अक्टूबर में करें मटर की इन अगेती किस्मों की बुवाई, बाजार में मिलेंगे अच्छे दाम.. 40 क्विंटल तक पैदावार

जो किसान जल्दी तैयार होने वाली मटर उगाना चाहते हैं, वे इसकी बुवाई अक्टूबर के बीच में कर सकते हैं. अगेती मटर की प्रमुख किस्मों में पूसा प्रगति, अर्किल, अगेता-6, काशी नंदिनी और पंत मटर-3 शामिल हैं.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Published: 6 Sep, 2025 | 10:26 PM

सर्दियों की शुरुआत होने वाली है और इस सीजन में किसान बहुत सी सीजनल सब्जियों की खेती करते हैं. मटर भी उन्हीं में से एक है. मटर की मांग वैसे तो बाजार में सालभर बनी रहती है, लेकिन सर्दियों में इसकी डिमांड और ज्यादा बढ़ जाती है. इस कारण से किसान अक्टूबर के मध्य में मटर की अगेती किस्मों की खेती कर कम समय में अच्छी पैदावार ले सकते हैं. बता दें कि मटर की अगेती किस्में 55 से 65 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. इसलिए किसान समय से पहले ही बाजार में अपनी पैदावार की बिक्री कर अच्छी कमाई कर लेते हैं. समय से पहले बाजार में उपलब्ध होने के कारण बाजार में इसकी कीमत भी बहुत ज्यादा होती है.

बुआई का सही समय और किस्में

जो भी किसान अगेती मटर की किस्मों की बुवाई करना चाहते हैं वे अक्तूबर के मध्य में इसकी बुवाई कर सकते हैं. अगेती मटर की कुछ प्रमुख किस्मों भी हैं जिनमें पूसा प्रगति, अर्किल, अगेता-6, काशी नंदिनी और पंत मटर-3 शामिल हैं. पूसा प्रगति और अर्किल की खासियत ये है कि ये रतुआ रोग से लड़ने की क्षमता रखती हैं. वहीं पूसा प्रगति की खासियत ये है कि इसकी एक फली में करीब 11 दाने होते हैं और इसकी प्रति हेक्टेयर फसल से किसान औसतन 50 से 60 क्विंटल तक पैदावार ले सकते हैं.  जबकि अर्किल की एक फली में 5 से 6 दाने ही होते हैं और इसकी प्रति हेक्टेयर फसल से किसान लगभग 30 से 40 क्विंटल तक पैदावार ले सकते हैं.

इस विधि से करें बुवाई
मटर की अगेती किस्म की खेती करने के लिए एक एकड़ खेत में 35 से 40 किलोग्राम बीजों की जरूरत होती है. किसानों को ध्यान रखना होगा कि फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिए बीज को बुवाई से पहले फफूंदनाशक दवाओं से जरूर उपचारित करें, ताकि बीज जनित रोगों से बचाव हो सके. इसके साथ ही बीजों को 5 से 7 सेंटीमीटर गहराई में बोया जाना चाहिए. बता दें कि किसान अगर चाहें तो बीज बुवाई के लिए के लिए देसी हल या सीड ड्रिल का इस्तेमाल कर सकते हैं.

खेत की तैयारी और देखभाल
 बीज बुवाई से पहले बेहद जरूरी है कि किसान खेत की 2 से 3 बार गहरी जुताई करें और मिट्टी को भुरभुरा बनाएं. इसके बाद मिट्टी में गोबर खाद या कम्पोस्ट का इस्तेमाल करें, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़े और फसल को भरपूर पोषण मिल सके. बीज बुवाई के लिए बनाई गईं कतारों की दूरी 20 से 25 सेटीमीटर रखें. एक बार बीज बुवाई का काम पूरा हो जाए तो समय-समय पर खेत की निराई-गुड़ाई करें और खरपतवारों को हटाएं. किसानों को ध्यान रखना होगा कि खेत में जलभराव न होने दें. जलभराव से बचने के लिए खेत में पानी के निकलने के उचित इंतजाम करें.

फसल कटाई और अगली खेती
मीडिया रिपेर्ट्स के अनुसार, फसल के पूरी तरह से तैयार होने पर हरी मटर की तुड़ाई करें और बाजार में जल्दी बेचकर अच्छे दाम पाएं. मटर की अगेती किस्म की खेती करने का फायदा है कि मटर की फसल की तुड़ाई के बाद किसान उसी खेत में दूसरी सब्जियां या मक्का जैसी फसलें भी उगा सकते हैं, जिससे सालभर आमदनी होती रहे.

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