Mustard Farming: अगर आप किसान हैं और आने वाले रबी सीजन में ऐसी फसल की खेती करना चाहते हैं जो कम समय में ज्यादा उत्पादन दे तो सरसों आपके लिए एक अच्छा ऑप्शन हो सकती है. सरसों की खेती करने वाले किसानों के सामने भी सबसे बड़ी चुनौता होती है कि वे किस किस्म का चुनाव करें. ऐसे में अगर आप सरसों की खेती से कम समय में अच्छा उत्पादन चाहते हैं तो इसकी उन्नत किस्म पूसा मस्टर्ड-32 (Pusa Mustard-32) का चुनाव कर सकते हैं. इस किस्म की खासियत है कि ये कई तरह के रोगों से लड़ने में सक्षम है और बाजार में अच्छी कीमत भी दिला सकती है.
सरसों की इस किस्म की खासियत
सरसों की किस्म Pusa Mustard-32 को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) द्वारा विकसित किया गया है. यह किस्म खासतौर पर उत्तर भारत की जलवायु के अनुकूल है. इसकी एक खासियत ये भी है कि अगर इसकी बुवाई समय पर की जाए तो रबी सीजन की अन्य फसलों जैसे गेहूं आदि की बूवाई से पहले तैयार हो जाती है. ये किस्म बुवाई के करीब 135 से 140 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. सरसों की अन्य किस्मों के मुकाबले इसमें केल की मात्रा 40 फीसदी ज्यादा होती है, जिसके कारण किसानों को बाजार में अपनी उपज के अच्छे दाम मिल जाते हैं. किसान चाहें तो इसके बीज ऑनलाइन मंगा सकते हैं.
यहां से खरीदें बीज
किसानों को रबी सीजन की फसलों के बीज लेने के लिए इधर-उधर भटकना न पड़े और उन्हें शुद्ध, रोग मुक्त और प्रमाणित बीज मिले, इसके लिए राष्ट्रीय बीज निगम (National Seed Corporation) किसानों को इन फसलों के बीज कम और किफायती दामों पर उपलब्ध कराता है. बता दें कि, एनएससी सरसों की किस्म Pusa Mustard-32 के 2 किलोग्राम बीज का पैकेट 14 फीसदी छूट के साथ मात्र 300 रुपये में उपलब्ध करा रहा है.
किसान ऐसे करें ऑनलाइन ऑर्डर
- Pusa Mustard-32 के 2 किलोग्राम बीज खरीदने के लिए राष्ट्रीय बीज निगम की आधिकारिक ई-कॉमर्स वेबसाइट ONDC के तहत mystore.in पर जाएं.
- Pusa Mustard-32 के 2 किलोग्राम बीज के पैकेट पर क्लिक करें.
- अगली स्क्रीन पर आपको चेकआउट ‘Checkout’ का ऑप्शन दिखेगा, उसपर क्लिक करें.
- इसके बाद आपको अपना रजिसटर्ड मोबाइल नंबर दर्ज करना होगा, जिसके बाद आपके पास एक ओटीपी (OTP) आएगा.
- ओटीपी भरने के बाद अपने घर का पता देकर ऑर्डर पूरा करें.

NSC से सस्ते में खरीदें बीज (Photo Credit- NSC)
उत्तर भारत के लिए बेस्ट है ये किस्म
IARI द्वारा सरसों की इस किस्म को खासतौर पर उत्तर भारत के इलाकों के लिए विकसित किया गया है. इसकी प्रति हेक्टेयर फसल से किसान औसतन करीब 20 से 22 क्विंटल तक पैदावार ले सकते हैं. ये किस्म मुख्य रूप से उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, राजस्थान का पूर्वी भाग, मध्य प्रदेश का उत्तरी भाग, उत्तराखंड के मैदानी इलाके और बिहार के पश्चिमी इलाकों के लिए बेस्ट मानी जाती है.