैदावार भी अच्छी होती है. इसलिए समय और किस्म के अनुसार बुवाई करना ही समझदारी है.