Wheat cultivation: धान कटाई के साथ ही किसानों ने कई राज्यों गेहूं की बुवाई शुरू कर दी है. लेकिन मध्य प्रदेश में गेहूं बुवाई का काम बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है. ऐसे में कृषि वैज्ञानिकों ने गेहूं किसानों के लिए खास सलाह जारी की है. अगर किसान वैज्ञानिकों की सलाह को अपनाते हैं, तो बंपर पैदावार होगी और उनकी कमाई भी बढ़ जाएगी. साथ ही फसल को किसी तरह का नुकसान भी नहीं होगा. तो आइए जानते हैं आखिर कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों के लिए क्या खास सलाह दी है.
दरअसल, कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों सलाह देते हुए कहा है कि दिवाली के साथ-साथ खेतों पर भी ध्यान देना जरूरी है, क्योंकि बुआई के शुरुआती दिनों में एक गंभीर बीमारी ‘जड़ माहों’ का खतरा रहता है. यह बीमारी फसल की जड़ों को नुकसान पहुंचाती है, जिससे पौधे की बढ़त रुक जाती है और पैदावार पर सीधा असर पड़ता है. इसलिए गेहूं और दूसरी रबी फसलों की बुआई के 25 से 30 दिन के अंदर एक कीट हमला कर सकता है, जिसे ‘रूट एफिड’ (Root Aphid) कहा जाता है.
रूट एफिड रोग का क्या है संकेत
यह कीट फसल की जड़ों से चिपक कर उनका रस चूसता है, जिससे पौधों की बढ़त रुक जाती है और पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं. अगर खेत में पौधे कमजोर दिखें या पीले पड़ने लगें, तो किसानों को तुरंत जड़ों की जांच करनी चाहिए. अगर जड़ों पर छोटे सफेद या भूरे कीट दिखें, तो यह रूट एफिड का संकेत हो सकता है. देर करने से पूरी फसल खराब हो सकती है.
80 एमएल दवा मिलाकर छिड़काव करें
एक्सपर्ट के मुताबिक, इस कीट पर काबू पाने के लिए किसान थायोमेथोक्सम (Thiamethoxam) और लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन (Lambda-Cyhalothrin) दवाओं का कॉम्बिनेशन इस्तेमाल करें. एक एकड़ खेत के लिए 200 लीटर पानी में 80 एमएल दवा मिलाकर छिड़काव करें. इससे जड़ों में लगे कीट मर जाएंगे और फसल फिर से अच्छी तरह बढ़ने लगेगी.
नियमित रूप से अपने खेतों की जांच करें
कृषि विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि बुवाई के बाद वे नियमित रूप से अपने खेतों की जांच करते रहें. खासकर जब मौसम में अचानक नमी बढ़ जाए या तापमान में बदलाव आए, तो जड़ माहों रोग (Root Aphid) फैलने का खतरा बढ़ जाता है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इस बीमारी का समय रहते इलाज कर लिया जाए, तो फसल की उपज और गुणवत्ता दोनों सुरक्षित रहती हैं. इसलिए दिवाली की व्यस्तता के बावजूद किसान अपने खेतों की निगरानी करना न भूलें, ताकि समय पर बीमारी को रोका जा सके.