Poultry Farming : गांवों में अक्सर लोग कहते हैं कि मुर्गी पालन कर लो, रोज की कमाई तय है. आज यह कहावत बिल्कुल फिट बैठती है, क्योंकि किसान खेती के साथ ऐसे व्यवसाय ढूंढ रहे हैं जो कम लागत में लगातार आय दें. मुर्गी पालन इसमें सबसे आसान और फायदेमंद विकल्प बन चुका है. खास बात यह है कि देशी नस्लों की मांग शहरों से लेकर गांवों तक लगातार बढ़ रही है. अगर किसान सही नस्लें चुन लेते हैं, तो कम जगह, कम दाना और थोड़ी मेहनत के साथ हर महीने अच्छी आमदनी पाई जा सकती है.
नाटी मुर्गी- स्वाद और कमाई दोनों में नंबर वन
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, नाटी मुर्गी ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली नस्ल है. इसका मांस बेहद स्वादिष्ट होता है, जिसकी वजह से बाजार में इसके दाम आसानी से 400 से 500 रुपये प्रति किलो मिल जाते हैं. नाटी मुर्गी साल में 70 से 120 अंडे देती है और इसकी खासियत यह है कि यह कम देखरेख में भी जल्दी बढ़ती है. बीमारी भी बहुत कम लगती है, इसलिए शुरुआती किसानों के लिए यह नस्ल सबसे बेहतर मानी जाती है. कम खर्च में अच्छी कमाई देने वाली इस नस्ल को कई किसान अपनी मुख्य आय का जरिया बना चुके हैं.
कड़कनाथ-प्रीमियम काला मांस, प्रीमियम इनकम
कड़कनाथ मुर्गा अपनी अनोखी काली रंगत और पोषण गुणों के कारण देशभर में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. इसके मांस की कीमत सामान्य मुर्गियों से कई गुना अधिक होती है, जो बाजार में 600 से 1000 रुपये प्रति किलो तक मिल जाती है. इसमें प्रोटीन ज्यादा और फैट बहुत कम होता है, यही कारण है कि शहरों में इसकी भारी मांग रहती है. होटल, रेस्टोरेंट और हेल्थ-कॉन्शियस लोग इस नस्ल को खास पसंद करते हैं. किसान थोड़ी मेहनत करके इस नस्ल के जरिये शानदार मुनाफा कमा सकते हैं.
वनराजा, असील और गिरिराज
असील मुर्गा ताकत और भारी वजन के लिए जाना जाता है. यह भारत की पुरानी और लोकप्रिय नस्ल है, जो साल में करीब 50 से 80 अंडे देती है. इसका वजन 5 से 6 किलो तक पहुंच जाता है जिसकी वजह से बाजार में यह अच्छी कीमत दिला देती है. वनराजा एक ऐसी नस्ल है जिसे देशी और विदेशी नस्लों के मिश्रण से तैयार किया गया है. यह कम दाना खाकर भी तेज ग्रोथ देती है. यह साल में करीब 180 से 220 अंडे देती है और इसका वजन 2 से 3 किलो तक पहुंच जाता है. कम पूंजी वाले किसान भी इसे आसानी से पाल सकते हैं. गिरिराज मुर्गी अंडे देने में सबसे भरोसेमंद नस्लों में से एक है. यह साल में 160 से 220 अंडे देती है और 3 से 4 किलो वजन तक पहुंच जाती है. किसानों को कम मेहनत में ज्यादा उत्पादन मिलता है, इसलिए गिरिराज नस्ल ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत तेजी से लोकप्रिय हो रही है.