Ponwar Cow Breed: भैंस के बराबर दूध देती है ये ये गाय, कम चारा खर्च में पल जाती है

पोनवर नस्ल की गाय भारत की प्रमुख दुग्ध नस्लों में से एक है. यह कम खर्च में ज्यादा दूध देने के लिए मशहूर है. इसकी सही देखभाल और संतुलित आहार से किसानों की आमदनी में तेजी से बढ़ोतरी हो सकती है.

Kisan India
नोएडा | Published: 10 Nov, 2025 | 06:00 AM

Ponwar Cow : भारत में गायों की कई नस्लें हैं, लेकिन कुछ नस्लें ऐसी हैं जिनकी खासियत उन्हें बाकी सब से अलग बनाती है. इन्हीं में से एक है पोनवर नस्ल की गाय, जिसे लोग प्यार से पूर्णिया गाय भी कहते हैं. यह गाय न केवल अपने बेहतरीन दूध उत्पादन के लिए जानी जाती है, बल्कि इसके स्वास्थ्य, सहनशक्ति और सुंदरता के लिए भी मशहूर है. भारत के आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में यह गाय किसानों के लिए आय का एक भरोसेमंद जरिया बन चुकी है.

पोनवर गाय की पहचान और बनावट

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पोनवर नस्ल की गाय का शरीर  मध्यम आकार का होता है. इसके सींग न ज्यादा लंबे होते हैं, न छोटे, बस उतने ही जितने जरूरत हो. इसके कान छोटे, आंखें चमकदार और पीठ पर विकसित कूबड़ इसकी पहचान है. इसकी पूंछ लंबी और पतली होती है, जो कीड़ों से बचाव में मदद करती है. औसतन इसकी लंबाई 109 सेंटीमीटर तक होती है. यह गाय देखने में जितनी आकर्षक है, उतनी ही मेहनती और मजबूत भी है. पोनवर गाय की सबसे बड़ी खासियत है इसकी दूध देने की क्षमता. यह एक दिन में 10 से 12 लीटर दूध तक दे सकती है. यही वजह है कि किसानों के बीच इसकी लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है.

खाने-पीने में रखती है सादगी

पोनवर गाय  खाने में बहुत ज़्यादा खर्चीली नहीं होती. यह मक्का, जौ, बाजरा, गेहूं, चना, चोकर और मूंगफली के छिलके जैसे सामान्य आहार से ही भरपूर दूध देती है. किसान इसे चरी (हरी घास) और भूसे का मिश्रण खिलाकर उत्पादन को और बढ़ा सकते हैं. अगर आप इसे संतुलित आहार देते हैं, तो यह न केवल अच्छा दूध देती है बल्कि लंबे समय तक स्वस्थ भी रहती है. पोनवर गाय को सूखा चारा और पर्याप्त पानी देना बेहद जरूरी है.

आरामदायक आश्रय है जरूरी

हर जीव की तरह पोनवर गाय को भी सुरक्षित और आरामदायक आश्रय चाहिए. इसे भारी बारिश, तेज धूप और ठंड से बचाकर रखना जरूरी है. गायों के शेड में साफ-सुथरा फर्श, छाया और ठंडी हवा का इंतजाम होना चाहिए. यह ध्यान रखें कि जहां गाय रहती है, वहां गंदगी या बदबू न हो. अगर वातावरण साफ-सुथरा होगा तो गायों को बीमारी से भी बचाया जा सकता है. ठंड के मौसम में उन्हें गर्म बिछावन या बोरी उपलब्ध कराएं और गर्मियों में ठंडे पानी की व्यवस्था रखें.

गर्भवती गाय और बछड़ों की खास देखभाल

गर्भवती गाय  को अतिरिक्त देखभाल की आवश्यकता होती है. गर्भ के समय गाय को ऊर्जा से भरपूर आहार जैसे दाल, चोकर और हरा चारा खिलाना चाहिए. इससे बछड़ा मजबूत होता है और गाय का दूध उत्पादन भी बढ़ता है. जब गाय बच्चा देती है, तो बछड़े को तुरंत गर्म कपड़े या बोरे से ढक दें ताकि ठंड का असर न हो. उसके मुंह से कफ तुरंत साफ करें ताकि वह आसानी से सांस ले सके. अगर सांस लेने में परेशानी हो तो हाथों से धीरे-धीरे छाती दबाकर कृत्रिम सांस दी जा सकती है. बछड़े को जन्म के बाद पहले 24 घंटे में कोलोस्ट्रम (पहला दूध) जरूर पिलाएं, क्योंकि इससे उसकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.

टीकाकरण और नियमित देखभाल से बढ़ता है उत्पादन

पोनवर गाय को बीमारियों से बचाने  के लिए समय-समय पर टीकाकरण (Vaccination) कराना बहुत जरूरी है. इससे गाय में रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है और झुंड सुरक्षित रहता है. बछड़े के जन्म के 7 से 10 दिन के भीतर उसकी सींग हटवा देनी चाहिए ताकि भविष्य में वह खुद या किसी अन्य पशु को नुकसान न पहुंचाए. हर छह महीने में गाय का स्वास्थ्य परीक्षण (Health Check-up) करवाएं और कीड़ों की दवा (Deworming) भी जरूर दें. इसके अलावा गाय के रहने की जगह को नियमित रूप से साफ और सूखा रखें. इससे न सिर्फ गाय स्वस्थ  रहती है बल्कि दूध की गुणवत्ता भी बनी रहती है.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

Published: 10 Nov, 2025 | 06:00 AM

गेहूं की उत्पत्ति किस क्षेत्र से हुई थी?

Side Banner

गेहूं की उत्पत्ति किस क्षेत्र से हुई थी?