Animal Health : पशु खरीदना ग्रामीण परिवारों के लिए सिर्फ एक जरूरत नहीं, बल्कि लंबे समय की कमाई और व्यवसाय का आधार होता है. कई बार पशुपालक बाहर से देखकर पशु तो खरीद लेते हैं, लेकिन बाद में पता चलता है कि वह बीमार है या उसकी उत्पादन क्षमता बहुत कम है. इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, बिहार सरकार ने स्वस्थ पशु पहचानने के लिए विस्तृत सलाह जारी की है. विभाग का मानना है कि सही जानकारी से किसान गलत पशु खरीदने से बचेंगे और उन्हें आगे बड़े नुकसान का सामना नहीं करना पड़ेगा.
चाल-चलन और शरीर की सक्रियता से समझें स्वास्थ्य
स्वस्थ पशु की सबसे पहली पहचान उसकी चाल में दिखती है. विभाग के अनुसार, अच्छा पशु हमेशा आराम से, सीधी गति से और बिना किसी झिझक के चलता है. अगर कोई पशु उठते या बैठते समय शरीर को मोड़ता हो, आगे या पीछे झुककर बैठता हो या चलते समय लंगड़ाहट दिखाता हो, तो यह उसके शरीर में छिपी कमजोरी या बीमारी का संकेत हो सकता है. किसी पशु का बार-बार रुककर चलना, ज्यादा देर तक बैठे रहना या उठने में कठिनाई दिखाना भी उसकी मांसपेशियों और जोड़ों में समस्या का संकेत माना गया है.
आंख, कान, नाक और मुंह भी दर्शाते हैं असली हालत
पशु का चेहरा उसके स्वास्थ्य की असली पहचान माना जाता है. स्वस्थ पशु की आंखें हमेशा साफ और चमकदार होती हैं. आंखों में पानी आना, लाल होना या बार-बार पलकों को बंद रखना बीमारी का संकेत है. ठीक इसी तरह नाक हल्की गीली तो हो सकती है, लेकिन लगातार पानी बहना या सूखी नाक दोनों ही अस्वस्थता की निशानी मानी जाती हैं. कानों में ढीलापन, घाव या कीड़ों का असर भी पशु की कमजोरी को दर्शाता है. मुंह से दुर्गंध आना, जीभ का रंग फीका पड़ना और बार-बार मुंह लटकाए रहना भी सही नहीं माना जाता है.
खान-पान, जुगाली और पेट की स्थिति भी बताती है स्वास्थ्य स्तर
सरकार के अनुसार, स्वस्थ पशु हमेशा चारा खाने के लिए उत्साहित रहता है. जो पशु चारे को सूंघकर छोड़ दे या पानी पीने में रुचि न दिखाए, उसकी सेहत पर सवाल उठते हैं. जुगाली पशु की पाचन प्रक्रिया का आधार है, इसलिए इसकी गति में किसी भी तरह की रुकावट बीमारी का संकेत हो सकती है. इसी तरह पशु का पेट भी सामान्य आकार का होना चाहिए-बहुत फूला हुआ या बहुत पिचका हुआ पेट पाचन खराब होने या अन्य आंतरिक समस्याओं की ओर इशारा करता है.
स्वस्थ पशु की त्वचा मुलायम और बाल चमकदार होते हैं. अगर बाल झड़ रहे हों, त्वचा खुरदरी दिखे या शरीर पर घाव और गांठें नजर आएं, तो ऐसे पशु को खरीदना जोखिम भरा हो सकता है. दूध देने वाले पशुओं में थन की स्थिति भी बेहद जरूरी मानी गई है, क्योंकि सूजन, कठोरता या गर्माहट भविष्य की उत्पादन क्षमता को प्रभावित कर सकती है.