मानसून के तुरंत बाद भारत में किसान सब्जियों की बुवाई करना शुरू कर देते हैं. सितंबर-अक्टूबर का समय सब्जियों की बुवाई के लिए बेस्ट होता है. सर्दी के मौसम में सब्जियों की घरेलु डिमांड हाई हो जाती है. खासकर अगर मटर की बात करें तो सर्दियों में लगभग सभी सब्जियों में मटर का प्रयोग होता है. मटर एक दलहन फसल है. भारत में मटर की उत्पादन और खपत भी ज्यादा मात्रा में होती है. यही कारण है कि मटर की खेती किसान के लिए फायदे का सौदा है. ऐसे में किसान मटर की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. बस जरूरत इस बात की है कि किसान खेती के लिए मटर के बेस्ट किस्मों का चयन करें.
मटर बुवाई का सही समय कौन सा है
मटर की बुवाई के लिए सबसे बेस्ट समय सितंबर-अक्तूबर का महीना होता है. इस समय मटर की अगेती किस्म की बुआई सही होती है. यही कारण है जानकार किसान को सर्दियों के शुरुआती समय में मटर बोने की सलाह देते हैं. साथ ही किसान के लिए जरुरी है कि वे मटर की अच्छी उपज के लिए मटर की विभिन्न किस्मों की जानकारी प्राप्त कर लें जो अच्छा मुनाफा दे सकें.
मटर की इन किस्मों की बुवाई से होगा बंपर मुनाफा
1. अर्ली बैजर
अर्ली बैजर मटर की एक विदेशी वेरायटी है. इसका पौधा काफी छोटा होता है. इसकी फलियों में बनने वाला बीज झुर्रीदार होता है. इसका पौधा बौना होता है. इसकी फसल लगभग 50 से 60 दिन में तैयार हो जाती है. इस किस्म की मटर की फलियों में औसतन 5 से 6 दाने पाए जाते हैं. इसकी उत्पादन की बात करें तो प्रति हेक्टेयर 10 टन के आसपास पैदावर मिल सकती है.
2. काशी नंदिनी
यह मटर की एक लोकप्रिय किस्म है. काशी नंदिनी मटर की किस्म वर्ष 2005 में जारी की गई थी. इसकी खेती पंजाब, यूपी, हरियाणा, उत्तराखण्ड, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, झारखण्ड, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल में मुख्य रुप से होती है. उत्पादन की बात करें तो प्रति एकड़ लगभग 50 क्विंटल की उत्पादन हो सकती है.
3. काशी अगेती
काशी अगेती मटर की एक बेहतरीन वेरयाटी है. यह कम दिनों में तैयार होने वाली फसल है. महज 50 दिनों में यह उपज के लिए तैयार हो जाती है. इसकी फलियां गहरे हरे रंग की होने के साथ सीधी होती हैं. इसकी उत्पादन की बात करें तो प्रति एकड़ 38 से 40 क्विंटल तक पैदावर हो सकती है.
4. काशी उदय
काशी उदय बिहार, झारखंड, उत्तरप्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों में काफी लोकप्रिय है. काशी उदय को 2005 में जारी की गई थी. इसकी फलियां 9 से 10 सेंटीमीटर तक लंबी होती हैं. यह 60 दिन में पक्कर तैयार हो जाती है. उत्पादन की बात करें तो इस किस्म से प्रति एकड़ 40-44 क्विंटल मटर की पैदावार संभव है.