मक्का किसानों के आने वाले हैं अच्छे दिन? सीधे कमाई में होगा इजाफा.. किसान नेता ने की बड़ी मांग

किसान नेता रामपाल जाट ने मांग की कि डिस्टिलरीज को मक्का एमएसपी पर खरीदने के लिए मक्का कंट्रोल ऑर्डर लाया जाए. मंडियों में कम दाम और संभावित अमेरिकी आयात से किसान नुकसान में हैं. उन्होंने नीति में भेदभाव का आरोप लगाते हुए मक्का को आवश्यक वस्तु घोषित करने की मांग की.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 17 Nov, 2025 | 01:21 PM

Maize Farmer: मक्का की खेती करने वाले किसानों के लिए बड़ी खबर है. किसान नेता रामपाल जाट ने रविवार को सरकार से मांग की कि मक्का कंट्रोल ऑर्डर लाया जाए, ताकि इथेनॉल बनाने वाली डिस्टिलरीज किसानों से मक्का एमएसपी पर खरीदने के लिए बाध्य हों. जाट का कहना है कि मंडियों में मक्का का औसत दाम करीब 1,821 रुपये प्रति क्विंटल है, इसलिए इथेनॉल का दाम लगभग 54 रुपये प्रति लीटर होना चाहिए. लेकिन सरकार ने एमएसपी के आधार पर इथेनॉल की खरीद कीमत 71.86 रुपये प्रति लीटर तय कर रखी है.

दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए जाट ने कहा कि 2014 में सरकार आने के बाद जब पेट्रोल में इथेनॉल मिलाने की योजना शुरू हुई थी, तब दावा किया गया था कि इससे किसान ऊर्जा उत्पादक बनकर लाभ कमाएंगे और उपभोक्ताओं को पेट्रोल 55 रुपये प्रति लीटर मिलेगा. लेकिन 10 साल बाद भी किसान अपने मक्का का एमएसपी तक पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जबकि डिस्टिलरीज को इस योजना से बड़ा फायदा हुआ है. उन्होंने कहा कि 20 फीसदी इथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य जो 2030 के लिए तय था, वह 2025 में ही पूरा हो गया. तो फिर किसानों को एमएसपी दिलाने का ऐसा लक्ष्य क्यों तय नहीं किया गया?

मक्का का औसत भाव 1,121 रुपये प्रति क्विंटल

जाट ने आरोप लगाया कि नीति में किसानों के साथ पक्षपात हो रहा है. सरकार जब तेल कंपनियों के जरिए डिस्टिलरीज से इथेनॉल  तय दाम पर खरीदती है, तो उसे मक्का जैसे कच्चे माल की कीमत भी तय करनी चाहिए, ताकि किसानों को उचित दाम मिल सके. किसान नेता ने कहा कि मध्य प्रदेश की नस्रुल्लागंज मंडी में मक्का का औसत भाव 1,121 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि राजस्थान के नाहरगढ़ बाजार में, जो देश के कुल मक्का उत्पादन में 6 फीसदी योगदान देता है, कीमत 1,510 रुपये प्रति क्विंटल मिल रही है.

किसान कहां बेचते हैं फसल

उन्होंने कहा कि अधिकतर किसान अपनी फसल मंडियों  के बाहर और गांवों में बेचते हैं, जहां दाम अक्सर 1,100 रुपये प्रति क्विंटल से भी कम होते हैं. यानी किसानों को मजबूरी में सरकार द्वारा घोषित 2,400 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी का लगभग आधा ही मूल्य मिल पाता है. जाट ने यह भी बताया कि 2014-15 में मक्का की खेती का रकबा 91.9 लाख हेक्टेयर था और उत्पादन 241.7 लाख टन हुआ था. यह 2024-25 में बढ़कर 120.17 लाख हेक्टेयर और 422.81 लाख टन हो गया है. उन्होंने इस वृद्धि का श्रेय सरकार की इथेनॉल नीति से जुड़े कदमों को दिया.

अमेरिका से मक्का आयात करने की तैयारी

उन्होंने यह भी कहा कि मक्का के दामों में गिरावट की एक वजह यह है कि सरकार अमेरिका से मक्का आयात करने की तैयारी कर रही है, जिस पर इस समय चर्चा चल रही है. जाट का कहना था कि मक्का किसानों के लिए सरकार ने ऐसा कोई सिस्टम नहीं बनाया है, जिससे उन्हें घोषित एमएसपी मिल सके. जबकि चीनी के मामले में, जो आवश्यक वस्तुओं के कानून (Essential Commodities Act) के तहत आती है, शुगर मिलों को हर साल सरकार द्वारा तय फेयर एंड रिम्यूनरेटिव प्राइस (FRP) पर गन्ना खरीदना कानूनी रूप से अनिवार्य है.

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Published: 17 Nov, 2025 | 01:06 PM

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