उत्तर भारत के मैदानी इलाकों के लिए बेस्ट है अगेती मटर की ये किस्म, मात्रा 55 दिनों में पककर होगी तैयार

पूसा श्री मटर किसानों के लिए बेहद ही फायदेमंद साबित होती है. क्योंकि ये जल्दी पककर तैयार हो जाती है, इस कारण से इसकी खेती करने वाले किसान बाजार में जल्दी अपनी पैदावार की बिक्री कर पाते हैं जिससे उन्हें बाजार में कीमत भी अच्छी मिलती है.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Updated On: 11 Sep, 2025 | 09:52 AM

सर्दियों का मौसम आने वाला है और इसी के साथ बाजार में मौसमी सब्जियों की मांग भी बढ़ जाएगी. लिहाजा अगर ऐसे समय में किसान मौसमी सब्जियों की खेती करेंगे तो उनके लिए ये खेती मुनाफे का सौदा बन सकती है. इन्हीं मौसमी सब्जियों में से एक है मटर. मटर की कुछ अगेती किस्में हैं जिनकी खेती अगर सितंबर के महीने में की जाए तो किसानों को पैदावार जल्दी मिलने के साथ ही बाजार में कीमत भी अच्छी मिलेगी. ऐसे में जरूरी है कि किसान कुछ उन्नत किस्म की अगेती मटर की खेती करें. जिनमें से एक है पूसा श्री. अगेती मटर की इस किस्म की खासियत है कि ये उत्तर भारत के मैदानी इलाकों के लिए ये बेस्ट है.

पूसा श्री किस्म की खासियत

अगेती मटर की इस किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) द्वारा 2013 में विकसित किया गया था. अगेती मटर की ये किस्म खास तौर पर उत्तर भारत के मैदानी इलाकों और जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे पहाड़ी इलाको के लिए बेस्ट है. इस किस्म की एक खासियत ये भी है कि ये पाउडरी मिल्ड्यू (Powdery Mildew) जैसे रोगों से लड़ने की क्षमता रखती है. अन्य किस्मों के मुकाबले ये किस्म बुवाई के 55 से 60 दिनों बाद तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है, पूसा श्री की फलियां लंबी, मोटी और हरे रंग की होती हैं, और इनमें दानें भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. बात करें इस किस्म से मिलने वाली पैदावार की तो इसकी प्रति एकड़ फसल से किसान औसतन 50 से 60 क्विंटल तक पैदावार ले सकते हैं.

कम समय में ज्यादा कमाई

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पूसा श्री मटर किसानों के लिए बेहद ही फायदेमंद साबित होती है. क्योंकि ये जल्दी पककर तैयार हो जाती है, इस कारण से इसकी खेती करने वाले किसान बाजार में जल्दी अपनी पैदावार की बिक्री कर पाते हैं जिससे उन्हें बाजार में कीमत भी अच्छी मिलती है. अपने मीठे दानों के कारण लोग इसे पसंद करते हैं और बाजार में इसकी मांग भी रहती है. फसल के जल्दी पकने के कारण तुड़ाई के बाद किसान खेत को दूसरी फसलों जैसे गेहूं, मसूर या सब्जियों के लिए तैयार कर सकते हैं. बता दें कि, मटर की इस किस्म से किसान औसतन 1 लाख रुपये तक का शुद्ध मुनाफा कमा सकते हैं.

ऐसे कर सकते हैं खेती

पूसा श्री मटर की खेती के लिए किसानों को प्रति एकड़ 30 से 35 किलोग्राम बीज की जरूरत पड़ती है. इसकी खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट या बलुई दोमट मिट्टी बेस्ट होती है जिसका pH मान 6 से 7.5 के बीच होना चाहिए. बीजों को मिट्टी में 3 से 5 सेंटीमीटर की गहराई में बोना चाहिए और कतार से कतार की दूरी 30 सेंटीमीटर तक रखनी चाहिए. किसानों को ध्यान रखना होगा कि बुवाई के तुरंत बाद फसल को हल्की सिंचाई जरूर दें, लेकिन जरूरत से ज्यादा पानी न दें. इसके अलावा फूल और फली बनने के समय सिंचाई जरूर करें. किसानों को ध्यान रखना होगा कि खेत में पानी न जमने दें, क्योंकि पानी जमने की स्थिति में पौधों की जड़ें सड़ने लगती हैं और पौधा खराब हो सकता है.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

Published: 11 Sep, 2025 | 09:00 AM

अमरूद के उत्पादन में सबसे आगे कौन सा प्रदेश है?

Side Banner

अमरूद के उत्पादन में सबसे आगे कौन सा प्रदेश है?