Fertilizer Demand: रबी सीजन के शुरू होने से पहले भारत सरकार के सामने बड़ी चुनौती है देश के किसानों को समय पर पर्याप्त उर्वरक उपलब्ध कराना. पिछले साल की तुलना में इस बार उर्वरक की मांग लगभग 4 प्रतिशत बढ़ गई है. विशेषज्ञों के अनुसार, इस साल रबी सीजन के दौरान कुल उर्वरक की मांग 37.87 मिलियन टन (एमटी) तक पहुंच सकती है, जबकि पिछले साल यह 36.45 एमटी थी. खासतौर पर यूरिया, डीएपी, एमओपी और मिश्रित उर्वरकों की जरूरत बढ़ गई है.
मांग का हाल और पिछले साल की तुलना
बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, पिछले साल रबी सीजन (अक्टूबर से मार्च) में यूरिया की बिक्री 19.88 एमटी थी, डीएपी 5.02 एमटी, एमओपी 1.28 एमटी और मिश्रित उर्वरक 7.43 एमटी बिके थे. इस साल यूरिया की मांग 19.61 एमटी, डीएपी 5.34 एमटी, एमओपी 1.57 एमटी, मिश्रित उर्वरक 8.24 एमटी और सिंगल सुपर फॉस्फेट (SSP) 3.12 एमटी अनुमानित की गई है.
कृषि विशेषज्ञ ए.के. सिंह का कहना है कि “मांग का अनुमान पिछले साल के वास्तविक उपयोग पर आधारित है. यदि सरकार समय पर पर्याप्त मात्रा में उर्वरक उपलब्ध कराए और इसकी जानकारी किसानों तक पहुंचे, तो ब्लैक मार्केटिंग की समस्या नहीं होगी.”
सरकार की तैयारी और यूरिया आयात
सरकार की चिंता यूरिया के स्टॉक को लेकर है. 23 सितंबर तक यूरिया का बंद स्टॉक 3.25 एमटी था, जबकि अक्टूबर में किसानों की मांग 3.97 एमटी है. इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने 4 एमटी यूरिया के आयात की अनुमति दी है. इसमें से 1 एमटी से अधिक यूरिया पहले ही देश में पहुंच चुका है और बाकी आयातित यूरिया अक्टूबर से पहले उपलब्ध हो जाएगा.
पिछले साल अक्टूबर में यूरिया का उत्पादन लगभग 2.6 एमटी था. अगर इस साल उत्पादन इसी स्तर तक पहुंचता है और आयातित यूरिया मिल जाता है, तो किसानों की मांग पूरी करने में कोई समस्या नहीं होगी. हालांकि, अप्रैल-जून तिमाही में घरेलू यूरिया उत्पादन में 10 प्रतिशत की गिरावट आई थी, इसलिए इस अक्टूबर में उत्पादन में मामूली कमी की आशंका है.
रबी फसलों के लिए उर्वरक का महत्व
रबी फसलों जैसे गेहूं, सरसों और चना के लिए उर्वरक बहुत जरूरी हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, डीएपी मुख्य रूप से रबी फसलों में इस्तेमाल होता है, जबकि यूरिया की अधिक खपत जल्दी बोई जाने वाली फसलों में होती है. चना और मसूर जैसी फसलों को ज्यादा नाइट्रोजन की जरूरत नहीं होती, इसलिए थोड़ी कमी मिट्टी में मौजूद जैविक कार्बन से पूरी की जा सकती है.
सरकार की रणनीति और भविष्य की तैयारी
सरकार ने किसानों को समय पर उर्वरक उपलब्ध कराने के लिए आयात और घरेलू उत्पादन दोनों पर ध्यान दिया है. नेशनल फर्टिलाइजर्स (NFL) और इंडियन पोटाश (IPL) के माध्यम से टेंडर जारी करके यूरिया का आयात सुनिश्चित किया गया है. इससे यह उम्मीद है कि रबी सीजन में किसी तरह की कमी या संकट नहीं होगा.