9 साल में बारिश और बाढ़ से 605 लाख हेक्टेयर फसल बर्बाद, किसानों को मिला 54,600 करोड़ का मुआवजा

पिछले नौ वर्षों में महाराष्ट्र में अत्यधिक बारिश, ओलावृष्टि, सूखा और चक्रवातों से 605 लाख हेक्टेयर फसलें नष्ट हुईं. सरकार ने किसानों को 54,679 करोड़ रुपये से अधिक का मुआवजा दिया गया. 2019 के बाद आपदाएं तेजी से बढ़ीं, जिससे खरीफ सीजन में भारी फसल क्षति दर्ज की गई.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 27 Sep, 2025 | 11:57 AM

Maharashtra News: महाराष्ट्र में पिछले नौ सालों में भारी बारिश, ओलावृष्टि और सूखे की वजह से 605 लाख हेक्टेयर से ज्यादा रकबे में फसल को नुकसान पहुंचा है. सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, प्रभावित किसानों को अब तक 54,600 करोड़ रुपये से ज्यादा का मुआवजा दिया जा चुका है. राज्य कृषि विभाग के एक अधिकारी ने गुरुवार को कहा कि 2019 से अत्यधिक बारिश के मामले तेजी से बढ़े हैं और इस बार की खरीफ सीजन में भी फसलों को भारी नुकसान हुआ है.

उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर अब तक 605.26 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि पर फसलों का नुकसान हुआ है. कुछ गांवों या इलाकों में पिछले नौ सालों में कई बार आपदा आई है. इन वर्षों में किसानों को कुल 54,679.17 करोड़ रुपये की सहायता दी गई है. हाल ही में मराठवाड़ा में हुई भारी बारिश के बाद किए गए आंकड़ों के विश्लेषण में पता चला है कि 2016-17 की खरीफ सीजन को छोड़कर हर साल किसानों को किसी न किसी प्राकृतिक आपदा का सामना करना पड़ा है.

कई जिलों में असमय बारिश और ओलावृष्टि

हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारी ने कहा कि 2015-16 में असमय बारिश, दो बार ओलावृष्टि और सूखे की वजह से 56.50 लाख हेक्टेयर फसल बर्बाद  हो गई थी. सबसे ज्यादा नुकसान सूखे से हुआ और 21 जिले गंभीर रूप से प्रभावित हुए थे. अगले वित्तीय वर्ष में दो बार हुई असमय बारिश और ओलावृष्टि से 6.85 लाख हेक्टेयर में फसलें बर्बाद हो गईं. 2017-18 के दौरान मार्च से अक्टूबर के बीच कई जिलों में असमय बारिश और ओलावृष्टि हुई, जिसमें सात जिले सबसे ज्यादा प्रभावित रहे.  कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार, उस साल कुल 44.43 लाख हेक्टेयर फसल को नुकसान हुआ.

70,000 हेक्टेयर फसल प्रभावित

2018-19 में राज्य को कई प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ा. फरवरी में ओलावृष्टि और भारी बारिश  से 19 जिलों में 2.91 लाख हेक्टेयर फसलें खराब हो गईं. अप्रैल-मई में हुई असमय बारिश ने 70,000 हेक्टेयर को प्रभावित किया. साथ ही, 26 जिलों में पड़े सूखे से 85.76 लाख हेक्टेयर में नुकसान हुआ. उस साल जून में 13 जिलों में अत्यधिक बारिश ने 1.87 लाख हेक्टेयर फसल को बर्बाद किया. अधिकारी ने बताया कि वहीं सांगली और कोल्हापुर जिलों में बाढ़ से भारी नुकसान हुआ. जलगांव जिले में सिर्फ 21 दिनों में आंधी और बारिश से 8,000 हेक्टेयर में केले की फसल तबाह हो गई.

94.53 लाख हेक्टेयर फसल खराब

2019-20 में राज्य को चक्रवात ‘क्यार’ और ‘महाः’ के साथ-साथ असमय बारिश और अत्यधिक वर्षा का सामना करना पड़ा. सिर्फ चक्रवाती तूफानों  से ही 96.57 लाख हेक्टेयर में फसलें और बागवानी को नुकसान पहुंचा. अम्बेजोगाई और धाराशिव में सूखे ने 1 लाख हेक्टेयर फसलें बर्बाद कीं. अक्टूबर से नवंबर के बीच असमय बारिश, चक्रवात और तेज बारिश से और 94.53 लाख हेक्टेयर में फसलें खराब हो गईं.

34 जिलों में सबसे ज्यादा फसल बर्बादी

2021 में मॉनसून के दौरान हुई भारी बारिश और बाढ़ ने राज्य के 34 जिलों में 41.85 लाख हेक्टेयर फसलों को नुकसान पहुंचाया. फरवरी से जून के बीच असमय बारिश, ओलावृष्टि और तेज हवाओं  से 3.79 लाख हेक्टेयर फसल बर्बाद हो गई. नागपुर डिवीजन में 30-31 अगस्त और 1 सितंबर को आई बाढ़ से 6 जिलों में 1.02 लाख हेक्टेयर फसल को नुकसान हुआ. दिसंबर 2020 और फरवरी 2021 में ओलावृष्टि, बारिश और तेज आंधियों से 47,000 हेक्टेयर फसलें बर्बाद हो गईं. वहीं, मार्च से मई और फिर दिसंबर के दौरान 2.68 लाख हेक्टेयर में नुकसान हुआ. जुलाई में आई बाढ़ से 4.43 लाख हेक्टेयर, अगस्त-सितंबर में 48.38 लाख हेक्टेयर और अक्टूबर में अत्यधिक बारिश और तेज हवाओं से 2.07 लाख हेक्टेयर फसलें तबाह हो गईं.

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Published: 27 Sep, 2025 | 11:53 AM

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